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शोषण, उत्पीड़न मुक्त, सरल, सम्मानजनक सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक व्यवस्था समाजवाद के सिद्धांतकार, मेहनतकश के पथप्रदर्शक कार्ल मार्क्स Exploitation, oppression free, simple, dignified social, economic, political system, theorist of socialism, pioneer of working class Karl Marx



रुद्रपुर (ऊधम सिंह नगर) उत्तराखंड, 5 मई। 5 मई 1818 को जर्मनी के ट्रायर गांव में एक यहूदी परिवार में कार्ल हेनरिक मार्क्स का जन्म हुआ। यह बालक आगे चलकर आधुनिक समाजवाद का जनक कहा गया। मार्क्स के पिता हेनरिच मार्क्स वकील थे। मार्क्स ने बोन विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा प्राप्त की। बाद में बर्लिन विश्वविद्यालय मार्क्स में दर्शन और इतिहास का अध्ययन किया। विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौर में राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था में उनकी रुचि बढ़ी। 1842 में कार्ल मार्क्स ने पत्रकारिता शुरू की, एक अखबार में संपादन कार्य भी किया।

मार्क्स ने 1844 में अपने मित्र फ्रैडरिक एंगेल्स के साथ मिलकर होली फैमिली पुस्तक लिखकर प्रकाशित की। कार्ल्स मार्क्स ने साल 1848 में द कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो लिखी। यह छोटी सी किताब काफी प्रसिद्ध हुई। यह विश्व की सर्वाधिक प्रभावशाली राजनीतिक रचनाओं में से एक है।

1867 में उन्होंने दास कैपिटल का पहला अंक प्रकाशित किया। मार्क्स इसके दूसरे अंक पर काम कर रहे थे, लेकिन उसी दौरान उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के बाद एंगेल्स ने बचे हुए अंकों को संग्रहित कर प्रकाशित किया। यह दुनिया की सबसे अधिक बिकने वाली किताबों में से एक बन गई।

कार्ल मार्क्स के सपनों के अनुरूप उनकी मौत के बाद 1917 में रूस में क्रांति हुई। रूसी क्रांति के नायक व्लादिमिर लेनिन ने मार्क्सवाद के विचारों से प्रभावित होकर रूस में तीन सदी पुराने जार शासन को उखाड़ फेंका और सर्वहारा सरकार की स्थापना की। समाजवादी समाज और शासन ने हर व्यक्ति को उसकी क्षमता और जरूरत के हिसाब से काम और जीवन के लिए सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराईं। रूसी क्रांति को ईसा यानी जीसस क्राइस्ट के जन्म के बाद दुनिया की सबसे बड़ी घटना माना गया। इस क्रांति के बाद कई देश मार्क्स के विचारों से प्रभावित होकर कम्युनिस्ट होते चले गए। इससे दुनिया भर के सामंती, तानाशाही मानसिकता के शासक और शोषक पूंजीपति हिल गये।

मार्क्स के सहयोगी फ्रेडरिक एंगेल्स ने मार्क्स द्वारा प्रतिपादित सामाजिक आर्थिक राजनीतिक सिद्धांत को सबसे पहले वैज्ञानिक समाजवाद का नाम दिया। मार्क्स के सिद्धांत का एक अहम पहलू है- अतिरिक्त मूल्य। ये वो मूल्य है जो एक मजदूर अपनी मजदूरी के अलावा पैदा करता है। मार्क्स के मुताबिक, समस्या ये है कि उत्पादन के साधनों के मालिक इस अतिरिक्त मूल्य को ले लेते हैं और सर्वहारा वर्ग की कीमत पर अपने मुनाफे को अधिक से अधिक बढ़ाने में जुट जाते हैं। इस तरह पूंजी एक जगह और कुछ चंद हाथों में केंद्रित होती जाती है और इसकी वजह से बेरोजगारी बढ़ती है और मजदूरी में गिरावट आती जाती है।

मार्क्स का कहना था कि खेत, मशीनें, फैक्ट्री आदि जितने भी उत्पादन के साधन हैं, इन पर मालिकों का पूरा हक होता है। जबकि उत्पादन में सारी मेहनत मजदूरों की होती हैं, लेकिन उत्पादन का कोई हिस्सा उन्हें नहीं मिलता। मालिक हमेशा ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाना चाहता है और मेहनतकश की सारी ऊर्जा निचोड़कर अपना मुनाफा बढ़ाना चाहता है यही वर्ग संघर्ष का बड़ा कारण है। और इसी से दुनिया में भारी असमानता, मुट्ठी भर लोगों के पास दौलत के अंबार और दो तिहाई से अधिक जनता जीने के लिए जरूरी चीजों के लिए ताउम्र जद्दोजहद करती है। अगर समाजवादी तरीके से राजनीतिक आर्थिक काम किये जाएं तो धरती संसाधनों से इतनी परिपूर्ण है कि सभी लोग सुखी हो सकते हैं। मार्क्स ने समाजवादी व्यवस्था कैसे चलेगी इसका प्रयोग पेरिस कम्यून में करके दिखाया। 18 मार्च 1871 को मार्क्स की अगुवाई में पेरिस में क्रांतिकारियों ने सरकार पर कब्जा किया और 72 दिनों तक शानदार सरकार चलाई, जनहित में बेहतरीन काम किये।

कम्युनिस्ट घोषणा पत्र में उन्होंने तर्क किया है कि पूंजीवाद के वैश्विकरण ही अंतरराष्ट्रीय अस्थिरता का मुख्य कारण बनेगा, 20वीं और 21वीं शताब्दी के वित्तीय संकटों ने ऐसा ही दिखाया है। यही कारण है कि भूमंडलीकरण की समस्याओं पर मौजूदा बहस में मार्क्सवाद का बार-बार जिक्र आता है। कार्ल मार्क्स के कुछ प्रसिद्ध कथन -

-धर्म किसी दबे हुए प्राणी की साँस है, निष्ठुर दुनिया का दिल है, बेजान परिस्थिति की जान है। यह लोगो के लिये अफीम के समान है।

-अमीर गरीब के लिए कुछ भी कर सकते हैं लेकिन उनके ऊपर से हट नहीं सकते।

-इतिहास खुद को दोहराता है, पहले एक त्रासदी की तरह, दुसरे एक मजाक की तरह।

-हर किसी से उसकी क्षमता के अनुसार, हर किसी को उसकी जरुरत के अनुसार।

-दर्शनशास्त्रियो ने केवल इस दुनिया की अलग-अलग तरह से व्याख्या दी है। असल में बात यह है की इसे कैसे बदला जा सकता है।

-पिछले सभी समाजों का इतिहास वर्ग संघर्ष का इतिहास रहा है।

-साम्यवाद के सिद्धांत को एक वाक्य में अभिव्यक्त किया जा सकता है, सभी निजी संपत्ति को समाप्त करना।

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