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हिमालयी पर्यावरण संस्थान ने चमोली के लोगों को खेती, वन संपदा से आजीविका बढ़ाने के उपाय बताए Himalayan Environment Institute told the people of Chamoli to increase their livelihood through farming and forest wealth



अल्मोड़ा। गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा के ग्रामीण तकनीकी परिसर में चमोली जनपद के जोशीमठ विकासखंड में कार्यरत जनमैत्री संगठन द्वारा चयनित 30 एफ.पी.ओ. सदस्यों हेतु एक दिवसीय प्रशिक्षण एवं जागरूकता शिविर आयोजित किया गया। संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं ग्रामीण तकनीकी प्रभारी डा. अशोक कुमार साहनी ने प्रशिक्षणार्थियों को संस्थान के ग्रामीण तकनीकी परिसर में प्रदर्शित विभिन्न आजीविका वृद्धि एवं पर्यावरण सम्वर्धन तकनीकों की विस्तृत जानकारी देते हुए संस्थान के प्रशिक्षण कार्यो से जुड़ने को कहा। 

डी. एस. बिष्ट एवं डा. देवेन्द्र चैहान ने प्रतिभागियों को परिसर में प्रदर्शित विभिन्न कम लागत की सरल एवं पर्यावरण मित्र तकनीकों मॉडलों जैसे- पिरूल से कोयला, कागज, सजावटी सामान, इत्यादि बनाना, विभिन्न प्रकार की जैविक खाद (वर्मी कम्पोस्ट, बायोकम्पोस्ट, हीप कम्पोट, इत्यादि) तैयार करना एकीकृत मछली पालन, संरक्षित खेती जैसे- पौलीहाउस, पौलीटनल, नैट हाउस, इत्यादि, विषय की जानकारी प्रदान की। इस अवसर पर उपस्थित विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की वैज्ञानिक डा0 कुशाग्रा जोशी ने भी प्रतिभागियों को संबोधित किया।

प्रतिभागियों ने बतायी गयी तकनीकों को किसानों के लिए बहुत उपयोगी एवं लाभप्रद बताया। प्रशिक्षण शिविर प्रशिक्षण दल के प्रमुख जनमैत्री संस्था के प्रतिनिधि सुनील तिवारी ने संस्थान का धन्यवाद अदा करते हुए भविष्य में भी इस तरह के शिविर आयोजित करने को कहा।

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