ब्रेकिंग न्यूज़

छत्तीसगढ़ के जनसंगठनों ने उड़ीसा में हो रहे जन दमन, अन्याय पर जताया विरोध, वेदांता, अदाणी, बिरला के लिए जनता का गला दबा रही पटनायक सरकार People's organizations of Chhattisgarh expressed protest against the public repression and injustice happening in Orissa, Patnaik government is strangulating the public for Vedanta, Adani, Birla



रायपुर (छत्तीसगढ)। उड़ीसा में जनता और जन संगठनों पर हो रही अमानवीय कार्रवाई, अन्याय और उत्पीड़न पर छत्तीसगढ़ के जन संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने गहरी नाराजगी जताते हुए संयुक्त बयान जारी किया है। बयान के अनुसार, पड़ोसी राज्य ओडिशा में हो रहे निरन्तर दमन और अत्याचार पर छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन अपनी चिंता व्यक्त करता है, और एक ही महीने में 25 से भी अधिक खनन विरोधी कार्यकर्तोंओं की गिरफ्तारी की घोर निंदा करता है। पिछले दिनों, अगस्त के महीने में ही ओडिशा के तीन बॉक्साइट खनन-विरोधी आंदोलनों पर कार्पोरेट सत्ता द्वारा समर्थित राज्य सरकार ने कहर ढ़ाया है। आंदोलन के नेतृत्व करने वाले लोगों का खुलेआम अपहरण करना, कइयों को झूठे आरोपों के अंतर्गत गिरफ्तार करना, और शांतिपूर्वक प्रदर्शनकारियो पर विधिविरुद्ध काम करने का आरोप लगाकर उन पर यूएपीए की दमनात्मक धाराएं लगाना, यह तो स्पष्ट रूप से कार्पोरेट प्रायोजित सरकार की दादागिरी है, आंदोलनों को कुचलने की अलोकतांत्रिक साजिश है, और आदिवासी समुदायों के संवैधानिक अधिकारों पर एकतरफा हमला है।

कालाहांडी और रायगड़ा जिलों के बीच आ रहे नियमगिरि क्षेत्र में अगस्त 5 को इस समिति के दो कार्यकर्तोओं, कृष्णा सिकाका और बारी सिकाका को साधारण वेश भूषा में पुलिसकर्मियों ने गैर-कानूनी हिरासत में ले लिया। जब गाँववालों को किसी थाने से कोई जानकारी नहीं मिली, तो उन्होंने 6 अगस्त को इनकी रिहाई के लिये कल्याणसिंहपुर थाने के सामने धरना-प्रदर्शन किया। धरने से लौटते समय, पुलिस ने वरिष्ठ कार्यकर्ता द्रेंजु कृषिका को पकड़ने की कोशिश की, जिसका सभी ग्रामीणों ने विरोध किया। इसी विरोध को विधिविरुद्ध करार करते हुए, पुलिस ने नियमगिरि सुरक्षा समिति से जुड़े 9 कार्यक्रर्ताओं के खिलाफ भारतीय दंड विधान और यूएपीए की दमनात्मक धाराएं लगा दी हैं, जिसमें स्थानीय वरिष्ठ नेताओं कृष्ण सिकाका और लादा सिकाका के अतिरिक्त शामिल हैं भुवनेश्वर के कवि लेनिन कुमार, और वरिष्ठ कार्यकर्ता लिंगराज आजाद, जो प्रदर्शन में उपस्थित भी नहीं थे।  

इसी एफआईआर के अंतर्गत 10 अगस्त को एक वरिष्ठ कार्यकर्ता उपेन्द्र बाग को रायगड़ा से उठाया गया, 5 दिनों तक एसपी के ऑफिस में गैर-कानूनी हिरासत में रख कर उनके साथ मारपिटाई हुई, और बाद में उन्हें विधिविरुद्ध जमावड़े के आरोप में यूएपीए के अन्तर्गत गिरफ्तार किया गया। न्यायालय में बेल की सुनवाई के दौरान पुलिस ने अन्य 4 एफआईआर के बारे में भी जानकारी दी, जो कई साल पुराने हैं, और उनमें यूएपीए जैसे संगीन आरोप भी जुड़े हुए हैं।

इस प्रकार से यूएपीए कानून का उपयोग करते हुए एक विरोध प्रदर्शन की तुलना आतंकवाद से करना तो लोकतांत्रिक सिद्धांतो का सीधा उल्लंघन है।

नियमगिरि पहाड़ की बॉक्साइट के भंडारों पर दशकों से वेदांता कम्पनी की नजरें हैं, पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय के कारण, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि ग्रामसभाओं की सहमति के बगैर यहाँ कोई खनन नहीं होगा, यह पर्वत अभी तक बचा हुआ है। फिर भी गत वर्षों में यहाँ पर चौड़ी सड़कों और अन्य खनन के लिये आवश्यक अधोसंरचना का निर्माण हो गया है, और वेदांता कंपनी माइनिंग शुरू करवाने का मौका तलाश रही है है। जनता के मनोबल तोड़ने के लिये सरकार ने इससे पहले भी कई बार नियमगिरी सुरक्षा समिति पर दमनात्मक कार्यवाही की है और उनके कार्यकर्ताओं पर लगातार निगरानी की जाती है।

पिछले दिनों रायगड़ा जिले के काशिपुर क्षेत्र के सिजीमाली बॉक्साईट ब्लॉक वेदांता कंपनी को, और पास ही का कुटरूमाली ब्लॉक अडानी कंपनी को आवंटित किया गया है। दोनों का एमडीओ (माईन डेवेलेपर और ओपरेटर, यानि खदान को विकसित करने वाला और इसका संचालक) मैत्री इन्फ्रस्ट्रक्चर एंड माईनिंग इंडिया प्राईवेट लिमिटेड है। यहाँ पर न तो खनन हेतु लोगों की राय लेने के लिये पेसा कानून या वन अधिकार कानून के अंतर्गत ग्राम सभा हुई है, और न ही पर्यावरण प्रभाव आंकलन नियमों के अंतर्गत कोई जन सुनवाई हुई है। एक ओर यहाँ के आदिवासी ग्रामीणों ने खनन के विरोध में एकजुट हो कर सिजीमाली कुटरूमाली विरोधी समिति का गठन किया है। दूसरी ओर स्थानीय प्रशासन की सहायता से यहाँ पर मैत्री कम्पनी जनसंपर्क शिविरों का आयोजन कर रही है, और लोगों के आधार कार्ड और बैंक खातों का नंबर लेने की कोशिश कर रही है। 4 और 5 अगस्त को पुलिस के साथ जब कंपनी के अधिकारियों ने गाँव में घुसने का प्रयास किया, तो लोगों ने जमकर उनका विरोध किया। इस विरोध को लेकर अगले 3-4 दिन में 100 से अधिक ग्रामीणों के खिलाफ 4 एफआईआर दर्ज किये गये है। फिर दिनांक 12 अगस्त 2023 को 95 नामजद आरोपियों और 150 अन्य लोगों के विरुद्ध भा.द.वि 307 सहित आयुध अधिनियम, और दंड विधि संशोधन अधिनियम के तहत एक और एफआईआर दर्ज किया गया। इस एफआईआर के अंतर्गत 25 से अधिक आंदोलनरत ग्रामीण गिरफ्तार हो चुके है, और अभी भी लगातार गिरफ्तारियाँ हो रही हैं। पुलिस के भय से बहुत सारे युवक गाँव छोड़ कर चले गये हैं।

कोरापुट जिले के माली पर्वत पर बॉक्साइट माईनिंग लीज आदित्य बिरला ग्रुप की प्रमुख कंपनी हिंडाल्को  को दी गई है। हिंडाल्को ने गत कई वर्षों यहाँ पर्यावरण स्वीकृति की समाप्ति के बाद भी गैर कानूनी रूप से माईनिंग की है, और अब पुनः पर्रयावरण स्वीकृति लेने की प्रक्रिया मे जुटि हुई है। पर माली पर्बत के आदिवासी, दलित और बहुजन लोग इसका कदम-कदम पर विरोध कर रहे हैं। उच्च न्यायालय के आदेशानुसार यहाँ जनवरी 2023 में जिला न्यायाधीश की उपस्थिति में जनसुनवाई आयोजित की गई, जिसमें अधिकांश वक्ताओं ने खुल कर खनन का विरोध किया। परन्तु उसके उपरांत भी ग्रामीणों पर कई प्रकार के दबाव बनाये जा रहे हैं।

23 अगस्त 2023 को माली परवत सुरक्षा समिति के दो वरिष्ठ नेताओं, अभी सदापेल्ली और दासा खोरा को छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा अलग अलग जगहों से उठाया गया और बलपूर्वक उन्हें दंतेवाड़ा लाया गया। जब उनके परिवारों ने पुलिस थानों में अपहरण की शिकायत की, तो उन्हें 26 अगस्त को दंतेवाड़ा के पास छोड़ा गया।

29 अगस्त को सुविख्यात सामाजिक कार्यकर्ता एवं गोल्डमैन पर्यावरण पुरुस्कार से सम्मानित प्रफुल्ल समंतरा रायगड़ा के जेल में सिजीमाली और कुटरुमाली के गिरफ्तार आदिवासी नेताओं से मिलने और उनको अपना समर्थन देने गये थे। शाम को उनकी प्रेस कांफ्रेंस थी। पर इससे पहले कि वे प्रेस की बीच अपनी बात रख सके, उनके होटल के कमरे में कुछ साधारण वेशभूषा वाले पुरुष आये, और उनकी आँखो और मुँह पर पट्टी बाँध कर, उनके हाथों को बाँधकर, मोबाईल फोन छीन कर, उनको अपने साथ गाड़ी में ले गये। पाँच घंटो बाद समंतरा को इन लोगों ने बरहमपुर छोड़ दिया। अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि समंतरा के अपहरणकर्ता माईनिंग कंपनी के कर्मचारी थे या फिर सथानीय पुलिस, पर यह स्पष्ट है कि इनका अपहरण मात्र इसलिये हुआ ताकि वे प्रेस के बीच सिजीमाली और कुटरूमाली माईनिंग के विरोध में बातें नहीं रख सकें।

यह गौर करने योग्य है कि कोरापुट, रायगड़ा और कालाहांडी जिलों के उक्त तीनों माईनिंग क्षेत्र पाँचवी अनुसूची के अन्तर्गत आते हैं। पेसा कानून और वन अधिकार कानून स्पष्ट हैं कि ग्राम सभा ही निर्णय करेगी कि इनके क्षेत्र में खनन हो कि नहीं, और समता जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट ने तो ऐसा भी कहा है कि अनुसूचित क्षेत्रों में निजी माइनिंग कंपनियाँ खनन नहीं कर सकती हैं। नियमगिरि पर्वत में खनन से संबंधित ऐतिहासिक फैसले पर सर्वोच्च न्यायालय ने शासन को आदेशित किया था कि वे ग्राम सभाओं का आयोजन करें जिनमें आदिवासी ग्रामीण खुल कर माइनिंग पर अपनी राय दे पायें, और इन 12 ग्राम सभाओं ने जब खनन के संबंध में अपनी असहमति व्यक्त की, तब से आज तक नियमगिरि पर्वत पर बॉक्साइट माइनिंग नही हो पाई है। छत्तीसगढ़ में भी कई जन आंदोलनों ने ओडिशा के इन संघर्षों से प्रेरित होकर और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होकर पर्यावरण विनाश खनन का विरोध किया है।

कानून के स्पष्ट होने के बावजूद, अगस्त महीने की उक्त सभी वारदातों से जाहिर है कि देश का कानून भले कुछ भी कहे, भारतीय सत्तातंत्र बड़ी-बड़ी कंपनियों के इशारे पर ही नाचता है। बार बार पुलिस और प्रशासन का उपयोग कार्परेट घरानों के पक्ष में आदिवासियों के अधिकारों को कुचलने के लिये ही किया जाता है। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन पुलिस और प्रशासन की घोर निंदा करते हुए निम्न मांगे रखता है-

1. नियमगिरी सुरक्षा समिति, और सिजीमाली और कुटरुमाली आंदोलन के सभी गिरफ्तार साथियों को तत्काल रिहा करो

2. नियमगिरी सुरक्षा समिति के साथियों पर यएपीए वाले एफआईआर को रद्द करो

3. सिजीमाली और कुटरूमाली आंदोलनकारियों पर सारे एफआईआर रद्द करो

4. सिजीमाली, कुटरूमाली और माली पर्बत के क्षेत्रों में सर्वप्रथम मैत्री कंपनी के प्रभाव से मुक्त ग्राम सभाओं का आयोजन होना चाहिये, जिनसे ग्रामीणों का मत स्पष्ट हो। उनकी माईनिंग के लिये उनकी सहमति से ही मैत्री और अन्य खनन संबंधी कंपनियों को गाँव मे प्रवेश करने की अनुमति हो।

जारीकर्ता - छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, अखिल भारतीय आदिवासी महासभा, जिला किसान संघ, राजनादगांव, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (मजदूर कार्यकर्त्ता समिति), जन स्वास्थ्य कर्मचारी यूनियन, छत्तीसगढ़ वनाधिकार मंच, भारत जन आंदोलन, हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति (कोरबा, सरगुजा), माटी (कांकेर), अखिल भारतीय किसान सभा (छत्तीसगढ़ राज्य समिति), छत्तीसगढ़ किसान सभा, किसान संघर्ष समिति कुरूद, दलित आदिवासी मंच (सोनाखान), गाँव गणराज्य अभियान (बलरामपुर), आदिवासी जन वन अधिकार मंच (कांकेर), सफाई कामगार यूनियन, मेहनतकश आवास अधिकार संघ (रायपुर), मूलवासी बचाओ मंच, जशपुर जिला संघर्ष समिति, राष्ट्रीय आदिवासी विकास परिषद् (छत्तीसगढ़ ईकाई-रायपुर), जशपुर विकास समिति, रिछारिया कैम्पेन


नमस्ते जी ! कृपया यह पोस्ट शेयर कर सहयोग दीजिए।

रुद्रपुर (उत्तराखंड, भारत) से प्रकाशित हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र पीपुल्स फ्रैंड एवं हिंदी समाचार वेबसाइट पीपुल्सफ्रैंड.इन के रिपोर्टर बनने, अपने समाचार, विज्ञापन, रचनाएं छपवाने, अपना अखबार, पत्रिका, यूट्यूब चैनल, फेसबुक पेज, वेबसाइट, समाचार पोर्टल बनवाने, अपनी पोस्ट, पोस्टर, विज्ञापन आदि लाइक, शेयर करवाने इत्यादि कार्यों हेतु संपर्क करें- व्हाट्ऐप, टेलीग्राम 9411175848 ईमेल peoplesfriend9@gmail.com

#worlhistoryofseptember5th #fact #news #nature #life #india #world #gk #truth #Politics #justice #peace #war #treaty #economy #employment #inflation #world #foods #Science #health #medicine #Literature #cinema #entertainment #NationalNutritionWeek #InternationalBaconDay #WorldCoconutDay #SanMarino #CEDAW #WorldSkyscraperDay #NationalLaborDay #NewspaperCarriersDay #InternationalDayofCharity #Teacher'sDay

No comments

Thank you for your valuable feedback