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शोध से पता चला, पैकेजिंग पदार्थों से मानव शरीर में पहुंच रहे 3,600 हानिकारक केमिकल, कॉटन कैंडी कैंसरकारी यूरोपीय संघ पीफैस, बिस्फेनॉल ए कर रहा प्रतिबंधित 3,600 harmful chemicals from packaging materials entering the human body

लंदन। दुनिया में कैंसर, गुर्दे, लीवर, फेफड़ों के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। इसका कारण है रसायनयुक्त खान-पान और खराब पर्यावरण। 2024 में एक नये अध्ययन से पता चला है कि खाने की पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाले करीब 3,600 केमिकल मानव शरीर में पाए गए हैं। इनमें कई बेहद खतरनाक रसायन भी हैं। खाने की पैकेजिंग या उसकी तैयारी में इस्तेमाल होने वाले 3,600 से अधिक रसायन इंसान के शरीर में पहुंच चुके हैं इनमें से अधिकतर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, जबकि अन्य के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। जर्सी सिटी, अमेरिका से प्रकाशित विज्ञान और पर्यावरण पत्रिका जर्नल ऑफ एक्सपोजर साइंस एंड एनवायर्नमेंटल एपिडेमियोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन की मुख्य शोधकर्ता बिरगिट गेउके ने बताया कि मानव शरीर में पाए गए 3,600 में से लगभग 100 रसायन मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर चिंता का कारण माने जाते हैं. बिरगिट गेउके फूड पैकेजिंग फोरम फाउंडेशन नाम के ज्यूरिख (स्विटजरलैड) स्थित एक गैरसरकारी संगठन से जुड़ी हैं। बिरगिट गेउके ने बताया कि अध्ययन में मानव शरीर में जो केमिकल पाए गए उनमें से कुछ पर काफी शोध किया गया है और इन्हें शरीर में पहले भी पाया गया है, जैसे पीफैस (पीएफएएस) और बिस्फेनॉल ए को घातक माना गया है और दोनों रसायनों पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया जा रहा है। गेउके ने कहा कि अन्य रसायनों के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव होते हैं, इसके बारे में अभी कम जानकारी है। उन्होंने कहा कि पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाले रसायन भोजन के साथ कैसे शरीर में पहुंचते हैं, इस पर अधिक शोध की जरूरत है। शोधकर्ताओं ने पहले खाने के संपर्क में आने वाले लगभग 14,000 ऐसे रसायनों की सूची बनाई थी, जो प्लास्टिक, कागज, कांच, धातु या अन्य सामग्रियों से बनी पैकेजिंग से भोजन में पहुंच सकते हैं। ये रसायन खाना बनाने की प्रक्रिया के अन्य हिस्सों, जैसे कन्वेयर बेल्ट या रसोई के बर्तनों से भी आ सकते हैं। अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इन रसायनों को इंसानों से लिए गए नमूनों में पाए जाने वाले रसायनों के मौजूदा बायोमॉनिटरिंग डेटाबेस में खोजा। गेउके ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि कुछ सौ रसायन मिलेंगे, लेकिन इसके बजाय 3,601 रसायन मिले, जो खाने के संपर्क में आने वाले रसायनों का एक चौथाई हैं। गेउके ने यह भी स्पष्ट किया कि यह अध्ययन यह साबित नहीं कर सका कि ये सभी रसायन भोजन की पैकेजिंग से ही शरीर में पहुंचे हैं, क्योंकि अन्य स्रोतों से संपर्क भी संभव है। उदाहरण के लिए अखबार पर रखा खाना भी खतरनाक हो सकता है। जिन रसायनों को लेकर सबसे अधिक चिंता है, उनमें कई पीफैस शामिल थे, जिन्हें फॉरएवर केमिकल्स के नाम से जाना जाता है। इन रसायनों को हाल के वर्षों में मानव शरीर के कई हिस्सों में पाया गया है और इनका संबंध कई स्वास्थ्य समस्याओं से जोड़ा गया है. वैज्ञानिक इन्हें जड़ से खत्म करने के तरीके खोज रहे हैं। बिस्फेनॉल ए भी मानव शरीर में पाया गया है, जो हार्मोन में रुकावट पैदा करने वाला रसायन है। इसका इस्तेमाल प्लास्टिक बनाने में होता है. इसे कई देशों में बच्चों के लिए इस्तेमाल होने वाली बोतलों से पहले ही प्रतिबंधित कर दिया गया है। हार्मोन में रुकावट पैदा करने वाला एक और रसायन फ्थेलेट्स था, जिसका संबंध बांझपन से है। प्लास्टिक के उत्पादन के दौरान बनने वाले ओलिगोमर्स केमिकल के बारे में भी बहुत कम जानकारी है। गेउके ने कहा कि इन रसायनों के स्वास्थ्य प्रभावों पर लगभग कोई प्रमाण नहीं है। शोधकर्ता बिरगिट गेउके ने बताया कि उनके अध्ययन की एक सीमा यह थी कि कौन सा रसायन किस मात्रा में मानव शरीर में पहुंचा है, इसका पता नहीं चल पाया। लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि ये रसायन आपस में प्रतिक्रिया कर सकते हैं और एक ही नमूने में 30 अलग-अलग पीफैस पाए गए। गेउके ने लोगों को पैकेजिंग के संपर्क में आने का समय कम करने की सलाह दी और कहा कि भोजन को उसी पैकेजिंग में गर्म करने से बचना चाहिए जिसमें यह आया है। ब्रिटेन की एस्टन यूनिवर्सिटी के डुएन मेलोर इस शोध में शामिल तो नहीं थे लेकिन वे इस शोध को बहुत विस्तृत काम मानते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह अध्ययन यह नहीं बताता कि हम इन रसायनों के कितने संपर्क में आते हैं और हो सकता है कि ये रसायन हमारे पर्यावरण में अन्य स्रोतों से शरीर में पहुंच रहे हों। मेलोर ने सुझाव दिया कि लोगों को जरूरत से ज्यादा चिंतित होने के बजाय बेहतर डेटा की मांग करनी चाहिए और उन रसायनों के संपर्क को कम करना चाहिए जो हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकते हैं। इनमें से कुछ रसायनों पर पहले ही प्रतिबंध लगाया जा रहा है. यूरोपीय संघ खाने की पैकेजिंग में पीफैस के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के अंतिम चरण में है। यूरोपीय संघ ने इस साल के अंत तक बिस्फेनॉल ए पर भी इसी तरह के प्रतिबंध का प्रस्ताव रखा है। इसी तरह भारत के दो राज्यों ने इसी साल कॉटन कैंडी पर प्रतिबंध लगा दिया था क्योंकि उनमें कैंसर पैदा करने वाले रसायन होने की रिपोर्ट थी। #WorldHistoryofSeptember19 #InternationalGrenacheDay #InternationalTalkLikeaPirateDay #Shaharyar #KavyaMadhavan #PauloFreire #GeorgeWashington #WashingtonPost #NewYorktimes #CharlieChaplin #LIC #ILO #CNBC #BBC #CNN #WSJ #NYT #WP #Foxnews #cbs #mtv #ndtv #nature #humanity #literature #film #Environment #polution #inflation #unemployment #economicslowdown #bse #dw #IndianNationalCongress #rjd #samajwadiparty #bsp #cpi #cpm #cpiml #bjd #dmk #aiadmk #hollywwod #bollywood #entertainment #actor #actress #film #tv #quotes #thoughts #AlJazeera #English #hindi #urdu #rahulgandhi #Freedom #freepress #forestry #peace #whatsApp #instagram #facebook #telegram #quora #UNESCO #rudrapur #china #india #war #fact #life #politics #upi #googlepay #donation #humanity #ClimateChange #environment #urdushayari #Reddit #Medium 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