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बेहतरीन अभिनय, शालीनता, गंभीरता और जनपक्षधरता के लिए सुपरिचित शबाना आजमी के अभिनय में 50 साल पूरे हुए, न्यूयॉर्क एनवाईआईएफएफ 2024 में हुईं सम्मानित Shabana Azmi, known for her excellent acting, modesty, seriousness and public support, completed 50 years of acting, was honored at New York NYIFF 2024



मुंबई। 31 मई से 2 जून तक आयोजित न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल (एनवाईआईएफएफ) के 24वें संस्करण में रविवार को दिग्गज अभिनेत्री शबाना आजमी और फिल्म निर्माता मीरा नायर के बीच पैनल चर्चा आयोजित हुई। इससे हपले फिल्म फेस्टिवल (महोत्सव) के निदेशक असीम छाबड़ा ने न्यूयॉर्क से समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात की और बताया, चर्चा से पहले फायर की स्क्रीनिंग होगी। इस फिल्म में शबाना आजमी और नंदिता दास ने मुख्य भूमिका निभाई थी। स्क्रीनिंग और पैनल चर्चा में शबाना को सम्मानित किया जाएगा। शबाना ने सिनेमा में 50 साल पूरे कर लिए हैं।

असीम छाबड़ा ने कहा कि फेस्टिवल उन फिल्मों का जश्न मनाता है जिनमें भारत का सार होता है, वे भारत से और भारत के बारे में हो सकती हैं। इस फेस्टिवल का समापन सान्या मल्होत्रा स्टरार मिसेज के साथ होगा, जिसका निर्देशन आरती कदव ने किया है। एनवाईआईएफएफ उत्तरी अमेरिका का सबसे पुराना इंडियन फिल्म फेस्टिवल है। असीम ने बताया, इस बार 16 भारतीय भाषाओं की फिल्मों के साथ, पूरे भारत की 49 फिल्मों के साथ कवर करने का विचार है। फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत तरसेम सिंह द्वारा निर्देशित फिल्म डियर जस्सी से हुई। यह फिल्म भारत, कनाडा और अमेरिका की कंपनियों का सह-निर्माण है। वास्तविक घटना पर आधारित यह फिल्म जसविंदर कौर सिद्धू की कहानी दिखाती है, जो एक पंजाबी कनाडाई महिला है। कोविड-19 महामारी के बाद यह फिल्म फेस्टिवल का दूसरा फिजिकल एडिशन है। 2021 और 2022 के एडिशन वर्चुअल आयोजित किए गए थे। बीते साल से ही फिल्म फेस्टिवल फिजिकल रूप से शुरू हुआ था।

मालूम हो कि बेहतरीन अभिनय, शालीनता और जनपक्षधरता के लिए शबाना आजमी को खासतौर पर पहचान हासिल है। शबाना आजमी फिल्म, टेलीविजन और थिएटर की एक भारतीय अभिनेत्री हैं। हिंदी फिल्म उद्योग में उनका करियर 160 से अधिक फिल्मों तक है जिनमें से ज्यादातर स्वतंत्र और नवयथार्थवादी समानांतर सिनेमा में हैं। उनका काम मुख्यधारा की फिल्मों के साथ-साथ कई अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं में भी शबाना की भूमिका रही है। आजमी ने 1974 में श्याम बेनेगल की पहली फिल्म अंकुर से फिल्मी करियर की शुरुआत की और जल्द ही समानांतर सिनेमा की अग्रणी अभिनेत्रियों में से एक बन गईं, जो उस समय कला फिल्मों की एक नई लहर थी जो अपनी गंभीर विषय-वस्तु और यथार्थवाद के लिए जानी जाती थी और अक्सर सरकारी सहयोग और संरक्षण भी मिलता था।

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