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कंप्यूटर बाजार की 35% मंदी बता रही भारतीय अर्थव्यवस्था बेहद खराब हालत में है The Indian economy is in a very bad condition, 35% telling the recession of the computer market



नई दिल्ली। भारत में आर्थिक हालात खराब हैं। लगातार अर्थव्यवस्था के बारे में आ रहे आंकड़े उन लोगों के मुहं पर तमाचे हैं जो आर्थिक बेहतरी के दावे बढ़-चढ़कर कर रहे हैं। भारत में पारंपरिक पर्सनल कंप्यूटर बाजार (डेस्कटॉप, नोटबुक और वर्कस्टेशन) निरंतर संघर्षरत है। बीती जून तिमाही में 3.2 मिलियन यूनिट की बिक्री हुई, जो कि 15.3 फीसदी (साल-दर-साल) की गिरावट है। गुरुवार को जारी एक नई रिपोर्ट में सामने आई जानकारी के अनुसार अप्रैल-जून की अवधि में सभी उत्पाद श्रेणियों में साल-दर-साल गिरावट आई। आईडीसी के अनुसार, जहां नोटबुक श्रेणी में 18.5 फीसदी की गिरावट आई, डेस्कटॉप श्रेणी, जो पिछली तिमाही तक विकास पथ पर थी, में भी 7 फीसदी की गिरावट आई। उपभोक्ता और वाणिज्यिक दोनों खंड क्रमशः 17 और 13.8 फीसदी की गिरावट के साथ लाल रंग में थे।

यद्यपि एचपी ने 31.1 फीसदी की हिस्सेदारी तथा उपभोक्ता और वाणिज्यिक दोनों क्षेत्रों में मजबूत प्रदर्शन के साथ बाजार का नेतृत्व किया। लेनोवो 16.2 फीसदी हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर रही, लेकिन सालाना आधार पर इसमें 30.2 फीसदी की गिरावट आई। डेल टेक्नोलॉजीज 15.3 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ तीसरे स्थान पर थी। आंकड़ों से साफ पता चलता है कि साल-दर-साल दोहरे अंकों में गिरावट के बावजूद भारत के उपभोक्ता पीसी सेगमेंट ने तिमाही-दर-तिमाही मजबूत दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज की। आईडीसी इंडिया के वरिष्ठ बाजार विश्लेषक भरत शेनॉय ने कहा, पीसी विक्रेताओं ने सफलतापूर्वक कॉलेज अभियान चलाया और उन्हें अच्छा आकर्षण मिला। उनके ई-टेल चैनलों के बेहतर प्रदर्शन ने उपभोक्ता वर्ग को बहुत जरूरी राहत प्रदान की है। शिक्षा और सरकारी खंड ने पीसी बाजार को आगे बढ़ाना जारी रखा, जबकि उद्यम खंड संघर्ष करता रहा।

प्रीमियम नोटबुक श्रेणी में तिमाही दर तिमाही 39 फीसदी की मजबूत वृद्धि देखी गई। रिपोर्ट के मुताबिक, ऑनलाइन चैनल में साल दर साल 15.8 फीसदी की गिरावट आई है, लेकिन इसमें तेजी आनी शुरू हो गई है और अगली तिमाही में अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है। जून तिमाही में एसर ग्रुप 11.4 फीसदी हिस्सेदारी के साथ चैथे स्थान पर रहा। रिपोर्ट में बताया गया है कि एएसयूएस 7.2 फीसदी हिस्सेदारी के साथ पांचवें स्थान पर है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि मांग नहीं है, इसलिए बाजार मंदी के भयानक दौर से गुजर रहा है। मांग इसलिए नहीं है कि नोटबंदी, जीएसटी और लाॅकडाउन जैसे कई विनाशकारी कार्याें के जरिये सरकार ने उद्योग कारोबार का चौपट कर दिया है। सरकार करोड़ों पद खाली होने के बावजूद नौकरियां नहीं दे रहीं और प्राइवेट सैक्टर में भी नौकरियां नहीं हैं। इसलिए लोगों के पास पैसा नहीं है। करोड़ों लोग खाली हाथ हो गये हैं।


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