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चंपई सोरेन बोले, झारखंड, आदिवासी मुद्दों पर एक शब्द नहीं बोला पीएम नरेंद्र मोदी ने, आदिवासी शब्द बोलने, वोट मांगने का अधिकार नहीं Champai Soren said, Jharkhand, PM Narendra Modi did not say a word on tribal issues, there is no right to speak tribal words or ask for votes



चाईबासा (झारखंड)। झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता और झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कहा है कि केंद्र की भाजपा सरकार ने झारखंड के आदिवासियों और मूलवासियों के लिए कोई काम नहीं किया है, इसलिए उसे यहां लोगों से वोट मांगने का अधिकार नहीं है। सोरेन ने शनिवार की शाम सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र के चक्रधरपुर में झामुमो प्रत्याशी जोबा मांझी के समर्थन में आयोजित चुनावी जनसभा को संबोधित किया।

चंपई सोरेन ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिंहभूम में अपने प्रत्याशी का प्रचार करने आए, लेकिन उन्होंने यहां के लोगों के मुद्दों और भावनाओं से जुड़े विषयों पर एक शब्द नहीं कहा। यहां के आदिवासी “हो” भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं, लेकिन वे इस पर चुप रहे। सरना आदिवासियों के अलग धर्मकोड से लेकर वनाधिकार और झारखंड के स्थानीय लोगों के लिए भी पीएम ने कुछ नहीं कहा।

सीएम ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी हमेशा एक समुदाय को दूसरे समुदाय से लड़ाकर सत्ता में काबिज रहने की राजनीति करती है, लेकिन लोग उनकी सच्चाई समझ चुके हैं। अब झारखंड की जनता उनके झांसे में नहीं आने वाली। इस बार राज्य की 14 सीटों में से एक भी सीट पर भाजपा को नहीं जीतने देंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने से पहले मोदी ने महंगाई के खिलाफ आंदोलन किया था। इस समय रसोई गैस 1100 रुपये प्रति सिलेंडर मिल रहा है। महंगाई से देश की जनता त्रस्त है। अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने इन मुद्दों पर एक शब्द नहीं बोले। अच्छा दिन ला देंगे, हर साल दो करोड़ युवाओं को नौकरी देंगे, विदेश से काला धन लाकर हर किसी को 15-15 लाख रुपये देंगे. यह सब प्रधानमंत्री की जुमलेबाजी थी। पीएम मोदी आदिवासी की बात करते हैं, पर विश्व में आदिवासी दिवस मनता है, तो केंद्र सरकार भारत में यह दिवस नहीं मनाता है।

मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को चाईबासा की चुनावी सभा में आदिवासी मूलवासियों के पक्ष में एक शब्द नहीं बोले। प्रधानमंत्री को तो आदिवासी शब्द तक बोलने का अधिकार नहीं है। झारखंड सरकार ने वारंग क्षिति लिपि को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा, सरना धर्म कोड देने की सिफारिश की गई, स्थानीय नीति का आधार 1932 का खतियान को मानने का प्रस्ताव भेजा, पिछड़ी जाति के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव भेजा गया यह सब केंद्र सरकार के इशारे पर रोक दिया गया। केंद्र सरकार आदिवासी-मूलवासी विरोधी है।

घाटशिला के विधायक सह झामुमो पूर्वी सिंहभूम जिलाध्यक्ष रामदास सोरेन ने कहा कि भाजपा ने विकास के नाम पर सपना दिखाकर वोट बटोरने का काम किया है। इसलिए इसबार लोकसभा चुनाव में आप सभी अपने-अपने गांव के बाहर डुगडुगी बजाकर भाजपा के लिए नो इंट्री का बोर्ड लगा दें। यदि कोई भाजपा नेता आये तो उनसे कहें कि उन्होंने किसान, मजदूर व युवाओं के लिए कोई कार्य नहीं किया है। इसलिए गांव में उनकी इंट्री पर रोक लगा दी गयी है। जमशेदपुर संसदीय सीट से विद्युतवरण महतो 10 सालों तक सांसद रहे हैं। जब वे गांव में आये तो उनसे काम का हिसाब मांगें। उन्होंने कहा कि भाजपा केवल घोषणा करने वाली पार्टी है. धरातल पर उनका एक भी काम नहीं दिखता है।


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