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हिमालयी पर्यावरण संस्थान अल्मोड़ा ने महिलाओं को दिया स्वावलंबन हेतु चीड के पिरूल से कोयला बनाने का प्रशिक्षण Himalayan Environment Institute, Almora gave women self-reliance training to make coal from pine cones



अल्मोड़ा। गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के तहत युकॉस्ट देहरादून द्वारा चलायी जा रही ‘उत्तराखंड में ग्रामीण समुदाय के मध्य रोजगार एवं आय सृजन हेतु पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु चीड की पत्तियों पर आधारित जैविक ईधन (बायो-ब्रिकेट) प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन एवं विस्तार’ परियोजना के अंतर्गत पर्यावरण हेतु जीवनशैली पर एक जागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यशाला 8 फरवरी को अल्मोड़ा जिले के हवालबाग विकासखंड के ग्राम गेवापानी ,मनाऊँ में आयोजित की गयी। कार्यशाला में परियोजना की निदेशक वैज्ञानिक डॉ हर्षित पंत जुगरान नेतृत्व में महिलाओं को चीड के पिरूल से जैविक ईधन बनाने तथा पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली में इसकी उपयोगिता के बारे में प्रयोगात्मक प्रशिक्षण दिया गया।

संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक तथा ग्रामीण तकनीकी परिसर के अधिशासी वैज्ञानिक डॉ अशोक कुमार साहनी द्वारा महिलाओं को आजीविका संवर्धन द्वारा स्वावलंबी बन कर आय अर्जित करने पर व्याख्यान दिया गया. इस कार्यशाला में कुल 30 ग्रामीण महिला प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया एवं अपने क्षेत्र में पिरूल का कोयला बनाने हेतु अपनी सहमति प्रदान की जिस हेतु उन्हें परियोजना निदेशक द्वारा परियोजना के अंतर्गत कोयला बनाने हेतु हस्तचालित मशीन भी प्रदान की गयी. प्रशिक्षण कार्यशाला में संस्थान से विजय बिष्ट, गोपाल एरी ने कार्यक्रम संचालन में अपना सहयोग प्रदान किया. 

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