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भारत के बुरे दिन, आइएमएफ ने आर्थिक वृद्धि दर घटाई, 6.8 की जगह रहेगी 6.1 फीसदी India's bad day, IMF cuts economic growth rate, will be 6.1 percent instead of 6.8



वाशिंगटन, 31 जनवरी। वैसे तो पूरी दुनिया मंदी की चपेट में है। लेकिन भारत में इसके कुछ खास कारण हैं जो मोदी सरकार ने पैदा किये हैं। नोटबंदी से लाखों काम धंधे तबाह हुए तो संपूर्ण लाॅकडाउन से सदियों से जमे-जमाए लाखों लोगों के कारोबार खत्म हो गये। करोड़ों नौकरियां चली गईं। करोड़ों लोग गरीबी की रेखा में चले गये। आज करोड़ों लोग आर्थिक रूप से कंगाली के शिकार हैं। ऊपर से सरकार नौकरियां नहीं दे रही, करोड़ों पद खाली पड़े हैं। तमाम कारण हैं जिनसे भारत की माली हालत लगातार बदतर होती जा रही है।

वैश्विक आर्थिक मामलों पर नजर रखने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने मंगलवार को अनुमान जताया कि अगले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि में कुछ नरमी आ सकती है और यह 6.1 फीसदी रह सकती है, जो 31 मार्च को खत्म होने जा रहे चालू वित्त वर्ष की 6.8 फीसदी की वृद्धि के मुकाबले कम है। आईएमएफ ने जनवरी का विश्व आर्थिक परिदृश्य मंगलवार को जारी किया। इसमें कहा गया कि वैश्विक वृद्धि भी 2022 के 3.4 फीसदी से घटकर 2023 में 2.9 फीसदी पर आने का अनुमान है। मुद्रा कोष में अनुसंधान विभाग के निदेशक एवं मुख्य अर्थशास्त्री पियरे ओलिवर गोरिंचेस ने कहा कि वृद्धि के हमारे अनुमान वास्तव में भारत के लिए तो अक्टूबर के परिदृश्य की तुलना में अपरिवर्तित ही हैं।

चालू वित्त वर्ष के लिए 6.8 फीसदी की वृद्धि हासिल करने की बात थी और यह वित्त वर्ष मार्च तक चलेगा। इसके बाद अगले वित्त वर्ष के लिए इसमें कुछ नरमी आने और वृद्धि के 6.1 फीसदी पर रहने का अनुमान है। आईएमएफ के विश्व आर्थिक परिदृश्य को अद्यतन करते हुए कहा गया, भारत में वृद्धि 2022 की 6.8 फीसदी से कम होकर 2023 में 6.1 फीसदी रहने और प्रतिकूल बाहरी परिस्थितियों के बावजूद घरेलू मांग में जुझारुपन से इसके 2024 में फिर बढ़कर 6.8 फीसदी होने का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक विकासशील एवं उभरते एशिया में वृद्धि 2023 और 2024 में बढ़कर क्रमशः 5.3 फीसदी और 5.2 फीसदी रह सकती है। चीन की अर्थव्यवस्था में कमजोरी की वजह से यह 2022 में कम होकर 4.3 फीसदी पर आ गई थी। गोरिंचेस ने कहा कि अगर हम चीन और भारत को एक साथ देखें तो 2023 में विश्व की वृद्धि में उनकी हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी होगी। यह एक उल्लेखनीय योगदान है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि हमारे अक्तूबर के पूर्वानुमान में भारत को लेकर हमारे जो सकारात्मक विचार थे, उनमें मोटे तौर पर अब भी कोई परिवर्तन नहीं आया है।’

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