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किसानों का सिंघू, टीकरी बाॅर्डर जैसा धरना अब फिरोजपुर मंसूरवाला में, पहुंच रहे किसान, जनसंगठनों के नेता Farmers protest like Singhu, Tikri border now in Ferozepur Mansoorwala, farmers, leaders of public organizations are reaching



फिरोजपुर। किसानों और जनता को जगह-जगह संघर्ष करना पड़ रहा है। सरकारें और पूंजीपति जनविरोधी काम किये जा रहे हैं और जनता की बात करने वाले जनप्रतिनिधि जनता की ही बात नहीं सुन रहे, जनता के खिलाफ काम किये जा रहे हैं। गांव मंसूरवाला में टिकरी और सिंघु बार्डर जैसा किसान आंदोलन करने को किसान और सामाजिक कार्यकर्ता एकत्र हो रहे हैं। जहां किसान यूनियन और अन्य जन संगठन नेता शराब फैक्टरी और इथेनॉल प्लांट के खिलाफ अपने विरोध में सांझा मोरचा को समर्थन देने के लिए पहुंचना शुरू हो गय हैं। क्रांतिकारी किसान यूनियन, कीर्ति किसान यूनियन, कौमी किसान यूनियन, बीकेयू (उग्राहां), बीकेयू (क्रांतिकारी) और बीकेयू (सिद्धूपुर) सहित सात किसान यूनियनों से जुड़े लगभग 900 लोग आज यहां मंसूरवाला में जुटे और अगले में दिनों में और लोगों के भी यहां जुटने की संभावना है। 

यहां दर्जनों जगहों पर टेंट लग चुके हैं। अधिकांश किसान यूनियनें रसद (भोजन आदि) से लदी अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉलियां लेकर आई हैं और अपने तंबू गाड़ने शुरू कर दिये हैं जो यह दर्शाता है कि वे यहां लंबे समय की तैयारी करके आये हैं और उनका मांगें पूरी होने तक धरना उठाने का कोई इरादा नहीं है। 

मालूम हो कि लगभग 40 गांव के किसान व अन्य लोग 152 दिन से इथेनॉल प्लांट के खिलाफ पर्यावरण को प्रदूषित करने और भूजल को दूषित करने का आरोप लगाते हुए इसका विरोध कर रहे हैं। वे इसे स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए खतरा बता रहे हैं। प्रदर्शनकारियों को समझाने के प्रयास विफल रहे हैं। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण एनजीटी की रिपोर्ट में प्लांट को क्लीन चिट दी गई थी। लेकिन किसानों को उस पर भरोसा नहीं है। किसान हाईकोर्ट के आदेश भी मानने को राजी नहीं है, जिसमें प्रदर्शनकारियों को अपने धरनास्थल को संयंत्र से 300 मीटर दूर ले जाने और यूनिट के श्रमिकों को सुरक्षित मार्ग की अनुमति देने के लिए कहा गया था, ने भी उन्हें स्थानांतरित नहीं किया है। इससे पहले सांझा मोर्चा के प्रतिनिधियों की पिछले हफ्ते शुक्रवार को मुख्यमंत्री भगवंत मान से हुई मुलाकात और बाद में कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल के धरनास्थल पर राज्य सरकार के फैसलों से अवगत कराने के बाद यह माना गया कि प्रदर्शनकारी नरम पड़ सकते हैं, हालांकि, उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि जब तक संयंत्र बंद नहीं हो जाता, नहीं मानेंगे।

भारती किसान यूनियन (क्रांतिकारी) के राज्य प्रेस सचिव अवतार सिंह महमा ने कहा कि उनके वकील कल अगली सुनवाई के लिए अदालत में अपना पक्ष रखेंगे। इस क्षेत्र और माहियांवाला कलां, सोढ़ी नगर, रटोल रोही और अन्य सहित आसपास के गांवों के निवासी किसी और चीज के लिए नहीं बल्कि शुद्ध पानी और स्वच्छ हवा के लिए लड़ रहे हैं जो उनका अधिकार है। हम आने वाली पीढ़ियों के लिए लड़ रहे हैं न कि अपने लिए। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के राज्य मीडिया सचिव सुखवंत सिंह ने कहा कि राज्य सरकार हर पहलू पर विफल रही है, राज्य सरकार और प्रशासन को शुरुआती दिनों में इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए था। कैबिनेट के किसी वरिष्ठ व्यक्ति को आकर प्रदर्शनकारियों से बात करनी चाहिए थी, जो नहीं हुआ, जिसके कारण विरोध अब इस स्तर पर पहुंच गया है।

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