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भारत की आर्थिक वृद्धि दर और राजकोषीय घाटा बढ़ा, जारी है मंदी और बेरोजगारी India's economic growth rate and fiscal deficit increased, recession and unemployment continue



नयी दिल्ली। सरकारी आंकड़े ही बता रहे हैं कि देश के आर्थिक हालात बेहद खराब हैं। प्रधानमंत्री, मंत्री और सरकार के सहयोगी समर्थक देश के आर्थिक रूप से मजबूत करने के दावे करते नहीं थकते लेकिन आंकड़े अलग ही स्थिति पेश कर रहे हैं। इस बीच में अडाणी की धोखाधड़ी सामाने आने के बाद उनके शेयरों में भारी गिरावट के चलते जनता के लाखों कराड़ डूब गये। देश में भारी मंदी और बेरोजगारी है। ऐसे में देश की आर्थिक दशा बेहतर होना बताया जाना सफेद झूठ ही है। आंकड़े बताते हैं कि भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही में घटकर 4.4 प्रतिशत रही है। मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन की वजह से जीडीपी में गिरावट आई है।

राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय के मंगलवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली। इससे पिछले वित्त वर्ष 2021-22 की समान तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था 11.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रही थी। सांख्यिकीय कार्यालय ने अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। इसके अलावा सांख्यिकीय कार्यालय ने बीते वित्त वर्ष 2021-22 की वृद्धि दर को 8.7 प्रतिशत से संशोधित कर 9.1 प्रतिशत कर दिया है।

एक अन्य खबर के अनुसार चालू वित्तवर्ष के पहले 10 महीनों में राजकोषीय घाटा बढ़कर 11.91 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो कि 2022-23 के पूरे वर्ष के लक्ष्य का 67.8 प्रतिशत था। लेखा महानियंत्रक की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष की इसी अवधि के लिए राजकोषीय घाटा पिछले वित्तवर्ष के लक्ष्य का 58.9 प्रतिशत था। सरकार ने केंद्रीय बजट में 2022-23 के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को 16.61 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 17.55 लाख करोड़ रुपये कर दिया था। 2022-23 की अप्रैल-जनवरी अवधि के लिए कुल राजस्व प्राप्तियां 19.76 लाख करोड़ रुपये थीं, जो कि 2022-23 के संशोधित बजट अनुमान 24.32 लाख करोड़ रुपये का 81.3 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान, कुल प्राप्तियां बजट अनुमान का 88.5 प्रतिशत थीं। 

जनवरी 2023 को समाप्त 10 महीने की अवधि के लिए शुद्ध कर राजस्व 16.89 लाख करोड़ रुपये था, जो पूरे वित्तवर्ष के लक्ष्य का 80.9 प्रतिशत है। एक साल पहले की अवधि के दौरान, शुद्ध कर राजस्व एकत्र किया गया था जो वार्षिक लक्ष्य का 87.7 प्रतिशत था। 2022-23 में जनवरी तक कुल खर्च 31.67 लाख करोड़ रुपये रहा, जो 2022-23 के लक्ष्य का 75.7 फीसदी है। सरकार ने 2022-23 के अप्रैल और जनवरी के बीच विनिवेश के माध्यम से 31,123 करोड़ रुपये जुटाए, जो चालू वित्तवर्ष के संशोधित लक्ष्य 50,000 करोड़ रुपये का 62 प्रतिशत है। अप्रैल-जनवरी की अवधि में केंद्र की बाजार उधारी बढ़कर 10.05 लाख करोड़ रुपये हो गई, जो चालू वित्तवर्ष के लक्ष्य का 84 प्रतिशत है।

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