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वैज्ञानिक शोध में पारंपरिक ज्ञान को शामिल करने, विज्ञान का प्रकृति संरक्षण और लोगों का जीवन स्तर सुधारने में उपयोग पर हिमालय पर्यावरण संस्थान व्याख्यान में दिया जोर Emphasis on inclusion of traditional knowledge in scientific research, use of science in nature conservation and improvement of living standard of people in Himalayan Environment Institute lecture



अल्मोड़ा (उत्तराखंड) 15 जून। गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा में लोकप्रिय व्याख्यान की श्रंखला में तीसरे व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी स्टडीज, वेस्टर्न कोलोरैडो विश्वविद्यालय, गुनिसन, अमेरिका के प्रोफेसर जे. सी. बेकर ने सिस्टम थिंकिंग विषय पर दिया। व्याख्यान कार्यक्रम का शुभारंभ पर्यावरण संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल के स्वागत उदबोधन से हुअ। प्रो. नौटियाल ने संस्थान और इसकी क्षेत्रीय इकाइयों द्वारा हिमालयी क्षेत्रों में किये जा रहे विभिन्न विकासात्मक कार्यो और हितधारकों द्वारा लिये जा रहे लाभों से सबको अवगत कराया तथा संस्थान की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी दी। उन्होंने संस्थान तथा वेस्टर्न कोलोरैडो विश्वविद्यालय के शोध कार्यों हेतु परस्पर सहयोग करने की बात कही। उन्होंने महत्वपूर्ण मुद्दों तथा गैप्स को पहचान कर शोध कार्य करने की बात कही. उन्होंने विज्ञान को समाज से एकीकृत करने की बात कही तथा वैज्ञानिक शोध में पारंपरिक ज्ञान के महत्त्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि स्थानिक और पारंपरिक ज्ञान को विज्ञान के साथ जोड़ना बहुत आवश्यक है। कार्यक्रम में वेस्टर्न कोलोरैडो विश्वविद्यालय, गुनिसन, अमेरिका की शोधार्थी सुश्री कात्या ने सिस्टर सिटीज पार्टनरशिप विषय पर व्याख्यान दिया। सिस्टर सिटीज पार्टनरशिप के अंतर्गत उन्होंने मजखाली ग्रामसभा तथा गुनिसन के मध्य हो रही साझेदारी के बारे में जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि सिस्टर सिटीज पार्टनरशिप की शुरुआत सन 2018 में डा. अजय रस्तोगी तथा गुनिसन के मेयर के संयुक्त प्रयासों से की गयी। इसका उद्देश्य दोनों क्षेत्रों के मध्य सांस्कृतिक, सामाजिक तथा आर्थिक विचारों का आदान प्रदान करना है।

इसके पश्चात वेस्टर्न कोलोरैडो विश्वविद्यालय, गुनिसन, अमेरिका के प्रोफेसर जे. सी. बेकर ने सिस्टम थिंकिंग विषय पर लोकप्रिय व्याख्यान दिया। उन्होंने विभिन्न प्रकार के सिस्टम, उनके तत्वों तथा उनकी महत्ता के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सिस्टम प्रणाली की ऊर्जा को अधिकतम करने, एन्ट्रापी को घटाने हेतु व्यवस्था पर चिंतन करने की आवश्यकता है। व्याख्यान के पश्चात कार्यक्रम में उपस्थित सभी प्रतिभागियों के मध्य विचार विमर्श किया गया इसके पश्चात द वृक्षालय हिमालयन सेंटर के संस्थापक और निदेशक डा. अजय रस्तोगी ने संस्थान का धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में व्याप्त विभिन्न कुरीतियों जैसे जातिप्रथा, मजदूर वर्ग का अपमान, लिंगभेद आदि को दूर करने के लिए विभिन्न साझेदारियों के माध्यम से जन साधारण को जागरूक करने की आवश्यकता है। उन्होंने संस्थान से रेजीलियेंट माउंटेन लीडरशिप जैसे कार्यक्रमों की पहल करने की अपील की।

प्रो. सुनील नौटियाल ने वेस्टर्न कोलोरैडो विश्वविद्यालय, अमेरिका के प्रोफेसर जे. सी. बेकर  तथा द वृक्षालय हिमालयन सेंटर के संस्थापक और निदेशक डा. अजय रस्तोगी को स्मृति चिन्ह भेंट देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ वैज्ञानिक तथा जैव विविधता संरक्षण तथा प्रबंधन केंद्र के केंद्र प्रमुख डा. आई. डी. भट्ट ने किया। समापन डा. के.एस. कनवाल के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। कार्यक्रम में वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. जेसी कुनियाल, डा. पारोमिता घोष, ई. महेंद्र सिंह लोधी, डा. सतीश आर्य, डा. मिथिलेश सिंह, डा. केएस कनवाल, डा. वैभव गोसावी, डा. सुमित राय, डा. आशीष पांडेय तथा डा. सुबोध ऐरी सहित संस्थान के शोधार्थी भी उपस्थित थे।

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