ब्रेकिंग न्यूज़

दलितों-स्त्रियों के मुक्तिदाता, शिक्षा प्रसारक, सहायक, मानवीयता से परिपूर्ण जोतिबा फुले एवं सावित्री बाई - कुछ प्रेरक तथ्य Liberators of Dalit-women, spreaders of education, helpers, Jotiba Phule and Savitri Bai full of humanity - some inspiring facts



रुद्रपुर (ऊधम सिंह नगर) उत्तराखंड। हिंदू धर्म में व्याप्त भयंकर शोषण, उत्पीड़न, भेदभाव के खिलाफ लड़ने और जनचेतना जगाने में ज्योतिराव गोविंदराव फुले तथा उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले का स्थान शीर्ष पर है। ज्योतिराव फुले 19वीं सदी के एक महान समाजसुधारक, समाज प्रबोधक, विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे। इन्हें महात्मा फुले एवं जोतिबा फुले भी कहा जाता है। इनका जन्म कटगन, महाराष्ट्र में दलित परिवार में 11 अप्रैल 1827 को हुआ। ज्योतिराव ने अपना पूरा जीवन स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार दिलाने, बाल विवाह प्रथा को समाप्त कराने में लगा दिया। फुले समाज को कुप्रथा, अंधश्रद्धा के जाल से समाज को मुक्त करना चाहते थे। एक वर्ष की अवस्था में ही इनकी माता का निधन हो गया। इनका लालन-पालन एक बायी ने किया। ज्योतिबा ने कुछ समय मराठी में अध्ययन किया, बीच में पढाई छूट गई और बाद में 21 वर्ष की उम्र में अंग्रेजी की सातवीं कक्षा की पढाई पूरी की। इनका विवाह 1840 में सावित्री बाई से हुआ, जो बाद में स्वयं एक प्रसिद्ध समाजसेवी बनीं। दलित व नारी शिक्षा के क्षेत्र में दोनों पति-पत्नी ने मिलकर काम किया वह एक कर्मठ और समाजसेवी की भावना रखने वाले व्यक्ति थे। महात्मा ज्योतिबा फुले ने साल 1848 में लड़कियों के लिए देश का पहला महिला स्कूल खोला था। पुणे में खोले गए स्कूल में उनकी पत्नी सावित्रीबाई पहली शिक्षिका बनीं। तब समाज के एक तबके ने इसका विरोध भी किया और तरह-तरह से परेशान किया। ज्योतिबा फुले को अपना स्कूल बंद करना पड़ा।

बाद में उन्होंने फिर से स्कूल चालू किया। ज्योतिराव फुले ने दलितों और वंचितों को न्याय दिलाने के लिए सत्यशोधक समाज की स्थापना की थी। समाज परिवर्तन के आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए 24 सितंबर 1873 को इसकी स्थापना की गई थी। इसका प्रमुख उद्देश्य शूद्रों-अतिशूद्रों को न्याय दिलाना, उन्हें शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना, उन्हें उत्पीड़न से मुक्ति दिलाना, वंचित वर्ग के युवाओं के लिए प्रशासनिक क्षेत्र में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना आदि शामिल था। ज्योतिराव फुले को उनकी समाज सेवा से प्रभावित होकर 1888 में मुंबई की एक सभा में महात्मा की उपाधि से नवाजा गया।

-कहा जाता है कि वर्ष 1848 में ज्योतिबा फुले एक ब्राह्मण मित्र की शादी में भाग लेने गये हुए थे। यहां पर निम्न जाति का होने के कारण ज्योतिबा फुले को खूब जलील किया गया। उसी समय उन्होंने सामाजिक असमानता को जड़ से उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया और फिर दलितों, स्त्रियों के साथ होने वाले भेदभाव, शोषण, उत्पीड़न के खिलाफ काम शुरु किया। इसमें उनकी पत्नी सावित्री बाई ने आगे बढ़कर उनका साथ दिया।

-अपने जीवन काल में उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखीं-गुलामगिरी, तृतीय रत्न, छत्रपति शिवाजी, राजा भोसला का पखड़ा, किसान का कोड़ा, अछूतों की कैफियत। ज्योतिराव व उनके संगठन के संघर्ष के कारण सरकार ने एग्रीकल्चर एक्ट पास किया।

-ज्योतिबा ने ब्राह्मण-पुरोहित के बिना ही विवाह-संस्कार आरम्भ कराया और इसे मुंबई उच्च न्यायालय से भी मान्यता मिली। वे बाल-विवाह विरोधी और विधवा-विवाह के समर्थक थे।

-उच्च वर्ग के लोगों ने आरंभ से ही उनके काम में बाधा डालने की कोशिश की लेकिन जब फुले आगे बढ़ते ही गए तो उनके पिता पर दबाब डालकर पति-पत्नी को घर से निकालवा दिया। इससे कुछ समय के लिए उनका काम रुका जरूर लेकिन शीघ्र ही उन्होंने एक के बाद एक बालिकाओं के तीन स्कूल खोल दिए।

-शिक्षा के साथ-साथ फुले दंपति ने विधवा के लिए आश्रम, विधवा पुनर्विवाह, नवजात शिशुओं के लिए आश्रम, कन्या शिशु हत्या के खिलाफ भी आवाज बुलंद की।

-ज्योतिराव ने ही दलित शब्द का पहली बार प्रयोग किया था।

28 नवंबर, 1890 को 63 साल की उम्र में उनका निधन हुआ था।

3 जनवरी 1831 को महान सामाजिक कार्यकत्री, भारत में पहली महिला शिक्षक, और मराठी भाषा में पहली महिला कवयित्री सावित्रीबाई फुले का जन्म। बालिकाओं, महिलाओं को माता सावित्री बाई फुले का ऋणि होना चाहिए। महिलाओं की मुश्किलें कम करने, उनकी मुक्ति के द्वार खोलने वाली महान सामाजिक कार्यकर्ता भारत की पहली महिला सावित्रीबाई फुले का जन्म महाराष्ट्र के सतारा के नायगांव में एक किसान परिवार में 1831 में 3 जनवरी को हुआ था। उन्होंने महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने में अहम भूमिका निभाई और भारत में महिला शिक्षा की अगुआ बनीं। सावित्रीबाई फुले को भारत की सबसे पहली आधुनिक नारीवादियों में से एक माना जाता है। 1840 में महज नौ साल की उम्र में सावित्रीबाई का विवाह 13 साल के ज्योतिराव फुले से हुआ था। उन्होंने बाल विवाह और सती प्रथा जैसी बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई।

अपने पति ज्योतिराव के साथ मिलकर उन्होंने महिला शिक्षा पर बहुत जोर दिया। देश में लड़कियों के लिए पहला स्कूल साावित्रीबाई और उनके पति ज्योतिराव ने 1848 में पुणे में खोला था। इसके बाद सावित्रीबाई और उनके पति ज्योतिराव ने मिलकर लड़कियों के लिए 17 और स्कूल खोले।

सावित्रीबाई न केवल महिलाओं के अधिकारों के लिए काम किया बल्कि वह समाज में व्याप्त भ्रष्ट, अपमानित करने वाली, शोषणकारी जाति प्रथा के खिलाफ भी लड़ीं। जाति प्रथा को खत्म करने के अपने जुनून के तहत उन्होंने अछूतों के लिए अपने घर में एक कुआं बनवाया था। सावित्रीबाई न केवल एक समाज सुधारक थीं बल्कि साथ ही वह एक दार्शनिक और कवयित्री भी थीं। उनकी कविताएं अधिकतर प्रकृति, शिक्षा और जाति प्रथा को खत्म करने पर केंद्रित होती थीं।

सावित्रीबाई फुले ने बलात्कार की शिकार गर्भवती महिलाओं, लड़कियों की दयनीय स्थिति को देखते हुए अपने पति के साथ मिलकर पीड़िताओं के लिए बालहत्या प्रतिबंधक गृह नाम से एक देखभाल केंद्र खोला। विधवाओं के दुख को कम करने के लिए, उन्होंने नाइयों के खिलाफ एक हड़ताल का नेतृत्व किया ताकि वे विधवाओं का मुंडन न कर सकें, जोकि उस समय की एक प्रथा थी।

सावित्रीबाई फुले ने बच्चों को पढ़ाई करने और स्कूल छोड़ने से रोकने के लिए एक अनोखा प्रयास किया। वह बच्चों को स्कूल जाने के लिए उन्हें वजीफा देती थीं। ऐसे वक्त में जब देश में जाति प्रथा अपने चरम पर थीं, तो उन्होंने अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा दिया। उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर सत्यशोधक समाज की स्थापना की, जो बिना पुजारी और दहेज के विवाह आयोजित करता था। 1897 में पुणे में प्लेग फैला था और इसी महामारी की वजह से 66 वर्ष की उम्र में सावित्रीबाई फुले का 10 मार्च 1897 को पुणे में निधन हो गया था। स्वयं को श्रेष्ठ धर्म का बताने वाले हिंदुओं ने सदियों महिलाओं और दलितों का बहुत शोषण और दमन किया। वे स्त्री और दलित अधिकारों का सदैव विरोध करते रहे और उनका अपमान तथा शोषण, उत्पीड़न करते रहे। हिंदुओं में तमाम समाज सुधारक हुए। उन्होंने बुराइयों को खत्म करने का प्रयत्न किया इनमें सावित्री बाई अग्रणी हैं। उन्होंने न केवल विरोध किया बल्कि महिलाओं, दलितों के लिए धरातल पर काम किया। समाज के अग्रणी, शक्तिशाली लोगों के विरोधों और अवरोधों का सामना किया। 

विशेष सूचना - सम्मानित पाठकगण सादर अभिवादन !

पीपुल्सफ्रैंड.इन में समाचार, रचनाएं, विज्ञापन छपवाने एवं पीपुल्स फ्रैंड हिंदी अखबार एवं पीपुल्सफ्रैंड.इन वेबसाइट का रिपोर्टर बनने अथवा अपना अखबार, पत्रिका, न्यूज वेबसाइट, यूट्यूब चैनल, फेसबुक पेज आदि चलवाने के लिए संपर्क करें- एपी भारती (संपादक) व्हाट्सऐप 9411175848 रुद्रपुर, उत्तराखंड, भारत #worldhistoryof11april

No comments

Thank you for your valuable feedback