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बुरी खबर: बंपर बढ़ेगी बेरोजगारी, घरों, दुकानों, दफ्तरों, कार्यस्थलों, कारखानों में बढ़ेंगे मशीनी मानव, आधी रह जाएंगी नौकरियां Bad news: Unemployment will increase to a bumper, mechanical humans will increase in homes, shops, offices, workplaces, factories, jobs will remain half



लंदन, न्यू याॅर्क। दुनिया भर में तकनीक तेजी से बदल रही है। पिछले 30 सालों में इंटरनेट और तमाम इलैक्ट्राॅनिक, इलैक्ट्रिक उपकरणों के प्रयोग से भारी संख्या में लोगों के नौकरी पाने के अवसर कम हुए हैं। कोरोना के दौर में दुनिया भर में भारी बेरोजगारी आई है और गरीबों की संख्या असाधारण रूप से बढ़ी है। आने वाले समय में आपके लिए काम-धंधे के अवसर और बहुत कम होने वाले हैं। जी हां ! अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की वजह से काम-काज के बदलाव की रफ्तार में और तेजी आई है। अगले दस सालों में ही दुनिया इतनी बदल जाएगी जिसकी कल्पना करना भी अभी मुश्किल है। ब्रिटेन और जापान के 65 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विशेषज्ञों के इंटरव्यू के बाद तैयार की गई रिपोर्ट कहती है- इस दशक के अंत तक दुकानों पर इंसानों की जरूरत नहीं होगी। खरीदारी में खर्च होने वाले समय में 60 फीसदी तक कमी आ जाएगी।

जानकारी बताते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए दुकान-मॉल की सुरक्षा से लेकर बिलिंग, सफाई से लेकर स्टोरेज तक सारी चीजें रोबोट करेंगे। घरों के ज्यादातर काम ऑटोमेशन पर होंगे। विशेषज्ञ कहते हैं कि झाड़ू-पोछा, बर्तन धोना, खाना बनाने जैसे घरों के 39 फीसदी काम रोबोट करेंगे। तमाम फैक्ट्रियों, दुकानों, दफ्तरों और कार्यस्थलों पर सफलतापूर्वक रोबोट और अन्य उपकरण काम कर रहे हैं। अब तो एलन मस्क की साझेदारी वाली एक कंपनी ने चैटजीपीटी नाम का एक कंप्यूटर साॅफ्टवेयर लांच कर दिया है जिसने दुनिया भर में धूम मचा दी है। यह सुझााए गये विषयों पर लेख, निबंध लिखने से लेकर कंप्यूटर विषयक तमाम काम कर रहा है इससे लेखकों और कंप्यूटर आॅपरेटरों की जरूरत कम हो रही है। इस तरह के और भी तमाम साॅफ्टवेयर आ गये हैं। चीन में मानव के हमशक्ल महिला पुरुष मशीनी मानव निर्मित कर लिए गये हैं जो टीवी पर खबरें पढ़ने जैसे तमाम काम करने में सक्षम हैं।

लंदन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सोसायटी की प्रोफेसर एकटैरिना हरटॉग का कहना है कि स्मार्ट तकनीक के इस दौर में निजता पर सबसे बड़ा सवाल पैदा हो गया है। एलेक्सा जैसे ऑटोमेशन डिवाइस हर चीज रिकॉर्ड करते हैं। बातों से लेकर हरकतों तक हर चीज पर एक तरह का सर्विलांस हो गया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक जैसे-जैसे स्मार्ट होती जा रही है, हमारी निजता खतरे में पड़ती जा रही है। 2030 के अंत तक इंसानों के लिए अपनी निजता बचाए रख पाना बेहद मुश्किल होगा। एकटैरिना के अनुसार यह निजता पर ऐसा हमला है, जिसके लिए सोसायटी बिल्कुल तैयार नहीं है। लेकिन हरटॉग यह भी कहती हैं कि इससे समाज में महिला-पुरुष में समानता का स्तर बढ़ेगा। वे जापान का उदाहरण देती हैं, जहां पुरुषों के मुकाबले महिलाएं घर का पांच गुना अवैतनिक काम करती हैं। इस वजह से उनके पास खाली समय नहीं होता।

यह तथ्य है कि सारी दुनिया में घरों के काम की वजह से महिलाएं पुरुषों के बराबर तरक्की नहीं कर पातीं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के समर्थक कहते हैं कि स्मार्ट घरों में महिलाओं के पास भी पुरुषों जितना खाली समय होगा, जिससे समाज में समानता आएगी। हरटॉग ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इतने प्रभावी होने के बावजूद यह सबके लिए सुलभ नहीं होगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीकों के सस्ते होने में लंबा समय लगेगा। इस दशक के अंत तक यह इतनी महंगी होगी कि दुनिया में कुछ समृद्ध लोग ही इसका इस्तेमाल कर सकेंगे। ज्यादातर स्मार्ट तकनीकें आम लोगों की पहुंच से बाहर होंगी। शोध पत्रिका प्लस वन में छपी रिपोर्ट के अनुसार, यूरोपियन देश क्रोएशिया के जगरेब रेस्टोरेंट में इंसान नहीं बल्कि रोबोट शेफ खाना बनाते हैं। इनके बनाए खाने के स्वाद में भी कमी नहीं है। अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में अमेजन सुपरमार्केट में एक शिफ्ट में सिर्फ 6 इंसानों की जरूरत पड़ती है। बिलिंग से लेकर सामानों को रखने तक का सारा काम रोबोट से होता है। रोबोट ही सेल्फ पर सामान रखने का भी काम करते हैं। ब्रेन सर्जरी भी रोबोट के जरिए की जाने लगी है।

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