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ऑनलाइन समन भेजे, गवाहियां हो सकती हैं, प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने पांच बिंदुओं पर ध्यान देने की जरूरत बताई Summons sent online, testimonies can be taken, Chief Justice Chandrachud said the need to pay attention to five points



नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार 1 अप्रैल को दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित रेजिंग डे 20वें डीपी कोहली मेमोरियल लेक्चर में कार्यक्रम में कहा कि समन इलेक्ट्रॉनिक (ऑनलाइन) तरीके से दिए जाने चाहिए। गवाही भी वर्चुअली रिकॉर्ड किया जा सकता है, इससे पेपरवर्क बचेगा और प्रोसेस आसान होगी। इससे जमानत मिलने में देरी से बचा जा सकेगा। साथ ही दूरदराज के स्थानों से भी प्रक्रिया को अंजाम दिया जा सकेगा। सीजेआई ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 94 और एस-185 के मुताबिक कोर्ट्स को डिजिटल सबूत मंगाने के लिए समन देने का अधिकार है। छापेमारी और पर्सनल डिवाइस की अवांछित जब्ती के उदाहरण जांच संबंधी अनिवार्यताओं और गोपनीयता अधिकारों को संतुलित करने की जरूरत बताते हैं। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने विशिष्ट सेवाओं के लिए प्रेसिडेंट पुलिस मेडल्स और मेरिटोरियस सर्विस के अफसरों को पुलिस मेडल भी दिया।

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने पांच बिंदुओं पर खास जोर दिया। उनके अनुसार 1. देरी रोकने के लिए टेक्नोलॉजी का फायदा उठाने की जरूरत है। हमें एक संस्थागत प्रतिबद्धता, विभिन्न विभागों के बीच वित्त, तालमेल और रणनीतियों की आवश्यकता है। सीबीआई को मामलों के धीमे निपटान से निपटने के लिए एक स्ट्रैटजी बनानी होगी। 2. जजों की शिकायत रहती है कि उनमें जो बेस्ट होता है, उसे सीबीआई कोर्ट्स में नियुक्त किया जाता है, क्योंकि वे संवेदनशील होते हैं। लेकिन धीमी गति से सुनवाई के चलते मामलों के निपटाने की दर भी धीमी हो जाती है। 3. बहुत सी विशेष सीबीआई अदालतें मौजूदा अदालतें हैं। सिस्टम में आमूल-चूल बदलाव करने के लिए हमें नए टेक्नीकली एडवांस्ड इक्विपमेंट्स की जरूरत है। 4. सीबीआई उन अपराधों से निपटती है जो देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं। उनका जल्द निपटारा जरूरी है। जिन पर पर कानून के गंभीर उल्लंघन का आरोप लगाया गया, इससे उनकी जिंदगी और प्रतिष्ठा पर चोट पहुंचती है। देरी न्याय देने में बाधक बनती है। 5. कोविड के दौरान हमने जबर्दस्त कनेक्टिविटी देखी। वर्चुअल कोर्ट्स और ई-फाइलिंग सामने आई। इसमें चुनौती ये है कि बिना इंटरनेट और टेक्नोलॉजी की समझ के बिना कैसे काम करेंगे। प्रॉपर ट्रेनिंग जरूरी है।

मालूम हो कि धरमनाथ प्रसाद कोहली ने 1931 में पुलिस सर्विस जॉइन की थी। कोहली ने यूपी, मध्य भारत और भारत सरकार में सेवाएं दीं। 1955 में कोहली दिल्ली स्पेशल पुलिस स्टेबिशमेंट के प्रमुख बनाए गए। इसका मकसद लोक सेवा में बढ़ते भ्रष्टाचार पर रोक लगाना था। 1 अप्रैल 1963 को वे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के संस्थापक निदेशक बने। कोहली 1968 तक सीबीआई के निदेशक रहे। 2000 से सीबीआई लगातार डीपी कोहली मेमोरियल लेक्चर का आयोजन कर रही है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के जाने-माने लोगों को वक्तव्य देने के लिए बुलाया जाता है। इसमें शामिल लोग मौजूदा चुनौतियों, लॉ एन्फोर्समेंट, क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम और क्रिमिनल इंवेस्टीगेशन जैसे विषयों पर अपनी बात रखते हैं।


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