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30 सितंबर 2024 को सोनम वांगचुक सहित 150 लोगों को दिल्ली में हिरासत में ले लिया था, आरोप बेबुनियाद, तब भी सरकार की फजीयत हुई अब इंटरनेशनल बेइज्जती हो रही On September 30, 2024, 150 people, including Sonam Wangchuk, were detained in Delhi. The allegations were baseless. Even then, the government was embarrassed and now it is facing international disgrace



नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी की सरकार और भारतीय जनता पार्टी को तारीफ करने और हुक्म मानने लोग पसंद हैं। जब तक लोग तारीफ और आज्ञापालन करते हैं वे देशभक्त होते हैं, सही बात कहने, अपनी मांग मनवाने की जिद करते हैं या सरकारी जनविरोधी नीति की आलोचना करते हैं, वे सरकार और भाजपा के लिए देशद्रोही हो जाते हैं। सोनम वांगचुक नरेंद्र मोदी और भाजपा के समर्थक थे। गैरकानूनी तरीके से धारा 370 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले का भी वांगचुक ने समर्थन किया था। तब वह सरकार की नजर में शानदार आदमी थे। लद्दाख के विश्व चर्चित पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को लद्दाख की मांगों के लिए आंदोलन करने पर बीते सितंबर 2025 में जेल में डाल दिया गया। 2024 को सोनम को सरकार ने दिल्ली में हिरासत में ले लिया था। वांगचुक पर तब भी आरोप बचकाने थे और अब देशद्रोह का आरोप एकदम बेबुनिया है। उस समय पीपुल्सफ्रैंड.इन ने खबर छापी थी। वह खबर आपकी याददाश्त के लिए यहां फिर से दी जा रही है-

लोगों के शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें सरकार के समक्ष रखने और महात्मा गांधी की समाधि तक पहुंचने से भी केंद्र सरकार को भारी दिक्कत है। लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर पद यात्रा कर दिल्ली पहुंचने के पहले पुलिस ने सोनम वांगचुक समेत 150 लोगों को सिंघु बॉर्डर पर हिरासत में ले लिया। पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और उनके समर्थकों ने 1 सितंबर को लेह से दिल्ली तक पैदल यात्रा शुरू की थी. उनकी यात्रा दो अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर राजघाट पर समाप्त होनी थी। दिल्ली चलो पदयात्रा लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) द्वारा आयोजित की गई है, जो कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के साथ संयुक्त रूप से पिछले चार साल से आंदोलन चला रही है।

सोनम वांगचुक और उनके साथियों को पुलिस हिरासत में लिए जाने की आलोचना देश-विदेश में हो रही है। गिरफ्तारी के लिए जो कारण बताए गये हैं वे भी बेहद बचकाने माने जा रहे हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक सोमवार, 30 सितंबर को जब यात्रा सिंघु बॉर्डर के रास्ते दिल्ली में दाखिल हुई तो दिल्ली पुलिस ने वांगचुक और उनके समर्थकों को रोक लिया और करीब 150 लोगों को हिरासत में ले लिया। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस अधिकारियों ने बताया कि वांगचुक और कई अन्य को हिरासत में लेने का फैसला दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा की ओर से सोमवार शाम जारी निषेधाज्ञा के बाद लिया गया। आयुक्त के आदेश में कहा गया है कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 163 के तहत 30 सितंबर से 5 अक्टूबर तक दिल्ली की किसी भी सीमा और नई दिल्ली, उत्तरी दिल्ली और मध्य दिल्ली जिलों के पास पांच से अधिक लोगों के इकट्ठा होने, धरना देने या तख्तियां दिखाने की अनुमति नहीं होगी।

पुलिस के मुताबिक ऐसे में मार्च कर रहे सभी लोगों को वापस जाने के लिए कहा गया, लेकिन जब वे नहीं रुके, तो बॉर्डर पर पहले से तैनात पुलिसकर्मियों ने लोगों को हिरासत में ले लिया। हिरासत में लिए जाने के बाद वांगचुक ने एक्स पर पोस्ट में लिखा, 150 पदयात्रियों के साथ मुझे हिरासत में लिया जा रहा है। दिल्ली बॉर्डर पर 100 पुलिस वाले हैं, कुछ लोग कह रहे हैं 1000 की संख्या में हैं। 80 साल से अधिक की उम्र के कई बुजुर्ग पुरुष और महिलाएं और कई पूर्व सैनिक साथ हैं। हमें नहीं पता कि आगे क्या होगा। हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में बापू की समाधि तक सबसे शांतिपूर्ण मार्च पर थे। दिल्ली पुलिस के आदेश में सांप्रदायिक माहौल, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के चुनाव, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में चल रहे विधानसभा चुनाव और गांधी जयंती के दौरान संभावित वीवीआईपी आवाजाही जैसे कारण बताए गए हैं। वांगचुक ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि वे शांतिपूर्ण मार्च पर थे और बापू की समाधि तक पहुंचना चाह रहे थे।

मालूम हो कि 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया था और पूर्ण राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बना जबकि लेह और कारगिल को मिलाकर लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा तो है लेकिन लद्दाख में कोई विधानसभा नहीं है। ना ही लद्दाख में कोई स्थानीय परिषद है। पिछले चार साल से लद्दाख के लोग राज्य का दर्जा और लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग कर रहे हैं।

लेह और कारगिल के लिए लोकसभा की सीटें और राज्यसभा में भी प्रतिनिधित्व की भी मांग है। अभी लद्दाख में लोकसभा की एक सीट है। स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण और लद्दाख के लिए एक लोक सेवा आयोग का गठन कर नौकरियों में जल्दी भर्ती प्रकिया शुरू करने की भी मांग की जा रही है।

सोनम वांगचुक को हिरासत में लेने पर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है। राहुल ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, सोनम वांगचुक जी और पर्यावरण और संवैधानिक अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण मार्च कर रहे सैकड़ों लद्दाखियों को हिरासत में लेना मंजूर नहीं है। लद्दाख के भविष्य के लिए खड़े होने वाले बुजुर्गों को दिल्ली की सीमा पर क्यों हिरासत में लिया जा रहा है? मोदी जी, किसानों की तरह ये चक्रव्यूह भी टूटेगा और आपका अहंकार भी टूटेगा, आपको लद्दाख की आवाज सुननी होगी।

वांगचुक को हिरासत में लेने पर आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया ने मीडिया से कहा, मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि अमित शाह, पीएम मोदी और बीजेपी क्या कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया, दिल्ली में बीजेपी ने गैंगस्टरों को पूरी सुरक्षा दी है, जबकि सोनम वांगचुक जैसे देशभक्त, देश से प्यार करने वाले लोग जो लद्दाख से पैदल चल कर आए हैं, उनके साथ आतंकवादियों जैसा सलूक किया जा रहा है। दिल्ली पुलिस की शक्ति का इस्तेमाल गैंगस्टरों के खिलाफ किया जाना चाहिए।

मार्च 2024 में वांगचुक ने अपनी मांगों को लेकर 21 दिनों का आंदोलन किया था और तब उन्होंने नमक और पानी पीकर अनशन किया था। इससे पहले केंद्र सरकार ने उनकी मांगों पर विचार करने के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया था, लेकिन बातचीत सफल नहीं हो पाई थी। इस बीच लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने मंगलवार को वांगचुक और उनके समर्थकों को हिरासत में लेने के विरोध में लद्दाख बंद बुलाया है।

प्रस्तुति: एपी भारती (पत्रकार, संपादक पीपुल्स फ्रैंड, रुद्रपुर, उत्तराखंड)

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