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लापरवाही से बढ़ रहे मरीज, हो रहीं अकाल मौतें, टीबी लक्षण वाले 64 प्रतिशत लोगों ने स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं नहीं लीं Patients increasing due to negligence, premature deaths, 64 percent people with TB symptoms did not take health care services



नयी दिल्ली। हाल ही में 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया गया। सरकारों द्वारा टीबी के उपचार की बेहतर व्यवस्थाओं के दावे किये गये और विज्ञान, स्वास्थ्य, चिकित्सा से जुड़ी संस्थाओं ने चिंताजनक स्थितियों की जानकारी दी। यह चिंताजनक है कि लोग क्षय रोग यानी टीबी को गंभीरता से नहीं ले रहे। सरकारों और उनके लगुए-भगुओं द्वारा यह दावे किये गये कि 2020 से कोरोना के अधिकांश लाखों मरीज फेफड़ों की दिक्कत से मरे। मालूम होना चाहिए कि टीबी मुख्यतया फेफड़ों की बीमारी है। हालांकि यह अन्य अंगों में भी होती है। लेकिन सर्वाधिक मारक फेफड़ों का प्रभावित होना है। कभी इसे राजरोग कहा जाता था। पहले अमीर लोग ही इसका इलाज करा पाते थे। जब इसके इलाज की सुविधा हुई तो सरकारों ने इसके लिए चुनिंदा जगहों पर अस्पताल खोले। भवाली सेनेटोरियम (अब उत्तराखंड में) गुजरे जमाने का प्रमुख टीबी उपचार केंद्र हुआ करता था।

विश्व टीबी दिवस के अवसर पर केंद्र सरकार द्वारा जारी 2019 से 2021 तक किए गए एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है कि तपेदिक (टीबी) के लक्षणों वाले 64 प्रतिशत लोगों ने स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं नहीं मांगी। राष्ट्रीय तपेदिक प्रसार सर्वेक्षण की रिपोर्ट बृहस्पतिवार को विश्व टीबी दिवस के अवसर पर जारी की गई। जानकारी के अनुसार, सभी प्रकार की टीबी के लिए उच्चतम प्रसार दिल्ली में प्रति लाख पर 747 रहा और सबसे कम गुजरात में 137 था। 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में टीबी के सभी स्वरूपों का प्रसार 31.4 प्रतिशत रहा। माइक्रोबायोलॉजिकल रूप से पुष्ट पल्मोनरी टीबी (पीटीबी) का प्रसार प्रति लाख जनसंख्या पर 316 था, जिसमें उच्चतम पीटीबी प्रसार दिल्ली में प्रति लाख 534 रहा। हरियाणा चैथे स्थान पर (465) रहा। मालूम हो कि दूषित खान-पान, पर्यावरण और कुपोषण की समस्याएं लगातार महंगाई बढ़ने और आमदनी घटने के कारण हमारे स्वास्थ्य- चिकित्सा पर होने वाले खर्च में कटौती हुई है। सभी तरह की चीजों की बढ़ती कीमतें हमें मजबूर करती हैं कि हम अपने खान-पान और स्वास्थ्य-चिकित्सा व्यय में कटौती करें। पर्यावरण की हालत दिनों-दिन खराब हो रही है ऐसे में टीबी होने की संभावनाएं भी काफी बढ़ रही हैं।

ऐसे में स्वास्थ्य और खासतौर पर टीबी के मद्देनजर फेफड़ों की देखभाल जरूरी है। खांसी, श्वांस लेने में परेशानी हो तो जांच, बेहतर, पौष्टिक भोजन, नियमित दवा और व्यायाम पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।

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