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जर्मनी में हिटलरी, नाजीवादी दक्षिणपंथ से उदारवादी, लोकतांत्रिक लोग, नेता और राष्ट्रपति श्टाइनमायर तक परेशान In Germany, from Hitler, Nazi right wing to liberal, democratic people, leaders and President Frank-Walter Steinmeier are troubled



बर्लिन। जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर बीते कुछ सालों में देश में बढ़ते दक्षिणपंथ, रूस के साथ यूरोप की तनातनी और जर्मन लोगों के सामने आ रही नई दिक्कतों से परेशान हैं। राष्ट्रपति श्टाइनमायर ने वियर यानि हम शीर्षक वाली अपनी नई किताब में विविधता, उभरते दक्षिणपंथ, जलवायु परिवर्तन, रूस और युक्रेन युद्ध जैसे कई अहम मुद्दों पर बात की है। जर्मनी नाजी विचारधारा के लोगों से बेहद परेशान है। वे आम और खास लोगों से लेकर मेयरों, विधायकों, सांसदों तक पर हमले कर चुके हैं। सोशल मीडिया पर कट्टरपंथी विचारों का प्रसार करते हैं। जर्मनी में काम करने के लिए अन्य देशों से आने वाले लोगों को परेशान करते हैं इससे कंपनियों को भारी परेशानी होती है। जर्मनी काफी समय से कुशल कामगारों की कमी से जूझ रहा है, अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए कामगारों की जरूरत है लेकिन दक्षिणपंथी इसमें बाधा डाल रहे हैं।

श्टाइनमायर के अनुसार उनके किताब लिखने के फैसले के पीछे दो ऐतिहासिक कारण हैं। पहला कि इस साल 30 मई को जर्मनी के संविधान की घोषणा के 75 साल पूरे होने वाले हैं और दूसरा कि इसी साल 9 नवंबर को बर्लिन की दीवार गिरने के 35 साल पूरे होने वाले हैं। जर्मन राष्ट्रपति आम तौर पर देश से जुड़े मुद्दों में एक औपचारिक भूमिका निभाते हैं लेकिन वह इन दिनों देश की स्थिति को लेकर असहज महसूस कर रहे हैं। कहा जा सकता है कि वह दक्षिणपंथ के उभार, लोगों की निराशा, लोकतंत्र को लेकर संदेह की स्थिति, आप्रवासन की अनसुलझी समस्याएं, कल्याणकारी राज्य और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जारी लड़ाई जैसे कई मुद्दों को लेकर चिंतित हैं।

श्टाइनमायर की किताब का नाम वियर यानी हम है। किताब में उन्होंने लिखा है कि देश इस वक्त अनिश्चितताओं से घिरा है। श्टाइनमायर लिखते हैं, जर्मनी वह देश है जिसे हमेशा अप्रत्याशित की उम्मीद करनी चाहिए। एक ऐसा वायरस जिसने लोगों की जिंदगी को पंगु बना दिया, एक युद्ध जो सर्दियों में लोगों से घर गर्म करने की सुविधा छीन सकता है। ऐसी घटनाओं के कारण बुनियादी चीजों से भरोसा खत्म होता है। संभवतः श्टाइनमायर इस बात की आलोचना करते कि जर्मनी के कई नेताओं ने मॉस्को से तब तक बातचीत जारी रखी थी जब तक यूक्रेन में युद्ध नहीं छिड़ गया. हालांकि वह लिखते हैं कि यह युद्ध मॉस्को की अन्यायी सत्ता को कट्टरपंथी बना रहा है। यह युद्ध आंशिक रूप से कट्टर और पंगु रूसी समाज को ऐतिहासिक गलतियों का हिस्सा बना रहा है।

जर्मनी के अधिकतर लोग किताब में लिखी गई कई बातों का समर्थन कर सकते हैं। जैसे कि जब वह लिखते हैं कि जर्मनी का समाज कभी भी एकरूपी नहीं रहा। यहां हमेशा अलग अलग देशों और संस्कृति के लोग आते रहे हैं. जो यहां आए हैं और यह उनका घर है, जिन्होंने जर्मनी की नागरिकता चुनी है वह किसी भी दूसरे नागरिक की तरह की बिल्कुल वैध नागरिक हैं। दक्षिणपंथी ऐसे बयानों को अक्सर खारिज ही कर देते हैं। दक्षिणपंथ के बढ़ते उभार पर वह लिखते हैं, हम में से कुछ लोग जबरदस्ती एकरूपता कायम करना चाहते हैं और उन नागरिकों को प्रवासी बना देना चाहते हैं जो इस ढांचे में फिट नहीं होते। ज्यादातर नागरिक ऐसी असंवैधानिक कल्पनाओं का समर्थन नहीं करते.

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