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चीन आर्थिक संकट में, विश्व बाजार में व्यापक निर्यात के बावजूद मंदी, बेरोजगारी, महंगाई से हालत खराब China is in economic crisis, despite extensive exports to the world market, the situation is worsening due to recession, unemployment and inflation



नई दिल्ली। दुनिया में मंदी गहरा रही लगती है। अमेरिका आर्थिक संकट से जूझ रहा है। भारत जीडीपी के बराबर 205 लाख करोड़ के कर्ज में डूब चुका है। ऐसे में चीन से भी चिंताजनक खबरें आ रही हैं। एक ओर चीन के लगातार दुनिया में विस्तार करने, उसकी अर्थव्यवस्था के लगातार मजबूत होने, निर्यात बढ़ने की खबरें आ रही हैं वहीं चीन विरोधी पश्चिमी मीडिया चीन को परेशानी में दिखा रहा है। हालांकि यह सही है कि कोरोना के कारण चीन के काफी हालात बिगड़े हैं। काफी काम-धंधे, रोजगार खत्म हुए हैं। चीन प्रयास कर रहा है कि चीनी युवा गांव जाएं और ग्रामीण आधारित रोजगार अपनाएं ताकि शहरों पर दबाव और जनआंदोलनों की स्थिति न बने। पश्चिमी मीडिया के अनुसार चीन के लिए साल की सबसे बड़ी बुरी खबर इसकी गिरती अर्थव्यवस्था रही। देश की अर्थव्यवस्था को कोविड-19 शटडाउन के प्रभाव से उबरने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, और लंबे समय से चल रही संरचनात्मक समस्याओं को नजरअंदाज करना अब असंभव हो गया है। आर्थिक आंकड़े पूरे साल परेशान करने वाले रहे हैं और इसमें कोई सुधार नहीं हो रहा है।

वैदेशिक मामलों की जानी मानी अमेरिकी पत्रिका फॉरेन पॉलिसी के एक लेख में कहा गया है कि विदेशी निवेश में गिरावट आई है और पूंजी का बाहर जाना तेजी से बढ़ा है। कागजों पर नौकरी की संख्या कुछ हद तक ठीक हो गई है, लेकिन आधिकारिक आंकड़े बेहद अविश्वसनीय हैं, और जमीन पर तस्वीर निराशाजनक है। चीन में युवा बेरोजगारी इतनी ऊंचाई पर पहुंच गई है कि सरकार ने इस साल आंकड़े प्रकाशित करना बंद कर दिया। लेख में कहा गया है कि चीन के ही आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा है कि इस साल चीन की जीडीपी में 5 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होगी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह सच है भी या नहीं। मतलब फॉरेन पॉलिसी आईएमएफ के अनुमान पर ही सवाल उठा रही है। फॉरेन पॉलिसी का कहना है कि नए ग्रेजुएट्स के लिए समय सबसे खराब है, जो 2009 के वित्तीय संकट के दौरान युवा अमेरिकियों की तरह नौकरी संकट का सामना कर रहे हैं। 

फॉरेन पॉलिसी ने कुछ वास्तविक मुद्दे भी उठाए हैं जिनसे चीन सामना कर रहा है। फॉरेन पॉलिसी के अनुसार चीन के आर्थिक संकट का एक मुख्य कारण यह है कि लोग खर्च नहीं कर रहे हैं - एक बड़ी समस्या यह है कि घरेलू खपत को बढ़ावा देना वर्षों से चीनी आर्थिक उम्मीदों की कुंजी रहा है। ऐसा आंशिक रूप से इसलिए है क्योंकि चीनी सरकार ने महामारी के दौरान परिवारों को सहायता देने में कंजूसी की। जीरो-कोविड नीति लागू करने के लिए बड़े पैमाने पर सरकारी खर्च किया गया, जिसके बाद स्थानीय अधिकारियों के पास जनता का समर्थन करने के लिए पैसे बचे ही नहीं।

फॉरेन पॉलिसी का कहना है कि पिछले तीन वर्षों में प्राइवेट सेक्टर के कुछ हिस्सों पर लगातार सरकारी कार्रवाई की गई, जिससे गेम प्रोग्रामिंग से लेकर स्कूल ट्यूशन तक हर चीज में नौकरियां चली गईं। 

इस सबने लोगों को सरकारी सत्ता की मनमानी और उसके साथ आने वाले जोखिम के बारे में और अधिक जागरूक बना दिया है। उम्मीद थी कि इस साल ये कार्रवाई खघ्त्म हो सकती हैं, लेकिन इसका और विस्तार हो गया, ऐसा लेख में कहा गया है। लॉकडाउन के दौरान नौकरियां गायब होने के बाद, अब चीन में लोगों को भविष्य पर ज्यादा भरोसा नहीं है। लोग शादी नहीं कर रहे हैं, जिससे जनसांख्यिकीय संकट बढ़ गया है। लेख में कहा गया है, जैसा कि कई लोगों को डर था, चीन अमीर होने से पहले बूढ़ा होता दिख रहा है। यहां तक कि चीन में लोगों की सेविंग्स भी सुरक्षित नहीं है। चीन में धन निवेश के लिए रियल एस्टेट एक प्रमुख माध्यम है, जहां 70 प्रतिशत घरेलू संपत्ति इसी में होती है।

फॉरेन पॉलिसी कहती है कि दो दशकों तक, संपत्ति की कीमतें बाकी अर्थव्यवस्था की तुलना में तेजी से बढ़ीं। अब, चीन के रियल एस्टेट डेवलपर्स लगभग दिवालिया हो गए हैं और यह धीरे-धीरे बर्बाद हो रहा है। सरकार ने नए घरों की कीमतें बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत की है, लेकिन वे अभी भी गिर रही हैं। उम्मीद थी कि 2023 में चीनी अर्थव्यवस्था ठीक हो जाएगी और वैश्विक विकास के इंजन के रूप में अपनी भूमिका निभाने लगेगी। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, इसके बजाय, यह उस पॉइंट पर रुक गया जिसे ईएमएफ ष्ड्रैगष् कह रहा है। अपनी कई समस्याओं - रियल एस्टेट संकट, कमजोर खर्च और उच्च युवा बेरोजगारी - के बावजूद, अधिकांश अर्थशास्त्रियों का मानना है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था इस साल अपने विकास लक्ष्य को लगभग 5 प्रतिशत तक पहुंचाएगी। फॉरेन पॉलिसी के अनुसार, लेकिन यह अभी भी कोविड महामारी से पहले के औसत 6 प्रतिशत से नीचे है, और नया साल 2024 अशुभ दिख रहा है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद देश को दशकों तक ठहराव का सामना करना पड़ सकता है। एक अन्य खबर के अनुसार चीन आर्थिक खस्ता हालत पर कुछ हद तक काबू पाने के लिए विश्व भर के पर्यटकों को लुभाने के प्रयास कर रहा है। वह चीन आने वाले पर्यटकों को अनेक तरह की सुविधाएं बढ़ा रहा है।


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