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6 जनवरी लौह महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों सतवंत और केहर को फांसी की तारीख January 6, the date of hanging of Satwant and Kehar, the killers of Iron Lady Prime Minister Indira Gandhi



नई दिल्ली। भारत की सबसे मजबूत इरादों वाली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को 28 गोलियां मारकर हत्या कर दी गई। 6 जनवरी 1989 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के दोषियों सतवंत सिंह और केहर सिंह को फांसी दी गई थी। इंदिरा गांधी के दो बॉडीगार्ड्स, बेअंत सिंह और सतवंत सिंह, ने 31 अक्टूबर 1984 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। इंदिरा गांधी के हत्यारे खालिस्तानी चरमपंथ से प्रभावित थे और इंदिरा द्वारा चलाए गए ऑपरेशन ब्लू स्टार से कथित तौर पर नाराज थे। जून 1984 में इंदिरा गांधी ने स्वर्ण मंदिर में फौज भिजवा कर खालिस्तान आंदोलन के मुखिया जरनैल सिंह भिंडरावाले को मरवा दिया था।

इंदिरा हत्याकांड में एक तीसरा शख्स शामिल था, जिसका नाम था केहर सिंह। केहर, इंदिरा पर गोली चलाने में शामिल नहीं था, लेकिन उसे इस हत्या के साजिश रचने का दोषी पाया गया था। बेअंत सिंह को इंदिरा पर गोलियां चलाने के बाद उनके सुरक्षाकर्मियों ने वहीं ढेर कर दिया था।

31 अक्टूबर 1984 को सुबह करीब 9 बजे इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री कार्यालय से बाहर निकलीं। उनका एक रूसी पत्रकार के साथ साक्षात्कार तय था। घर से दूसरे हिस्से में जाते हुए इंदिरा गांधी अधिकारियों से चर्चा कर रही थीं। तभी अचानक उनकी सुरक्षा में तैनात सिक्योरिटी गार्ड बेअंत सिंह ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से इंदिरा गांधी पर तीन गोलियां चलाईं। सतवंत सिंह की गोली चलाने की हिम्मत नहीं हुई लेकिन बेअंत सिंह ने उनसे थोड़ी ही दूर पर खड़े सतवंत सिंह से चिल्लाकर कहा, देख क्या रहे हो? गोली चलाओ। सतवंत ने तुरंत अपनी ऑटोमैटिक कार्बाइन की सभी 25 गोलियां इंदिरा गांधी के ऊपर चला दीं। गोली लगने के बाद इंदिरा को तुरंत एम्स हॉस्पिटल ले जाया गया गया, करीब 4 घंटे बाद दोपहर 2 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

इंदिरा पर गोलियां चलाने के बाद बेअंत सिंह और सतवंत सिंह को अन्य सुरक्षाकर्मियों ने पकड़ लिया। इस दौरान भागने की कोशिश में बेअंत सिंह मारा गया। सतवंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। इंदिरा गांधी के हत्यारे उनसे कथित तौर पर ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेना चाहते थे। सिखों के पवित्र स्थल स्वर्ण मंदिर में खालिस्तानी आतंकियों के खिलाफ सेना की मदद से इंदिरा द्वारा चलाए गए ऑपरेशन ब्लू स्टार में सिख उग्रवादियों का मुखिया जरनैल सिंह भिंडरावाले सहित सैकड़ों लोग मारे गए थे।

इंदिरा की हत्या की साजिश रचने वाले सतवंत सिंह के साथ केहर सिंह और बलवंत सिंह पर भी मुकदमा चला। लेकिन साक्ष्यों के अभाव में बलवंत सिंह रिहा हो गया, लेकिन अदालत ने इंदिरा पर गोलियां चलाने वाले सतवंत सिंह और साजिश रचने वाले केहर सिंह को उनकी हत्या का दोषी मानते हुए मौत की सजा सुनाई। इंदिरा की मौत के करीब 5 साल बाद सतवंत सिंह (54 साल) और केहर सिंह (26 साल) को 6 जनवरी 1989 को तिहाड़ जेल में फांसी की दे दी गई। फांसी के बाद दोनों के शव उनके परिजनों को भी नहीं दिए गए और जेल प्रशासन ने ही उनका अंतिम संस्कार किया।

मालूम हो कि 1980 और 90 के दौर में सिख उग्रवाद ने उत्तर भारत में कहर बरपा कर रखा था। उन्होंने गोलीबारी और बम हमलों में हजारों लोगों की जान ले ली थी। भारत में इनका मुखिया जरनैल ंिसंह भिंडरावाले था। खालिस्तान का पूरा ढांचा बना लिया गया था। इनका प्रधानमंत्री जगजीत सिंह चौहान लंदन तो राष्ट्रपति गंगा सिंह ढिल्लों अमेरिका में रहता था। खालिस्तानी उग्रवादियों ने तमाम पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, कवि अवतार सिंह पाश सहित तमाम अफसर, पुलिस, फौज के लोग और आम आदमी मारे थे। बहुत जगह लूट मचाई थी। 90 के दशक में पंजाब के पुलिस महानिदेशक कंवर पाल सिंह गिल के नेतृत्व में उग्रवादी उन्मूलन अभियान भी बड़ी बेरहमी से चलाया गया जिसमें सैकड़ों निर्दोष लोगों की जानें गईं।

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