लचर रेस्क्यू अभियान, केदारनाथ सोना चोरी पर हरक सिंह रावत ने उठाए सवाल, दक्षिण अफ्रीका को कंगाल करने वाले गुप्ता बंधुओं ने की चोरी ? Poor rescue operation, Harak Singh Rawat raised questions on Kedarnath gold theft, did the Gupta brothers who pauperized South Africa commit the theft?
रुद्रप्रयाग। कांग्रेस नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने उत्तराखंड सरकार की कार्यशैली और केदारनाथ पैदल मार्ग पर चल रहे रेस्क्यू अभियान पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि रद्रप्रयाग में केदारनाथ पैदल मार्ग पर भूस्खलन हुआ। पिछले तीन-चार दिनों से यहां रेस्क्यू चल रहा है जो उत्तराखंड सरकार की कमी को दर्शाता है। सरकार की व्यवस्थाएं लचर है। सिर्फ चार घंटे में ही सड़क को खोलकर ट्रैफिक को फिर से सुचारू रूप से चलाया जा सकता था। रावत ने कहा, 2013 में आई भयानक त्रासदी के बाद हमने बहुत तेजी से रेस्क्यू अभियान चलाया था। लेकिन वर्तमान हादसे वर्तमान भाजपा सरकार ने कुछ नहीं सीखा। केदारनाथ पैदल मार्ग पर रेस्क्यू अभियान कई दिनों से चल रहा है, जिसने सरकार के आपदा प्रबंधन की पोल खोलकर रख दी है।
कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत ने केदारनाथ धाम विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि केदारनाथ धाम में सोने को लेकर हेरफेर की गई है। सोना दान करने वाले या फिर मंदिर समिति की ओर से यह गड़बड़ी की गई। यहां से सोना गायब हुआ है और बिना मंदिर समिति की सहमति के ऐसा नहीं किया जा सकता है। अगर व्यापारी की ओर से कम सोना दिया गया है तो मंदिर समिति की तरफ से उसे रसीद जारी की गई होगी।
रावत ने इस मामले में जांच की मांग करते हुए कहा, अगर ये लोग बाबा केदार को भी नहीं छोड़ेंगे तो यहां त्रासदी तो होनी ही है। इसलिए हमारी मांग है कि सोना गायब होने की जांच होनी चाहिए। क्योंकि मंदिर समिति की देखरेख में ही यह कार्य हुआ है। जिसने भी गड़बड़ी की है, उसे बाबा केदार माफ नही करेंगे। बाबा केदार के धाम में ऐसा करने वालों को सजा जरूर मिलनी चाहिए।
मालूम हो कि केदारनाथ मंदिर में चांदी की चादरों को हटकार सोने की चादरें मढ़ने की मीडिया में खूब खबरें आईं थीं। बाद में पता लगा कि सोने की जगह पीतल लगा है। अब मंदिर समिति से लेकर उत्तराखंड सरकार तक सभी चुप हैं। कथित तौर पर सोना दान करने वाला वह दानी था जिसने दक्षिण अफ्रीका को कंगाल कर दिया था। सहारनपुर के अजय गुप्ता और उनके भाइयों अतुल और राजेश टोनी ने लंबे संघर्ष के बाद गोरों की गुलामी से मुक्त पहली निर्वाचित नेल्सन मंडेला की सरकार में मजबूत पकड़ बना ली थी। उसके बाद के राष्ट्रपति के चुनाव में कहा जाता है पूरी तरह गुप्ता बंधुओं का ही हाथ था। जैकब जुमा की सरकार गुप्ता बंधुओं के इशारों पर नाचती थी। इन्होंने वहां खूब लूट मचाई और जनता इनसे त्रस्त हो गई फिर इनके खिलाफ उग्र आंदोलन हुए। तब गुप्ता बंधुओं को दक्षिण अफ्रीका से भागना पड़ा। उत्तराखंड सरकार पर उन्हें संरक्षण देने का आरोप हैं बाद में दक्षिण अफ्रीकी जनता समूचे भारतीय लोगों के खिलाफ ही हो गई।
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