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पूर्व जज नरीमन ने की कानून मंत्री रिजिजू की निंदा, स्वतंत्र और निडर न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं की जा रही, अंधकार युग आएगा ? Former judge Nariman condemned Law Minister Rijiju, independent and fearless judges are not being appointed, dark ages will come?



मुंबई। भारतीय न्यायपालिका अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही है। सरकार का न्यायपालिका पर भारी दबाव है। सरकार लगातार अपने अनूकूल फैसले करवा ले रही है। लेकिन कभी-कभार कोई फैसला सरकार और उसके समर्थक सहयोगियों के खिलाफ हो जाता है तो सरकार की परेशानी बढ़ जाती है। सरकार चाहती है, लोकतंत्र के बाकी स्तंभों विधायिका, कार्यपालिका और प्रेस की तरह न्यायपालिका भी सरकार की मर्जी के हिसाब से फैसले दे। इसलिए न्यायपालिका को सरकार लगातार दबाव में लेने का प्रयास कर रही है। इस पर देश दुनिया में चर्चा हो रही है और भारतीय न्यायपालिका की साख प्रभावित हो रही है।

देश भर में स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका के पक्ष में आवाजें उठ रही हैं और सरकारी रवैये की आलोचना हो रही है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रोहिंटन फली नरीमन ने जजों की नियुक्ति संबंधी कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू के आक्षेप के लिए उनकी निंदा की और कहा कि कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित न्यायाधीशों के नामों पर फैसला नहीं लेना लोकतंत्र के लिए घातक है। जस्टिस नरीमन ने कहा कि अगर स्वतंत्र न्यायपालिका का आखिरी स्तंभ गिर जाता है, तो देश रसातल में चला जायेगा और एक नये अंधकार युग की शुरुआत होगी।

शुक्रवार को मुंबई विश्वविद्यालय में सातवें मुख्य न्यायाधीश एमसी छागला स्मृति व्याख्यान में जस्टिस नरीमन ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता क्या है ? जब स्वतंत्र और निडर न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं की जा रही है। शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश ने विशेष पांच न्यायाधीशों की एक पीठ के गठन का भी आह्वान किया। भारत के महान्यायवादी रहे और अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त भारतीय कानूनविद नरीमन ने कहा कि एक बार कॉलेजियम द्वारा किसी न्यायाधीश के नाम की सिफारिश करने के बाद सरकार को 30 दिनों के निश्चित समय के भीतर जवाब देना चाहिए। उन्होंने कि नामों पर फैसला नहीं लेना लोकतंत्र के लिए घातक है। क्योंकि आप केवल यह कर रहे हैं कि आप एक विशेष कॉलेजियम की प्रतीक्षा कर रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि अगला कॉलेजियम अपना विचार बदलेगा। नियुक्ति एक उचित समय अवधि के भीतर की जानी चाहिए। मालूम हो कि अगस्त 2021 में सेवानिवृत्त होने तक नरीमन सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का हिस्सा थे।

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