मेरा मानना है कि हम पृथ्वी ग्रह पर जीने, बढ़ने और इस दुनिया को सभी लोगों के लिए स्वतंत्रता का आनंद लेने के लिए एक बेहतर स्थान बनाने के लिए जो कुछ भी हम कर सकते हैं, करने के लिए हैं।
मैंने वर्षों में सीखा है कि जब कोई व्यक्ति अपना मन बना लेता है, तो इससे डर कम हो जाता है, यह जानना कि क्या किया जाना चाहिए, डर को दूर करता है।
जब आप सही काम कर रहे हों, तो आपको कभी भी इस बात से डरना नहीं चाहिए। परिवर्तन लाने के लिए, आपको पहला कदम उठाने से नहीं डरना चाहिए।
जब हम कोशिश करने में असफल होते हैं, तो हम असफल हो जाते हैं।
उपर्युक्त विचार हैं रोजा पार्क्स के जिनकी 24 अक्टूबर को पुण्य तिथि है। रोजा लुईस मैककॉली पार्क्स नागरिक अधिकार आंदोलन में अग्रणी अमेरिकी कार्यकर्ता थीं, जिन्हें मोंटगोमरी बस बहिष्कार में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए याद किया जाता है। यूनाइटेड स्टेट्स कांग्रेस ने उन्हें नागरिक अधिकारों की पहली महिला और स्वतंत्रता आंदोलन की जननी के रूप में सम्मानित किया है। यद्यपि अमेरिका में उनका दिवस 1 दिसंबर को मनाया जाता है।
भारत हो या शेष विश्व, हर जगह हिम्मतवर लोग सरकारी जनविरोधी कानूनों, समाज की अनावश्यक बंदिशों, नियमों को चुनौती देते रहे हैं। दुनिया के हर हिस्से में शक्तिशाली लोग या व्यवस्था पर काबिज समूह जाति, धर्म, रंग या नस्ल के नाम से लोगों का सदियों से शोषण, उत्पीड़न, दमन और भेदभाव करते रहे हैं। मूल अमरिकियों और अफ्रीकियों ने बहुत यातना, हिंसा और शोषण झेला है। भारत में पुरातन काल से बहुसंख्यक मूल निवासियों का मुट्ठी भर अगड़े, शक्तिशाली लोगों ने दमन, उत्पीड़न किया है यह आज भी जारी है। दुनिया भर में हर वर्ग, जाति, धर्म, नस्ल और रंग के लोगों ने अन्याय का प्रतिरोध भी किया है। अमेरिकी इतिहास में रोजा लुईस मैककौली पार्क्स को इतिहास बदलने वाली महिला के रूप में दर्ज है। लुइस ने सरकारी भेदभावकारी कानून का विरोध किया था।
पार्क्स का जन्म तुस्केजी, अलाबामा में 4 फरवरी, 1913 को हुआ था, जो आगे चलकर नागरिक अधिकार आंदोलन की चिंगारी बनीं। उन्हें मोंटगोमरी बस बहिष्कार में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जाना जाता है। यूनाइटेड स्टेट्स कांग्रेस ने उन्हें नागरिक अधिकारों की प्रथम महिला और स्वतंत्रता आंदोलन की जननी के रूप में सम्मानित किया था। पार्क्स ने अनेक नागरिक अधिकार अभियानों में भाग लिया। 1 दिसंबर, 1955 को, मोंटगोमरी, अलबामा में, पार्क्स ने जेम्स एफ. ब्लेक नामक एक श्वेत यात्री के लिए सीट खाली करने से इन्कार कर दिया था। व्यवस्था थी कि बसों में गोरे लोगों को बैठने के लिए काले लोगों को सीट खाली करनी पड़ती थी। इस घटना के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसके बाद अश्वेत लोगों का भेदभाव के खिलाफ चल रहा आंदोलन और तेज हो गया। इसके मुख्य अगुआ लोगों में मार्टिन लूथर किंग जूनियर भी थे। नेशनल एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ कलर्ड पीपल (एनएएसीपी) का कहना था कि पार्क्स अलबामा अलगाव का उल्लंघन करने में सविनय अवज्ञा के लिए गिरफ्तारी के बाद अदालती चुनौती से निपटने के लिए सबसे अच्छी उम्मीदवार थीं। कालों ने बसों में सीट खाली करने के कानून का जमकर उल्लंघन किया और बसों का बहिष्कार भी। मामला राज्य की अदालतों में उलझ गया, लेकिन संघीय मोंटगोमरी बस मुकदमा ब्राउनर बनाम गेल के परिणामस्वरूप नवंबर 1956 में फैसला आया कि अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन के समान सुरक्षा खंड के तहत बस अलगाव असंवैधानिक है।
पार्क्स अवज्ञा की कार्रवाई और मोंटगोमरी बस बहिष्कार आंदोलन के महत्वपूर्ण प्रतीक बन गए। वह नस्लीय अलगाव के प्रतिरोध की एक अंतरराष्ट्रीय प्रतीक बन गईं, और एडगर निक्सन और मार्टिन लूथर किंग जूनियर सहित नागरिक अधिकार नेताओं के साथ संगठित और सहयोग किया। रोजा पार्क्स उस समय एक स्थानीय डिपार्टमेंट स्टोर में सीमस्ट्रेस के रूप में कार्यरत थीं और मोंटगोमरी की सचिव थीं। श्रमिकों के अधिकारों और नस्लीय समानता के लिए कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने वाले टेनेसी केंद्र हाईलैंडर फोक स्कूल में भी उन्होंने सेवाएं दीं। उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। गोरे लोगों ने उन्हें जान से मारने की धमकियाँ दीं। 1965 से 1988 तक उन्होंने अफ्रीकी-अमेरिकी अमेरिकी प्रतिनिधि जॉन कॉनयर्स के सचिव और रिसेप्शनिस्ट के रूप में कार्य किया। वह ब्लैक पावर आंदोलन और अमेरिका में राजनीतिक कैदियों के समर्थन में भी सक्रिय रहीं।
रोजा पार्क्स ने अपनी आत्मकथा लिखी और इस बात पर जोर देती रहीं कि न्याय के संघर्ष में अभी और काम किया जाना बाकी है। पार्क्स को 1979 स्पिंगार्न मेडल, प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम, कांग्रेसनल गोल्ड मेडल और यूनाइटेड स्टेट्स कैपिटल के नेशनल स्टैचुअरी हॉल सम्मान मरणोपरांत दिया गया। अमेरिकी राज्य कैलिफोर्निया और मिसौरी उनके जन्म दिन को रोजा पार्क्स डे के रूप में राज्य स्तर पर मनाते हैं जबकि ओहियो, ओरेगॉन और टेक्सास उसकी गिरफ्तारी की सालगिरह 1 दिसंबर को रोजा पार्क्स डे मनाते हैं। उनका निधन 24 अक्टूबर 2005 को मिशिगन, डेट्रायट, अमेरिका में हुआ। रोजा पार्क्स को जनपक्षीय लोग सम्मान से याद करते हैं। रोजा पार्क्स को सादर नमन !
प्रस्तुति: एपी भारती (पत्रकार, संपादक पीपुल्स फ्रैंड, रुद्रपुर, उत्तराखंड)
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