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2040 तक 3 गुना हो जाएगा प्लास्टिक कचरा, जीव-जंतु, मनुष्य, प्रकृति के लिए लगातार बढ़ रहा संकट 2040 तक 3 गुना हो जाएगा प्लास्टिक कचरा, जीव-जंतु, मनुष्य, प्रकृति के लिए लगातार बढ़ रहा संकट Plastic waste will increase three times by 2040, increasing crisis for animals, humans, nature Plastic waste will increase three times by 2040, increasing crisis for animals, humans, nature



न्यू यार्क, अमेरिका. अध्ययन, जमीनी हकीकत बताती है कि पर्यावरण विरोधी प्लास्टिक उत्पादों पर रोक के सरकारों के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। इसका प्रयोग बढ़ता जा रहा है और प्लास्टिक कचरे के अंबार बढ़ते जा रहे हैं। अगर महासागरों में प्लास्टिक के कचरे को फेंके जाने की गति आज की सामान्य गति से जारी रही तो 2040 तक यह तीन गुना हो जाएगा. बुधवार को प्रकाशित हुई एक रिसर्च में कहा गया है कि 2005 के बाद से महासागरों में प्लास्टिक फेंके जाने की मात्रा में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ काम करने वाली अमेरिकी संस्था 5 जाइर्स इंस्टिट्यूट के एक शोध में कहा गया है कि 2019 तक दुनिया के महासागरों में 171 ट्रिलियन टन प्लास्टिक तैर रहा था. रिपोर्ट कहती है कि अगर यही रफ्तार रही तो 2040 तक इस मात्रा में 2.6 गुना ज्यादा तक वद्धि संभव है.

अध्ययन बताते हैं कि माइक्रोप्लास्टिक यानी प्लास्टिक के कचरे के बेहद सूक्ष्म कण तो महासागरों के लिए खासतौर पर खतरनाक होते हैं. वे ना सिर्फ जल को प्रदूषित करते हैं बल्कि समुद्री जीवों के अंदरूनी अंगों को भी नुकसान पहुंचाते हैं और उन्हें खराब कर देते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि समुद्र में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक के खतरों को अब तक कम करके आंका गया है। प्रदूषण घटाने के लिए काम करने वाली ऑस्ट्रेलियाई संस्था एनवायरमेंटल साइंस सॉल्यूशंस में वैज्ञानिक और प्लास्टिक एक्सपर्ट पॉल हार्वी कहते हैं, ष्इस शोध में सामने आए आंकड़ों का स्तर अत्याधिक विशाल और कल्पना के बाहर है।

शोध में 1979 से 2019 तक छह समुद्री क्षेत्रों के 11,777 स्थानों पर सतह पर तैरने वाले प्लास्टिक के कचरे का अध्ययन किया गया है। पर्यावरण संस्था एनवायरमेंटल साइंस सॉल्यूशंस के सह-संस्थापक मार्कुस इरिकसन ने कहा, ष्इस सदी की शुरुआत के बाद से महासागरों में माइक्रोप्लास्टिक की वृद्धि की दर अभूतपूर्व रही है। इरिकसन का कहना हैं कि प्लास्टिक प्रदूषण पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक कानूनन बाध्यकारी समझौते की जरूरत है ताकि इस समस्या को जड़ पर ही रोका जा सके. हाल ही में हुए वैश्विक सागरीय समझौते के बाद प्लास्टिक के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय संधि की संभावनाएं मजबूत हुई हैं।

संयुक्त राष्ट्र ने विगत वर्ष प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय संधि करने की कोशिशें शुरू की हैं. इसके तहत नवंबर में उरुग्वे में एक बातचीत की शुरुआत की गई थी, जिसका मकसद अगले साल के आखिर तक कानूनन बाध्यकारी संधि का मसौदा तैयार करना है। पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्था ग्रीनपीस ने भी ऐसी संधि की जरूरत बताई है। ग्रीनपीस का कहना है कि ऐसी मजबूत वैश्विक संधि के बिना अगले 10-15 साल में ही उत्पादन दोगुना और 2050 तक तीन गुना हो सकता है। विशेष सूचना - सम्मानित पाठकगण सादर अभिवादन !

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