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जलियांवाला नरसंहार, पंतनगर गोलीकांड के शहीदों को प्रभातफेरी निकाल श्रद्धांजलि दी इंकलाबी मजदूर केंद्र एवं ठेका मजदूर कल्याण समिति ने, जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद की Inquilabi Mazdoor Kendra and Contract Labor Welfare Committee paid tribute to the martyrs of Jallianwala massacre and Pantnagar firing by taking out morning procession, raised voice against anti-people policies



पंतनगर (ऊधम सिंह नगर) उत्तराखंड 1 अप्रैल दिनांक 13 अप्रैल। जलियांवाला बाग हत्या कांड और वर्ष 1978 में पंतनगर गोली कांड के मजदूर शहीदों की याद में इंकलाबी मजदूर केंद्र एवं ठेका मजदूर कल्याण समिति पंतनगर तथा प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा बड़ी मार्केट पीपल चौराहे से परिसर के चकफेरी कालोनी,झा कालोनी मजदूर बस्तियों से होते हुए शहीद स्मारक पंतनगर तक प्रभातफेरी निकाली गई। शहीद स्मारक पर सभा में पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

प्रभात फेरी में मजदूरों ने हाथों में लाल झंडे, तख्तियां बैनर लिए मार्च निकाला और 13 अप्रैल के शहीदों को लाल सलाम बोलकर श्रद्धांजलि दी। मार्च में शामिल लोगों ने मजदूर विरोधी श्रम संहिताए बापस लो, महिलाओं से रात्रि में काम करने का कानून रद्द करो, 8 घंटे काम, संगठित होने और यूनियन बनाने के अधिकार पर हमले बंद करो, पूंजीवाद, साम्राज्यवाद, फासीवाद मुर्दाबाद, 13 अप्रैल के शहीदों की क्रांतिकारी विरासत को आगे बढ़ाओ, समाजवाद जिंदाबाद, निजीकरण की जनविरोधी नीतियां रद्द करो, साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति बंद करो, इंकलाब जिंदाबाद, ठेका प्रथा खत्म करो आदि नारे लगाए।

सभा में वक्ताओं ने कहा कि अंग्रेजी सरकार, जालिमों के जलियांवाला बाग हत्या कांड रचने के बाद आजाद भारत में काले अंग्रेजों द्वारा पंतनगर में मजदूरों पर गोलियां बरसा कर नरसंहार करके साबित किया कि वह गोरे अंग्रेजों की भांति भारत के शासक भी निर्मम और दमनकारी हैं। मेहनतकश जनता ने जुझारू संघर्षों त्याग और बलिदान से अंग्रेजी सरकार को खदेड़ कर आजादी हासिल की और अपने राहतकारी श्रम कानून हासिल किए।

वक्ताओं ने कहा कि आज मजदूर आंदोलन कमजोर होने से आजादी के बाद 45 सालों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी, आसमांन छूती मंहगाई है। निजीकरण को बढ़ावा देते हुए मोदी सरकार ने पूंजीपतियों के लिए मजदूरों ने अपने जुझारू संघर्षों से अंग्रेजी सरकार से हासिल किए 44 श्रम कानूनों को खत्म कर 4 मजदूर विरोधी कोड में तब्दील कर दिया है। जिसमें यूनियन बनाने और जायज अधिकारों के लिए आंदोलन करना अपराध हो जाएगा। काम के 8 से 12 घंटे की पाली हो जाएगी। इन्हीं कानूनों को सरकार पूरे देश में लागू करने की फिराक में है। बस 2024 चुनाव होने के इंतजार में है।

वक्ताओं ने कहा कि भोजन मांता और आशा कर्मियों को सरकार 03 हजार रुपए में बेगारी करा रही है। संस्था सरकारी हो या प्राइवेट पूरे देश में हर जगह शोषणकारी ठेका प्रथा चल है। कोई श्रम कानून लागू नहीं किए जा रहे हैं। महिलाओं के बलात्कार और हत्याओं का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। सत्ता में बैठे लोग अपराधियों को बचा रहे हैं। पूंजीपतियों के मुनाफे के मद्देनजर शिक्षा का निजीकरण और भगवाकरण किया जा रहा है। हिंदू मुस्लिम का ध्रुवीकरण कर मजदूरों के आंदोलनों का दमन किया जा रहा है। वोट बैंक हासिल करने के लिए हिंदू मुस्लिम सांप्रदायिक विभाजन पैदा कर अल्प संख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। तथाकथित अतिक्रमण, विकास के नाम मेहनतकश जनता के घरों पर बुलडोजर चलवाकर उजाड़ने का अभियान चलाया जा रहा है। पूरे देश में ठेका प्रथा के जरिए मजदूरों का निर्मम शोषण किया जा रहा है। शोषण उत्पीडन के खिलाफ मजदूर किसान छात्र चारों ओर सरकार के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं।

उत्तराखंड सरकार निजीकरण की जनविरोधी नीतियों को आगे बढ़ाते हुए कई वर्षों से पंतनगर विश्वविद्यालय के बजट में लगातार कटौती कर रही है। विश्वविद्यालय को बर्बाद करने की सांजिस की जा रही है। इससे छात्रों के शिक्षण, शोध पर बुरा असर पड़ेगा। हाईकोर्ट नैनीताल के आदेश के बावजूद वर्ष 2003 से लगातार कार्यरत मजदूरों को नियमित नहीं किया जा रहा है। ठेका मजदूरों को कभी बोनस नहीं दिया गया, ग्रेच्युटी नहीं दी जा रही। अस्वस्थ होने परं अवकाश नहीं दिया जा रहा है। पूरे महीने काम तक नहीं दिया जा रहा है। और उसका भी समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा है। जबकि श्रम नियमानुसार दैनिक वेतन भोगी श्रमिको की भांति वर्ष में 20 दिनों का सवैतनिक अवकाश, ग्रेच्युटी ,बोनस दिया जाना चाहिए।

वक्ताओं ने मजदूरों की पूर्ण आजादी, पूंजीवादी व्यवस्था खत्म कर मजदूर राज स्थापित करने की बात दोहराई। शहीदों की क्रांतिकारी विरासत से प्रेरणा लेकर दुनिया के मजदूरों एक हो के नारे को आगे बढ़ाते हुए मजदूर वर्ग को वर्गीय एकता के आधार पर संगठित होकर पूंजीवाद का खात्मा और मजदूर राज समाजवाद के लिए संघर्ष को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया।

कार्यक्रम में सुभाष प्रसाद, भरत यादव, अर्जुन सिंह, श्रवण कुमार, पृथ्वीराज गौतम, चंद्रशेखर, राशिद, प्रदीप, विरेंद्र, माधव प्रसाद, रामानंद यादव, सुभाष चौहान, मीना आदि शामिल रहे।


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