आज़म खां मामले में योगी सरकार, चुनाव आयोग को सुप्रीम नोटिस, अयोग्य घोषित करने की जल्दी क्यों थी ? Why was the Yogi government in the Azam Khan case, the Supreme Notice to the Election Commission, in a hurry to disqualify?
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने खान की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पी. चिदंबरम की दलीलें सुनने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार की अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद से जवाब दाखिल करने और याचिका की एक प्रति चुनाव आयोग के वकील को उपलब्ध कराने को कहा। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने सुश्री प्रसाद से कहा, अयोग्य घोषित करने की इतनी क्या जल्दी थी? कम से कम उन्हें (खान को) कुछ सांस तो लेने दिया जाता।
चिदंबरम ने सुनवाई के दौरान पीठ के समक्ष दलील देते हुए कहा कि मुजफ्फरनगर जिले के खतौली के विधायक विक्रम सैनी को 11 अक्टूबर को दो वर्षों की सजा सुनाई गई, लेकिन इस मामले में उनकी अयोग्यता संबंधी कोई फैसला नहीं लिया गया। दूसरी ओर श्री खान के मामले में जल्दबाजी की गई। चुनाव आयोग ने रामपुर में उपचुनाव के संबंध में 10 नवंबर को अधिसूचना जारी कर जल्दबाजी की। खान को 2019 में नफरती भाषण देने के एक मामले में 27 अक्टूबर 2022 को दोषी करार देते हुए रामपुर की विशेष अदालत ने तीन सालों की सजा सुनाई थी। अगले दिन 28 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने उन्हें अयोग्य करार देने की घोषणा कर दी थी। तब खान विधानसभा के सदस्य थे।
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