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हृदयाघात, कार्डियक अरेस्ट होने वाली मौतों में बढ़ोत्तरी, युवा भारी संख्या में हो रहे शिकार, जानिए कारण, बचिये असमय मौत से Increase in deaths due to heart attack, cardiac arrest, youth are becoming victims in large numbers, know the reason, avoid untimely death



नई दिल्ली। सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य-चिकित्सा से जुड़े तमाम लोग एक समस्या को लेकर पिछले काफी समय से चिंता में हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि दुनिया भर में खासकर युवा तबके में दिल से संबंधित बीमारियों से होने वाली 1.79 करोड़ मौतों में से 20 फीसदी भारत में ही हो रही है। इंडियन हार्ट एसोसिएशन के आंकड़ों के अनुसार भारत में दिल के दौरे से मरने वालों में 10 में से चार की उम्र 45 साल से कम है। 10 साल में भारत में हृदयाघात यानी हार्ट अटैक से होने वाली मौतें करीब 75 फीसदी तक बढ़ गई है. विशेषज्ञों का कहना है कि 40 साल से कम उम्र के 25 फीसदी और 50 साल से कम उम्र के 50 फीसदी लोगों को हृदयाघात का खतरा है। यह आधुनिक दौर में एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है।

मालूम हो कि आमतौर पर पहले दिल का दौरा पड़ने के मामले 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में देखे जाते थे, लेकिन अब 18 साल से कम उम्र के लोग भी सडेन कार्डियक अरेस्ट की वजह से अपनी जान गंवा रहे हैं। गुजरे एक वर्ष के दौरान बॉलीवुड से जुड़ी कई प्रमुख हस्तियों की कम उम्र में ही दिल की बीमारी के चलते अचानक मौत हो चुकी है. इनमें से कइयों की मौत तो जिम में कसरत के समय ही दिल का दौरा पड़ने से हुई।

आमतौर पर लोगों में अक्सर हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट को लेकर भी काफी गलतफहमी है। कुछ लोग कार्डियक अरेस्ट का मतलब दिल का दौरा समझ लेते हैं। दिल के दौरे मतलब हृदय में रक्त प्रवाह अवरुद्ध हो जाना होता है जबकि कार्डियक अरेस्ट का मतलब हृदय के इलेक्ट्रिकल सिस्टम में खराबी होती है। इससे यह अचानक तेजी से धड़कने लगता है या फिर अचानक धड़कना बंद कर देता है। ऐसे में रक्त के मस्तिष्क, फेफड़े और अन्य अंगों में संचार ना होने के कारण संबंधित व्यक्ति हांफने लगता है और सांस लेना बंद कर देता है और कुछ ही देर में उसकी मौत हो जाती है। कार्डियक अरेस्ट हार्ट अटैक के मुकाबले अधिक घातक होता है, कई बार कुछ ही मिनट में पीड़ित की मौत हो जाती है। इसके लिए कार्डियक अरेस्ट बाद बहुत जल्द और यथोचित मेडिकल सहायता की जरूरत होती है। जो आमतौर पर नहीं मिल पाती। यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि युवाओं में दिल का दौरा पड़ने की घटनाएं आखिर क्यों बढ़ रही हैं? स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसके लिए बदलती जीवनशैली, शराब और धूम्रपान की बढ़ती लत को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनका कहना है कि पिछले 20 साल के दौरान भारत में दिल का दौरा पड़ने के मामले दोगुने हो चुके हैं और अब ज्यादा युवा लोग इसके शिकार हो रहे हैं। हृदयाघात के मामलों में 25 फीसदी लोग 40 साल से कम उम्र के हैं।

हृदय रोग विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ सावधानियां बरतकर हम हृदयाघात और उससे पूर्व की कई समस्याओं को काफी हद तक कम कर सकते हैं। दिल का दौरा पड़ने के मामलों में आनुवांशिक प्रवृत्तियां भी अहम भूमिका निभाती हैं। इसके अलावा डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी लाइफस्टाइल संबंधित दिक्कतें भी जिम्मेदार होती हैं। धूम्रपान,शराब, मोटापा, तनाव, व्यायाम की कमी और प्रदूषण इसकी मुख्य वजहें हैं। चिकित्सकों के अनुसार कोविड महामारी के बाद दिल का दौरा पड़ने और कार्डियक अरेस्ट के मामले तेजी से बढ़े हैं।

हाल ही में दिल्ली में एक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम में सर गंगाराम हॉस्पिटल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अश्विनी मेहता ने जानकारी दी थी कि भारत में हर साल करीब 20 लाख दिल के दौरे के मामले सामने आते हैं और इनमें से ज्यादातर युवा ही इसके शिकार पाए गये हैं। शहर में रहने वाले पुरुषों को गांव में रहने वालों के मुकाबले दिल के दौरे की संभावना तीन गुना ज्यादा होती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि दिल के दौरे का मुख्य कारण एलडीएल-सी (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल) है. इसके अलावा धूम्रपान, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, आनुवांशिक इतिहास, जीवनशैली, कार्बोहाइड्रेट से प्राकृतिक गुणों से भरपूर भोजन और शारीरिक व्यायाम की कमी से भी दिल का दौरा हो सकता है।

इस समस्या को लेकर भारत में व्यापक चिंता सामने आ रही है। संबंधित एजेंसियां लगातार सर्वे और समाधान खोजने का प्रयत्न कर रही हैं। इंडियन हार्ट एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया के बाकी हिस्सों के मुकाबले भारत में कम उम्र के लोगों में दिल की बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं। इन मामलों में से 50 फीसदी यानी आधे लोग 50 साल से कम उम्र के होते हैं और 25 फीसदी मरीज 40 से कम उम्र के. भारतीय महिलाओं में भी दिल की बीमारियों से होने वाली मौतों की दर अपेक्षाकृत अधिक है। जानकारों का कहना है कि बीते कुछ वर्षो के दौरान वर्क कल्चर तेजी से बदला है। अब युवाओं को दफ्तर में काफी तनाव में रहना पड़ता है। यह लोग बाहर का खाना खाते हैं और सिगरेट और शराब का सेवन करते हैं। ऐसे में उनके दिल की बीमारियों की चपेट में आने का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है।

मुंबई में बीते साल 6 महीनों में कोरोना के मुकाबले दिल के दौरे से ज्यादा मौतें हुई थी। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली जानकारी से पता चला कि मुंबई में पिछले साल जनवरी से जून के बीच कोरोना से 10 हजार 289 मौतें हुई थीं, जबकि इसी दौरान हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या 17 हजार 880 रही।

अमेरिका में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ मेट्रिक्स ने हाल में एक अध्ययन रिपोर्ट में कहा था कि भारत में दिल की बीमारियों के कारण मृत्युदर 272 प्रति लाख है जबकि वैश्विक औसत 235 का है। विशेषज्ञों का कहना है कि स्वास्थ्यवर्धक भोजन, ताजे फलों और सब्जियों का इस्तेमाल, रोजाना कसरत और तनाव रहित जीवन से हृदय रोग को रोका जा सकता है। जीवनशैली में बदलाव जैसे तनाव घटाकर, नियमित चेकअप, चिकित्सकों से परामर्श और दवाइयों का प्रयोग बेहद महत्वपूर्ण है।

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