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नोटबंदी बर्बादी वाला फैसला था इससे आर्थिक प्रगति थमी, लाखों नौकरियां खत्म हुईं, नोटबंदी को कोर्ट ने जायज नहीं ठहराया Demonetisation was a wasteful decision, it stalled economic progress, millions of jobs were lost, the court did not justify demonetisation



नई दिल्ली। यह बड़े अफसोस की बात है कि सर्वोच्च न्यायालय ने नोटबंदी को अनुचित करार नहीं दिया। कोर्ट की अपनी सीमाएं या जजों की मजबूरियां हो सकती हैं। लेकिन नोटबंदी के दुष्परिणाम भारत की जनता ने झेले हैं और अभी तक उनका असर बरकरार है और आगे भी रहेगा। कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि यह कहना पूरी तरह से गुमराह करने वाली और गलत बात है कि उच्चतम न्यायालय ने नोटबंदी को जायज ठहराया है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में यह भी कहा कि शीर्ष अदालत ने इस पर फैसला सुनाया है कि क्या रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 26(2) को नोटबंदी की घोषणा से पहले सही ढंग से लागू किया गया या नहीं। 

उन्होंने आरोप लगाया कि नोटबंदी एक बर्बादी वाला फैसला था जिससे आर्थिक प्रगति थम गई और लाखों नौकरियां चली गई। रमेश के अनुसार, न्यायालय के निर्णय में यह कहीं भी नहीं कहा गया है कि नोटबंदी के जो उद्देश्य बताए गए थे, वह पूरे हुए या नहीं। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार के 2016 में 500 और 1000 रुपये की श्रृंखला वाले नोट बंद करने के फैसले को अनुचित नहीं ठहराया जा सकता।

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