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कुशल, गंभीर प्रशासक, भारत के 13वें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के जन्म दिन 26 सितंबर पर उनका परिचय, योगदान की जानकारी और उनके 28 कथन On the birthday (September 26 of Manmohan Singh, the 13th Prime Minister of India – a skilled and dedicated administrator – here's a profile of him, information about his contributions, and 28 quotes from him



26 सितंबर 1932 पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले के गांव गाह में गुरमुख सिंह कोहली और अमृत कौर के पुत्र मनमोहन सिंह का जन्म हुआ। मनमोहन सिंह विख्यात, वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित गंभीर अर्थशास्त्री, नौकरशाह, शिक्षाविद और राजनेता बने जिन्होंने 2004 से 2014 तक भारत के 13वें प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। मनमोहन सिंह जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी के बाद चौथे सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे। इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य मनमोहन सिंह भारत के पहले और एकमात्र सिख प्रधानमंत्री थे। नेहरू के बाद वे पांच साल का पूरा कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा प्रधानमंत्री बनने वाले पहले व्यक्ति थे। मनमोहन सिंह परिवार 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय भारत आ गया था। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने के बाद सिंह ने 1966-1969 के बीच संयुक्त राष्ट्र के लिए काम किया। उन्होंने भारत की नौकरशाही में अपने करियर की शुरुआत की जब केंद्रीय ललित नारायण मिश्र ने मनमोहन सिंह को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में सलाहकार के रूप में नियुक्त किया।

मनमोहन सिंह ने 1970 और 1980 के दशक में भारत सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जैसे मुख्य आर्थिक सलाहकार (1972-1976), रिजर्व बैंक के गवर्नर (1982-1985) और योजना आयोग के अध्यक्ष (1985-1987)। 1991 में प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व में मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री नियुक्त किया गया। अगले कुछ वर्षों में भारी विरोध के बावजूद, उन्होंने कई संरचनात्मक सुधार किए, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ। इससे सिंह की एक प्रमुख सुधारवादी अर्थशास्त्री के रूप में विश्व स्तर पर प्रतिष्ठा बढ़ी। सिंह 1998-2004 की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान राज्यसभा (भारत की संसद का उच्च सदन) में विपक्ष के नेता थे। 2004 में जब कांग्रेस के नेतृत्व वाला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस) सत्ता में आया तो यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अप्रत्याशित रूप से प्रधानमंत्री पद सिंह को सौंप दिया। अधिकतर कांग्रेसी चाहते थे कि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनें लेकिन सोनिया ने समझदारी का परिचय देते हुए वरिष्ठ, योग्य व्यक्ति के रूप में मनमोहन सिंह को भारत की सरकार का नेतृत्व करने का जिम्मा सौंप दिया। मनमोहन सिंह की पहली सरकार ने कई महत्वपूर्ण कानून और परियोजनाएं लागू कीं, जिनमें राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी, ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और सूचना का अधिकार अधिनियम, शिक्षा का अधिकार आरटीई इत्यादि शामिल हैं। 2008 में अमेरिका के साथ ऐतिहासिक सिविल न्यूक्लियर समझौते का विरोध करने के कारण लेफ्ट फ्रंट पार्टियों ने अपना समर्थन वापस ले लिया, जिससे सिंह की सरकार गिरने की स्थिति में आ गई थी।

2009 के आम चुनाव में यूपीए को ज्यादा बहुमत मिला और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन द्वारा मनमोहन सिंह को दोबारा प्रधानमंत्री कर दिया गया। 2009 में भारत को संस्थापक सदस्य के रूप में शामिल करते हुए ब्रिक्स संगठन की स्थापना हुई। 2014 के आम चुनाव में मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री पद से नाम वापस ले लिया। मनमोहन सिंह 1991 से 2019 तक असम और 2019 से 2024 तक राजस्थान का प्रतिनिधित्व करते हुए राज्यसभा के सदस्य रहे। 2008 में अमेरिका में आई महामंदी से जब दुनिया आर्थिक रूप से बेहद प्रभावित हुई, मनमोहन सिंह ने अपने कुशल आर्थिक प्रबंधन से भारत को मंदी के प्रतिकूल प्रभाव से काफी हद तक बचाया। मनमोहन सिंह का निधन 26 दिसंबर 2024 (आयु 92 वर्ष) को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली में हुआ।

जून 1991 में उस समय के भारत के प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिंह राव ने सिंह को अपना वित्त मंत्री बनाया। 2005 में सिंह ने दिल्ली स्थित एशियाई मामलों के प्रमुख बीबीसी, ब्रिटिश पत्रकार मार्क टली को बताया, जब (राव) अपनी कैबिनेट बना रहे थे, तो उनके प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने मुझसे कहा, प्रधानमंत्री चाहते हैं कि आप वित्त मंत्री बनें। मैंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। अगले दिन सुबह वह काफी गुस्से में मुझे ढूंढकर आए और कहा कि मैं तैयार होकर शपथ ग्रहण समारोह के लिए राष्ट्रपति भवन जाऊं। इस तरह मेरी राजनीति में शुरुआत हुई।

अमेरिका राष्ट्रपति रहे बराक ओबामा ने अपनी 2020 की आत्मकथा ए प्रॉमिस्ड लैंड में मनमोहन सिंह को समझदार, विचारशील और बेहद ईमानदार बताया।

द इंडिपेंडेंट ने मनमोहन सिंह को दुनिया के सबसे सम्मानित नेताओं में से एक और असाधारण शिष्टाचार और सौम्यता वाले व्यक्ति के रूप में बताया।

टाइम मैगजीन ने मनमोहन सिंह को भारत को महान शक्तियों की श्रेणी में ले जाने वाला बताया।

विश्व के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों, पत्रिकाओं ने मनमोहन सिंह पर उनके योगदान को सराहते हुए लेख छापे। सिंह को दुनिया भर में अनेक सम्मान मिले।

मनमोहन सिंह के कुछ उद्धरण यहां पेश हैं।

1. मानवीय मामलों को आकार देने में राजनीति की रचनात्मक भूमिका के बारे में मुझे पहली बार तब एहसास हुआ जब मैंने जोआन रॉबिन्सन और निकोलस कालडोर से पढ़ाई की। जोआन रॉबिन्सन एक बेहतरीन शिक्षिका थीं, लेकिन उन्होंने अपने छात्रों में एक ऐसी आंतरिक समझ विकसित करने की कोशिश की जो बहुत कम लोग कर पाते हैं। उन्होंने मुझसे बहुत सारे सवाल पूछे और मुझे ऐसी बातें सोचने पर मजबूर किया जो मैंने पहले कभी नहीं सोची थीं। उन्होंने केन्स के विचारों को अपने तरीके से समझाया और कहा कि अगर आप विकास के साथ सामाजिक समानता भी चाहते हैं तो सरकार को ज्यादा भूमिका निभानी होगी। कालडोर ने मुझ पर और भी ज्यादा प्रभाव डालाय मुझे वे व्यावहारिक, आकर्षक और प्रेरणादायक लगे। जोआन रॉबिन्सन चीन में हो रहे बदलावों की बहुत बड़ी प्रशंसक थीं, लेकिन कालडोर ने केन्सियन विश्लेषण का इस्तेमाल करके यह साबित किया कि पूंजीवाद को भी सफल बनाया जा सकता है।

2. हमें जो चाहिए वह है सभ्यताओं के बीच संवाद। हमें बहुसंस्कृतिवाद, विविधता का सम्मान, सहिष्णुता और विभिन्न धर्मों का सम्मान चाहिए।

3. सरकार का नारा एकता और धर्मनिरपेक्षता होगा। भारत में विभाजनकारी राजनीति की कोई जगह नहीं है।

4. भविष्य हमेशा अनिश्चित रहता है।

5. भारत एक ऐसा देश है जहाँ बहुत गरीब लोग रहते हैं, लेकिन यह एक अमीर देश है।

6. मेरी सबसे पहली प्राथमिकता भारत की बड़ी सामाजिक और आर्थिक समस्याओं से निपटना है, ताकि लंबे समय से चली आ रही गरीबी, अज्ञानता और बीमारी को कुछ ही समय में खत्म किया जा सके।

7. अंतर्राष्ट्रीय एकता और संकल्प के साथ हम इस वैश्विक समस्या से निपट सकते हैं और आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस का अंतर्राष्ट्रीय कानून बनाने के लिए काम कर सकते हैं। यह लोगों के विचारों की लड़ाई है... किसी भी कारण से आतंकवाद को सही नहीं ठहराया जा सकता।

8. हां, मुझे लगता है कि भारत की अर्थव्यवस्था हमेशा मिश्रित अर्थव्यवस्था रही है, और पश्चिमी मानकों के अनुसार हम सार्वजनिक क्षेत्र के बजाय बाजार आधारित अर्थव्यवस्था वाले देश हैं।

9. अगर आपकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह नियंत्रित है और दुनिया से अलग-थलग है, तो कोई भी उत्पादकता बढ़ाने या नए विचार लाने के लिए प्रेरित नहीं होगा।

10. जब मैंने पद संभाला था, तो हमारे विदेशी मुद्रा भंडार एक बिलियन डॉलर से भी कम था यानी लगभग दो हफ्ते के आयात के बराबर।

11. संरक्षणवाद से बचना चाहिए। संरक्षणवाद केवल वस्तुओं पर ही नहीं बल्कि सेवाओं के क्षेत्र में भी है। वित्तीय संरक्षणवाद भी बुरा है और इससे बचना चाहिए।

12. चीनी लोगों के पास कुछ फायदे हैं। वे एक पार्टी की सरकार चलाते हैं। लेकिन मुझे विश्वास है कि लंबे समय में भारत एक कामकाजी लोकतंत्र है जो कानून के शासन में विश्वास रखता है। हमारा सिस्टम धीरे चलता है, लेकिन मुझे विश्वास है कि एक बार फैसले हो जाने के बाद वे बहुत अधिक टिकाऊ होंगे।

13. मुझे लगता है कि चाहे वह अमेरिका हो या यूरोप, वे सभी बहुसांस्कृतिक समाज बनेंगे। इसलिए भारत का यह महान प्रयोग, जिसमें अरबों लोग, इतने अलग-अलग विचारों वाले, मिलकर लोकतंत्र के ढांचे में अपना कल्याण चाहते हैं। मुझे लगता है कि इससे सभी बहुसांस्कृतिक समाजों को कुछ सबक मिलेगा।

14. हम एक लोकतंत्र हैं, हमारे देश में पर्याप्त नियंत्रण और संतुलन है, और हमारा रिकॉर्ड परमाणु प्रसार में किसी भी तरह का योगदान न देने का रहा है। भारत के प्रधानमंत्री को हटाना बहुत आसान है। इसके लिए बस संसद में अविश्वास प्रस्ताव पास होना चाहिए।

15. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का बॉम्बे के स्टॉकब्रोकर और उद्योग जगत के दिग्गजों ने कड़ा विरोध किया था। मुझे लगा कि कुछ प्रतिस्पर्धा अच्छी होती है। एक्सचेंज ने खुद को बहुत अच्छा साबित किया है।

16. पाकिस्तान के बारे में आपकी जो भी राय हो, हमारा प्रयास यह था कि हमें पाकिस्तान से संबंध बनाने चाहिए। वे हमारे पड़ोसी हैं। हम अपने दोस्त चुन सकते हैं, लेकिन हम अपने पड़ोसी नहीं चुन सकते।

17. मेरा ईमानदारी से मानना है कि अगर कोई महत्वपूर्ण दृष्टिकोण है, तो कांग्रेस पार्टी का कोई भी सदस्य, मेरे मंत्रिमंडल का कोई भी सदस्य मुद्दे उठा सकता है और उस पर पुनर्विचार की मांग कर सकता है। मुझे लगता है कि यही लोकतंत्र है।

18. जब भारतीय अर्थव्यवस्था 8 से 9 प्रतिशत की दर से बढ़ रही थी, तो मुझे लगता है कि सभी खुश थे। जब हमारी नीतियों में कमियां थीं, तब भी उन्हें नजरअंदाज किया गया, और जब अर्थव्यवस्था धीमी होती है, तो लोग दोष और बहाने खोजने लगते हैं।

19. राज्य के मामलों में भावनाओं की आवश्यकता होती है, लेकिन भावुक नहीं होना चाहिए।

20. हमने 1991 के बजट में संपत्ति कर हटा दिया था। यह एक तरीका था जिससे अमीर लोगों के बच्चे ईमानदारी से अपने उद्यमों में पैसा लगा सकें।

21. न्यायपालिका को अपने कामकाज को विनियमित करने के तरीके खोजने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए - संविधान की भावना के अनुरूप।

22. राजकोषीय घाटा कम करना लोकप्रिय नहीं है। सभी देशों की सभी सरकारों का यही अनुभव है। खर्च में कटौती से कुछ खास हितों को नुकसान होता है, और उन्हें यह पसंद नहीं है।

23. हमने भारत के लोगों, खासकर भारत के उद्यमियों पर सरकार का बोझ कम किया। हमने आंतरिक और बाहरी दोनों तरह की प्रतिस्पर्धा शुरू की। हमने कर प्रणाली को सरल और तर्कसंगत बनाया। हमने जोखिम उठाने को और अधिक आकर्षक बनाया।

24. अगर आपके पास एक कार्यशील वित्तीय प्रणाली नहीं है, तो विश्व अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं होगा। सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की यह जिम्मेदारी है कि वे बैंकिंग प्रणाली की बैलेंस शीट को ठीक करने और क्रेडिट प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक गति से मदद करें।

25. इतिहास में पूंजीवाद एक बहुत गतिशील शक्ति रही है, और इसके पीछे तकनीकी प्रगति, नवाचार, नए विचार, नए उत्पाद, नई तकनीकें और टीम प्रबंधन के नए तरीके हैं।

26. किसी को भी लोकतंत्र के साथ छेड़छाड़ करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। हम पिछली सरकार के अच्छे काम बंद नहीं करेंगे। मेरा मानना है कि पिछले 150 सालों का आर्थिक इतिहास साफ दिखाता है कि 27. अगर आप कम समय में, मान लीजिए 20 साल में किसी देश का औद्योगिकीकरण करना चाहते हैं और आपके पास एक मजबूत निजी क्षेत्र या उद्यमी वर्ग नहीं है, तो केंद्रीय योजना महत्वपूर्ण है।

28. मैंने हमेशा गुटनिरपेक्षता को इस तरह माना है कि भारत की नीतियां - विदेश नीति - समझदार राष्ट्रीय हित से निर्देशित होंगी। इसका मतलब है कि हम स्वतंत्र रूप से निर्णय लेंगे, हमारा एकमात्र ध्यान यह होगा कि भारत का समझदार राष्ट्रीय हित क्या है। संरक्षणवाद बहुत बड़ा खतरा है। यह समझ में आता है कि मंदी के समय संरक्षणवादी दबाव बढ़ते हैं, लेकिन इतिहास से सबक साफ है। अगर हम संरक्षणवादी दबावों के आगे झुकते हैं, तो हम दुनिया को और खराब स्थिति में धकेल देंगे।

प्रस्तुति: एपी भारती (पत्रकार, संपादक पीपुल्स फ्रैंड, रुद्रपुर, उत्तराखंड व्हाट्सऐप 9411175848)

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