मेडेलीन। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भारत की मौजूदा स्थिति की एक गंभीर तस्वीर दुनिया के सामने पेश की। उन्होंने भारत में लोकतंत्र पर हो रहे हमले को देश के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया। राहुल गांधी ने कहा कि भारत की असली ताकत उसकी विविध परंपराओं में है, जबकि चीन निरंकुश शासन के बोझ तले दबता जा रहा है। कोलंबिया की राजधानी मेडेलीन में ईआईए यूनिवर्सिटी में द फ्यूचर इज टुडे नाम के सेमिनार में बोलते हुए गांधी ने आरोप लगाया कि भारत में केंद्रित भ्रष्टाचार की बड़ी लहर के कारण देश की शासन प्रणाली और लोकतांत्रिक भावना पर खतरा मंडरा रहा है। लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कहा, भारत में अब बहुत बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार है। तीन-चार कंपनियां पूरी अर्थव्यवस्था पर कब्जा कर लेती हैं और प्रधानमंत्री से उनका सीधा संबंध होता है, यह भारत में आम बात है।
बुधवार को सेमिनार में बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा, लेकिन मेरा मानना है कि सत्ता का विकेंद्रीकरण, पारदर्शिता बढ़ाना, लोगों को बातचीत में शामिल करना और उन्हें प्रक्रियाओं में शामिल करना ही आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका है। राहुल गांधी ने कहा कि भारत की प्रणाली चीन की तुलना में कहीं अधिक जटिल है। इसकी असली ताकत एकरूपता में नहीं बल्कि विविध परंपराओं के समृद्ध ताने-बाने में है जो इसे अपने पड़ोसी देश से अलग बनाती है। उन्होंने कहा कि भारत में एक प्राचीन आध्यात्मिक परंपरा और शाश्वत ज्ञान का खजाना है, जो आधुनिक दुनिया के लिए भी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि भारत अपनी समृद्ध विरासत और सोच के तरीके से दुनिया को बहुत कुछ दे सकता है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि मैं भारत के बारे में बहुत आशावादी हूं, लेकिन साथ ही, भारतीय ढांचे में कुछ कमियां भी हैं। भारत को कुछ खतरों का सामना करना होगा। सबसे बड़ा खतरा भारत में लोकतंत्र पर हो रहा हमला है। उन्होंने कहा, भारत में कई धर्म, परंपराएं और भाषाएं हैं। भारत वास्तव में अपने सभी लोगों के बीच एक संवाद है। अलग-अलग विचार, धर्म और परंपराओं को जगह चाहिए। उस जगह को बनाने का सबसे अच्छा तरीका लोकतांत्रिक प्रणाली है। राहुल गांधी ने कहा, फिलहाल भारत में लोकतांत्रिक प्रणाली पर हमला हो रहा है, इसलिए यह एक खतरा है। दूसरा बड़ा खतरा अलग-अलग सोच है - लगभग 16-17 अलग-अलग भाषाएं, अलग-अलग धर्म... इसलिए, इन अलग-अलग परंपराओं को पनपने देना और उन्हें खुद को अभिव्यक्त करने की जगह देना भारत जैसे देश के लिए बहुत जरूरी है। हम वह नहीं कर सकते जो चीन करता है, यानी लोगों को दबाना और निरंकुश प्रणाली चलाना। उन्होंने आगे कहा, हमारा दृष्टिकोण इसे स्वीकार नहीं करेगा।
राहुल गांधी ने मोदी सरकार की 2016 की नोटबंदी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इसे कैश को खत्म करने के बड़े वादे के साथ शुरू किया गया था, लेकिन यह बड़ा प्रयोग असफल रहा और अपने मकसद में कामयाब नहीं हुआ। उन्होंने कहा, एक पॉलिसी के तौर पर यह पूरी तरह फेल रही। अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को जबरन औपचारिक अर्थव्यवस्था में बदलना मुश्किल है, जबकि अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे औपचारिक बनाना सही तरीका है। अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के होने का एक कारण है। अगर आप इसे खत्म करने के लिए कठोर तरीके अपनाते हैं, तो लोगों को नुकसान होता है। मुझे पता है कि अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में भ्रष्टाचार का भी एक पहलू है, लेकिन इसमें भ्रष्टाचार न होने का भी एक पहलू है।
गांधी ने कहा, सरकार ने दो पॉलिसी लाईं - नोटबंदी, जिसने असल में छोटे और मध्यम उद्योगों को खत्म कर दिया और बड़ी कंपनियों को हमारी अर्थव्यवस्था के एक बड़े हिस्से पर नियंत्रण करने दियाय और दूसरी, जीएसटी जिसे फिर से मध्यम और छोटे उद्योगों को नुकसान पहुंचाने के लिए डिजाइन किया गया था।ष्
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ष्हमारा मानना घ्घ्है कि इन छोटे उद्योगों को सपोर्ट करना ही एंटरप्रेन्योरशिप के लिए आगे बढ़ने का रास्ता है, और यही हम और सत्ता में बैठे लोगों के बीच का अंतर है, जो मानते हैं कि कुछ बड़ी कंपनियां (अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करती हैं)। हम इससे सहमत नहीं हैं। गांधी ने यह भी कहा कि भारत खुद को दुनिया में लीडरशिप की भूमिका में नहीं देखता।
उन्होंने कहा, यह हमारा मॉडल नहीं है। हम एक बड़ा देश हैं, और हम पार्टनरशिप में विश्वास करते हैं। हम इतने घमंडी नहीं हैं कि हम दुनिया को लीड करें। हर देश का अपना नजरिया होता है और मुझे लगता है कि मिलकर काम करने और पार्टनरशिप करने की काफी गुंजाइश है। यह विचार कि भारत दुनिया को लीड करेगा - मुझे नहीं लगता कि भारत खुद को इस तरह देखता हैय शायद चीनी लोग इस पर अलग सोचते हैं। गांधी ने कहा, हम समझते हैं कि हम एक बड़ा देश हैं, हमारे पास एक अहमियत है, हमारी एक जिम्मेदारी है और हमें एक खास तरह से व्यवहार करना चाहिए। और बेशक, हम अपने लोगों की खुशहाली चाहते हैं।
अमेरिका के पड़ोसी लातिन अमेरिकी देश कोलंबिया की अपनी यात्रा के दौरान, गांधी ने कोलंबिया के राष्ट्रपति लिडियो गार्सिया से भी मुलाकात की। कांग्रेस नेता दक्षिण अमेरिका के चार देशों के दौरे पर हैं। विश्वविद्यालय में बोलते हुए गांधी ने कहा कि भारत जैसे देश में, हेल्थकेयर और शिक्षा का निजीकरण करना काम नहीं करता। हमने इसे आजमाया, लेकिन यह काम नहीं किया। कम से कम मेरी पार्टी और मैं इन क्षेत्रों में सरकार की मजबूत भागीदारी में विश्वास करते हैं। हमारे शीर्ष विश्वविद्यालय सरकारी क्षेत्र के हैं।
मालूम हो कि कोलंबिया वही देश है जिसने डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कोलंबियाई लोगों को विमान में भरकर कोलंबिया वापस भेज दिया था। लेकिन कोलंबियाई प्रधानमंत्री गुस्तावो पेड्रो ने विमान को कोलंबिया में उतरने नहीं दिया, वापस भेज दिया और अपना विमान भेजकर प्रवासी वापस मंगवाए। उनका हवाई अड्डे पर भव्य स्वागत किया। भारत के आप्रवासियों को ट्रंप प्रशासन ने हथकड़ियों, बेड़ियों में जकड़ कर सेना के विमान से भारत भेजा, यह अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरे। एक के बाद एक दो विमान आए प्रवासियों को बेहद अमानवीय तरीके से लेकर लेकिन भारत ने इसका विरोध जरा भी नहीं किया।
प्रस्तुति: एपी भारती (पत्रकार, संपादक पीपुल्स फ्रैंड, रुद्रपुर, उत्तराखंड)
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