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मृदा प्रदूषण से मानव स्वास्थ्य को गंभीर खतरा, लेकिन इस पर कभी ध्यान नहीं दिया गया Soil pollution poses serious threat to human health, but it was never noticed



नई दिल्ली। आधुनिक दुनिया की बड़ी समस्या प्रदूषण है। वायु, जल, खाद्य, पेय सब कुछ प्रदूषित है। पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को मृदा प्रदूषण से उतना ही गंभीर खतरा है जितना कि वायु और जल और प्रदूषणों से है। यद्यपि इस पर बहुत कम ध्यान दिया गया । वायु प्रदूषण के विपरीत मृदा प्रदूषण की ओर आमतौर पर कम ध्यान जाता है और इसका सीधा आकलन नहीं किया जा सकता है, जिससे यह एक छिपी हुई समस्या बन जाती है जिसके गंभीर परिणाम होते होंगे और यकीनी तौर पर हो सकते हैं। पिछले दशक के दौरान इस समस्या के बारे में जन जागरूकता में सुधार हुआ है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा 2018 में प्रकाशित एक ग्राउंड ब्रेकिंग रिपोर्ट मृदा प्रदूषण - एक छिपी हुई वास्तविकता में इसे रेखांकित किया गया था, जिसे विशेषज्ञों द्वारा वैश्विक समुदाय की समस्या की मान्यता में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना गया है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि मूल्यांकन के तौर-तरीके हर क्षेत्र के लिए अलग-अलग होते हैं। दक्षिण, दक्षिण पूर्व और पूर्वी एशिया के घनी आबादी वाले क्षेत्रों में मिट्टी का प्रदूषण सबसे गंभीर समस्या बन जाता है। इस क्षेत्र में भारत, बांग्लादेश, चीन और अन्य शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार मृदा प्रदूषण का खाद्य सुरक्षा पर दो तरह से प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है - एक ओर, यह प्रदूषकों के विषाक्त स्तरों के कारण फसल की पैदावार को कम कर सकता है, और दूसरी तरफ प्रदूषित मिट्टी में उगाई जाने वाली फसलें असुरक्षित होती हैं, जिससे मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ जानवरों के लिए भी खतरा है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि मृदा प्रदूषण के मुख्य स्रोत मानव निर्मित हैं। इनमें औद्योगिक गतिविधि, कृषि रसायन और अनुचित अपशिष्ट निपटान शामिल हैं। औद्योगिक गतिविधियों, घरेलू, पशुधन और नगर निगम के कचरे (अपशिष्ट जल सहित) के उपोत्पाद और कृषि रसायन इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। एफएओ और यूएनईपी द्वारा 2021 में जारी मृदा प्रदूषण का वैश्विक आकलन रिपोर्ट जैसे अध्ययनों में इन निष्कर्षों की एक बार फिर पुष्टि की गई है। लेखकों ने कहा कि मृदा प्रदूषण दुनिया की मिट्टी के लिए प्रमुख खतरों में से एक है। यह सुरक्षित और पौष्टिक भोजन के प्रावधान, स्वच्छ पानी की उपलब्धता, और मिट्टी की जैव विविधता के अस्तित्व और संरक्षण सहित प्रमुख मिट्टी पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को खतरे में डालता है।

दूसरी ओर पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, हालांकि प्रदूषित मिट्टी का उपचार प्रौद्योगिकी और पुनर्वास रणनीति के आधार पर कठिन और महंगा दोनों हो सकता है, पारिस्थितिक तंत्र को बहाल करने के लिए यह आवश्यक है। बड़े व्यवसायों और अनुसंधान संस्थानों के सहयोग के बिना और भारी वित्तीय, प्रशासनिक तथा तकनीकी सहायता प्रदान किए बिना बड़े पैमाने पर उपचारात्मक परियोजनाओं को साकार करने का कोई तरीका नहीं है। रूसी तेल कंपनी रोसनेफ्ट इस बात का एक सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत करती है कि कैसे बड़ी कंपनियां मृदा प्रदूषण से निपटने में योगदान दे सकती हैं। कंपनी ने 2013 से 2022 के बीच 10 साल में 2,500 हेक्टेयर ऐतिहासिक विरासत भूमि (सोवियत काल के दौरान क्षतिग्रस्त) को उपजाऊ बना दिया है। भविष्य की उनकी योजनाएं और भी महत्वाकांक्षी हैं।

बताया जाता है कि रोसनेफ्ट ने 2035 तक अपनी उपस्थिति के क्षेत्रों में सभी ऐतिहासिक विरासत भूमि को पुनः उपजाऊ बनाने की योजना बना रहा है। कंपनी के प्रतिनिधियों ने पूरी तरह रूसी पर्यावरण ऑनलाइन प्लेटफॉर्म क्लीन फ्यूचर द्वारा आयोजित स्वच्छ भूमि रूस में पारिस्थितिक तंत्र के आधार के रूप में मिट्टी नामक गोलमेज सम्मेलन में यह बात कही। कंपनी अपनी 2030 की रणनीति के हिस्से के रूप में पर्यावरण प्रबंधन के लिए अपने दृष्टिकोण में सुधार जारी रखे हुए है, अपनी पर्यावरणीय गतिविधियों का विस्तार कर रही है और आवश्यक निवेश हासिल कर रही है। सतत विकास और हरित एजेंडे के देश के अग्रणी पैरोकारों में से एक, रोसनेफ्ट अपने पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और पर्यावरण के अनुकूल व्यवसाय बनने की अपनी प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में पारिस्थितिक तंत्र पर ओवरऑल सकारात्मक प्रभाव हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। रूस के उत्तरी क्षेत्रों में मिट्टी की जैव विविधता और उत्पादकता को बहाल करने के लिए, रोसनेफ्ट के पर्यावरणविदों ने कई नये तरीकों और तकनीकों को विकसित और कार्यान्वित किया है। बेहद अहम तकनीकों में से एक सर्दियों में मिट्टी की दोबारा खेती है, जिसका उपयोग जलभराव वाली मिट्टी में किया जाता है। पिछले दिनों 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस पर रोसनेफ्ट ने मिट्टी के पुनर्वास के लिए और महत्वाकांक्षी योजनाओं की घोषणा की, जो सतत विकास प्रयासों के प्रमुख पहलुओं में से एक बन गई।

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