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पूरी दुनिया को प्रभावित करने वाले महान दार्शनिक फ्रेडरिक नीत्शे के कुछ अनमोल वचन Some precious words of Friedrich Nietzsche, the great philosopher who influenced the whole world



नीत्शे विश्व के सर्वोच्च विचारकों में हैं। फ्रेडरिक विल्हेल्म नीत्शे जर्मनी का दार्शनिक, लेखक, कवि, आलोचक और संगीतकार सहित बहुप्रतिभावान व्यक्ति थे। पूरा विश्व उनके विचारों से प्रभावित हुआ है। मनोविश्लेषणवाद, अस्तित्ववाद एवं परिघटनामूलक चिंतन के विकास में नीत्शे की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। व्यक्तिवादी तथा राज्यवादी दोनों प्रकार के विचारकों ने उससे प्रेरणा ली है। हम यहां उनके कुछ चुनिंदा विचार दे रहे हैं। उम्मीद है वे आपके काम पड़ेंगे।
-संगीत के बिना, जीवन एक गलती होगी।
-मैं इसलिए दुखी नहीं हूँ कि तुमने मुझसे झूठ बोला, मैं इसलिए दुखी हूँ कि अब मैं तुम पर यकीन नहीं कर सकता।
-जो कोई भी राक्षसों से लड़ता है उसे ध्यान रखना चाहिए कि इस प्रक्रिया में कहीं वो खुद ही राक्षस ना बन जाए। अगर आप लंबे समय तक खायी को घूरते हैं तो खायी भी आपको घूरने लगेगी।
-आपका अपना रास्ता है। मेरा अपना रास्ता है। जहाँ तक सही रास्ते, उचित रास्ते, और एक ही रास्ते की बात है, वो एग्जिस्ट नहीं करता।
-कभी-कभी लोग इसलिए सच नहीं सुनना चाहते क्योंकि वे अपने भ्रम को टूटने नहीं देना चाहते।
-हमे हर उस दिन को खोया हुआ समझना चाहिए जिस दिन हमने एक बार भी डांस ना किया हो।
-ज्ञानी व्यक्ति को सिर्फ अपने दुश्मनों से प्रेम ही नहीं बल्कि अपने दोस्तों से भी नफरत करने में सक्षम होना चाहिए।
-मैं उस ईश्वर में यकीन नहीं का सकता, जो हमेशा प्रशंसा सुनना चाहता हो।
-वह जिसके पास जीने का कारण है कुछ भी सहन कर सकता है।
-कोई भी आपके लिए उस पुल का निर्माण नही कर सकता है जिसपे चढ़ कर आप जीवन की धारा को पार कर सकें, कोई नहीं बस आप अकेले ऐसा कर सकते हैं।
-जब हम थक जाते हैं, तब हम उन विचारों कुप्रभावित होते हैं जिन्हें हम बहुत पहले जीत चुके होते हैं।
-किसी युवक को भ्रष्ट करने का पक्का तरीका है कि उसे ये निर्देश दो कि वो उससे अलग सोचने की बजाये उनका खूब सम्मान करे जो उसकी तरह सोचते हों।
-हर एक गहन विचारक गलत समझे जाने कि तुलना में सही समझ लिए जाने से अधिक डरता है।
-आस्था का मतलब है कि ये ना जानना चाहना कि सच क्या है।
-दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, वह जो जानना चाहते हैं, और वह जो यकीन करना चाहते हैं।
-सभी चीजें व्याख्या के अधीन हैं। किस समय कौन सी व्याख्या मान्य होती है ये शक्ति पर आधारित होता है सत्य पर नहीं।
-हकीकत में, केवल एक ही क्रिस्चियन था और वो क्रॉस पे मर गया।
-मुझे केवल कागज का एक टुकड़ा और लिखने के लिए कुछ चाहिए, और तब मैं दुनिया को उलट सकता हूँ।
-मौन बदतर है, सभी सत्य जिन्हें मौन रखा जाता है जहरीले बन जाते हैं।
-शायद मैं सबसे अच्छा कारण जानता हूँ कि क्यों अकेला मनुष्य ही है जो हँसता है, क्योंकि केवल वही है जो इतनी अधिक पीड़ा उठाता है कि उसने हंसी का आविष्कार कर लिया है।
-हमेशा की तरह आज भी, लोग दो समूहों में होते हैं गुलाम और आजाद मनुष्य। जिस किसी के पास भी दिन का दो-तिहाई हिस्सा खुद के लिए नहीं है, वो गुलाम हैय चाहे वो जो भी होरू एक राजनेता, एक बिजनेसमैन, एक अधिकारी, या एक विद्वान।
-एक धार्मिक व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद मुझे हमेशा लगता है कि मुझे अपने हाथ जरूर धो लेने चाहिए।
-वास्तविकता में आशा सभी बुराइयों में सबसे बुरी है क्योंकि ये इंसान की पीड़ा को लंबा खींचती है।
-जब भी मैं चढ़ता हूँ मेरे पीछे अहंकार नाम का एक कुत्ता आ जाता है।
-धारणा असत्य की तुलना में सत्य की अधिक खतरनाक दुश्मन है।
-बिना भूले जी पाना बहुत मुश्किल है।
-एक विचार तब आता है जब उसे आना होता है, ना कि जब मैं चाहता हूँ।
विशेष सूचना - सम्मानित पाठकगण सादर अभिवादन !
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