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राकेश अचल को 2023 का लोकजतन सम्मान, कुर्बान अली देंगे शैली स्मृति व्याख्यान, देश की एकता पर मंडराते खतरे, जिम्मेदार कौन? विषय पर होगी चर्चा Lokjatan Samman for 2023 to Rakesh Achal, Kurban Ali will give style memorial lecture, threats looming over the unity of the country, who is responsible? topic will be discussed



भोपाल। वर्ष 2023 के लोकजतन सम्मान से वरिष्ठ पत्रकार, कवि, लेखक, विचार और मैदान दोनों मोर्चों पर सन्नद्ध राकेश अचल को अभिनंदित किया जाएगा। सोमवार, 24 जुलाई 2023 की शाम 5 से 7 बजे के बीच मानस भवन, फूलबाग, ग्वालियर में इस सम्मान समारोह का आयोजन होगा। समारोह में इस वर्ष के शैलेन्द्र शैली स्मृति व्याख्यान की शुरुआत की जायेगी। आजादी के 75 वर्ष: देश की एकता पर मंडराते खतरे, जिम्मेदार कौन? विषय पर व्याख्यान देने दिल्ली से देश के वरिष्ठ पत्रकार, बीबीसी इंडिया की भारत डैस्क के पूर्व प्रमुख कुर्बान अली पहुंचेंगे। समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार डॉ. सुरेश सम्राट करेंगे।

लोकजतन सम्मान दिए जाने की शुरुआत पिछले 5 वर्षों से शुरू की गयी है। इसे लोकजतन के संस्थापक सम्पादक शैलेन्द्र शैली (24 जुलाई 1957 - 07 अगस्त 2001) के जन्म दिन पर दिया जाता है तथा ऐसे पत्रकारों को सम्मानित किया जाता है, जो सचमुच की पत्रकारिता करते हैं, जो भारतीय पत्रकारिता के आज के सबसे दुस्समय में भी सच बोलने और दिखाने का दुःसाहस कर रहे हैं। अभी तक डॉ. राम विद्रोही (ग्वालियर), कमल शुक्ला (बस्तर-रायपुर), लज्जाशंकर हरदेनिया (भोपाल) तथा अनुराग द्वारी (एनडीटीवी) को लोकजतन सम्मान से अभिनंदित किया जा चुका है।

इस वर्ष सम्मानित किये जा रहे राकेश अचल मूलतः पत्रकार हैं। चार दशक से भी अधिक समय में देश के प्रतिष्ठित अखबारों जनसत्ता, दैनिक भास्कर, नयी दुनिया, दैनिक आचरण, निरंजन, हिंदी मेल, लोकगाथा, सांध्य समाचार के अलावा टीवी चैनल आज तक के लिए काम कर चुके राकेश अचल स्वभाव से कवि हैं। घुमक्कड़ प्रवृत्ति के राकेश अचल ने अमेरिका और चीन समेत दुनिया के एक दर्जन से अधिक देशों की यात्रा की है। दूरदर्शन, आकाशवाणी के लिए वर्षों काम करने वाले राकेश अचल अनेक टीवी न्यूज चैनलों के स्थायी वार्ताकार भी हैं। वे पिछले एक दशक से स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। पिछले चार दशक में राकेश अचल के दो गजल संग्रह, एक बुंदेली गजल संग्रह, एक रिपोर्ताज, एक यात्रा वृत्तांत और एक लेख संग्रह, एक लम्बी कविता के अलावा कई पुस्तकें आ चुकी हैं। गद्दार उनका पहला उपन्यास है। प्रतिदिन लिखना उनकी आदत में शुमार है। सामाजिक सरोकारों से सीधे जुड़े रहना उनका स्वभाव है। अब तक उन्हें 5 बड़े सम्मानों से नवाजा जा चुका है।

व्याख्यान के मुख्य वक्ता कुर्बान अली उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और आजाद हिंद फौज के कप्तान रहे कैप्टिन अब्बास अली के पुत्र हैं। उनका  जन्म बुलंदशहर में और प्रारंभिक शिक्षा खुर्जा शहर में हुई। बाद में उन्होंने अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय से बीए किया। 38 वर्षों से भी अधिक के अपने पत्रकारिता जीवन में उन्होंने हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी भाषाओं में काम किया है तथा प्रिंट, रेडियो, इंटरनेट और टेलीविजन के साथ-साथ यूएनआई संवाद एजेंसी से भी संबद्ध रहे हैं।

कुरबान अली ने पत्रकारिता की शुरुआत आनंद  बाजार पत्रिका समूह के मशहूर साप्ताहिक रविवारष्के उत्तर प्रदेश संवाददाता के रूप में 1985 में की। 1989 में ऑब्जर्वर प्रकाशन समूह से जुड़े और साप्ताहिक हिंदी संडे ऑब्जर्वर की लॉन्चिंग टीम के सदस्य बने। रविवार और संडे ऑब्जर्वर में रहते हुए 1986 में बीबीसी वर्ल्ड सर्विस से जुड़े और स्ट्रिंगर के रूप में उत्तर प्रदेश संवाददाता के रूप में काम किया। जनवरी 1994 में बीबीसी हिंदी सेवा के प्रोडूयसर/संवाददाता के रूप में चयनित किये गए और पहले बुश हाउस लंदन में नई पारी की शुरुआत की और बाद में उसके दिल्ली संवाददाता बने। लगभग बारह वर्षों तक बीबीसी में काम करने के बाद 2005 में दूरदर्शन न्यूज से बतौर सलाहकार संपादक जुड़े और तीन वर्षों तक वहां काम करने के बाद 2008 में इंडिया न्यूज में प्रबंध संपादक बने। वर्ष 2013-14 में ईटीवी चैनल और यूएनआई संवाद एजेंसी से संबद्ध रहे। 2014-17 तक राज्य सभा टेलीविजन के ओरल हिस्ट्री विभाग के प्रमुख रहे। 

कुरबान अली वर्ष 1994 से भारत सरकार के पत्र सूचना विभाग (पीआईबी) द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं और लगभग पांच वर्षों तक उत्तर प्रदेश विधान मंडल के दोनों सदनों (विधान सभा और विधान परिषद्) तथा लगभग  दो दशकों तक संसद के दोनों सदनों (लोक सभा और राज्य सभा) की कार्यवाही की रिपोर्टिंग कर चुके हैं। इसी आधार पर 2017 में राज्य सभा सचिवालय ने उन्हें लॉन्ग एंड डिस्टिंगुइशिड स्वतंत्र पत्रकार के रूप में आजीवन सदन की प्रैस लॉबी और संसद के केंद्रीय कक्ष में बैठने के अधिकार से सम्मानित किया है।  

कुरबान अली, 1992 में भारत सरकार द्वारा जापान भेजे गए युवा प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप मैं चयनित किये गए और 2007 तथा 2012 में विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित किये गए दो विश्व हिंदी सम्मेलनों क्रमशः न्यूयॉर्क और जोहानसबर्ग की संचालन समिति के सदस्य रह चुके हैं और भारत सरकार के आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में इन दोनों विश्व हिंदी सम्मेलनों में न्यूयॉर्क और जोहानसबर्ग में भाग ले चुके हैं। उन्होंने 2015 में भोपाल में हुए विश्व हिंदी सम्मेलन में भी सरकारी प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में शिरकत की। कुरबान अली प्रैस क्लब ऑफ इंडिया, विदेशी पत्रकार क्लब, दिल्ली और इंडिया इंटरनेशनल सेंटर और इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर, दिल्ली के सदस्य हैं और इसके अलावा कई शिक्षण संस्थाओं से भी जुड़े हैं।

लोकजतन पिछली 24 वर्षों से बिना किसी व्यवधान और बिना किसी सरकारी या कार्पोरेटी विज्ञापन के लगातार प्रकाशित होने वाला मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ का पाक्षिक है। लोकजतन के संस्थापक संपादक शैलेन्द्र शैली कवि, लेख, पत्रकार, चित्रकार, छात्रनेता, असाधारण वक्ता, संघर्षों के नायक, संगठनकर्ता और राजनीतिक कार्यकर्ता थे। वे अपने समय के प्रखर तथा लोकप्रिय छात्र नेता रहे और आपातकाल में उस समय मीसा की पूरी अवधि - 19 महीने - जेल में रहे थे, जब वे पूरे 18 वर्ष के भी नहीं हुए थे। उनकी बीएससी भी जेल में पूरी हुयी थी। इसके बाद भी कई जेल यात्राएं उन्हें करनी पड़ीं। शैली देश के प्रमुख छात्र संगठन एसएफआई की केंद्रीय समिति के सबसे युवा सदस्य तथा कामरेड सीताराम येचुरी की अध्यक्षता के समय स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के राष्ट्रीय पदाधिकारी रहे। मध्यप्रदेश के मजदूर, किसान आंदोलन के अग्रणी नेता रहे। वे सीपीआई (एम) के सबसे युवा राज्य सचिव तथा इसकी केंद्रीय समिति के सबसे युवा सदस्य भी रहे। लोकजतन के वे संस्थापक संपादक थे। उनकी जीवन संगिनी और वैचारिक सहधर्मिणी सुश्री संध्या शैली एडवा तथा अन्य राजनीतिक सामाजिक दायित्वों के साथ लोकजतन की प्रकाशिका भी हैं। बादल सरोज, संपादक, मो 94250 06716 सुरेन्द्र जैन, प्रबंधक 

Photos : Kurban Ali, Rakesh Achal, Shailendra Shaily


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