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28 मई भारत के लिए बेहद शर्मनाक दिन, पहलवानों को न्याय की मांग करने वाले 700 लोग पुलिस ने पकड़े, बुरी तरह घसीटा May 28, a very shameful day for India, 700 people demanding justice for wrestlers were caught by the police, dragged badly



नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट का उद्घाटन बेहद शर्मनाक, खौफनाक स्थिति में, लोकतांत्रिक परिपाटी, जनता के अधिकारों को रौंद कर हुआ है। सेंट्रल विस्टा या नये संसद भवन नामक इस ऐशगाह के लिए 20,000 करोड़ का बजट ऐसे समय स्वीकृत किया गया जब नोटबंदी और सख्त लाॅकडाउन के चलते भारत की जनता बदहाली, बेहद मुश्किल हालात का सामना कर रही थी, सरकार धन की कमी का रोना रो रही थी, प्रधानमंत्री चुनाव जीतने और मनोरंजन करने में व्यस्त थे। उद्घाटन के पहले से बड़े अपराधी भाजपा सांसद बृजभूषण के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पहलवान और अन्य तमाम लोग आंदोलन कर रहे थे। नए संसद भवन के उद्घाटन के दिन रविवार को जंतर-मंतर से 109 सहित दिल्लीभर में 700 लोगों को हिरासत में लिया गया, जबकि पहलवानों साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस के अनुसार, इन पहलवानों के खिलाफ धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश देने की अवज्ञा), 186 (सार्वजनिक कार्यो के निर्वहन में सरकारी कर्मचारी को बाधा डालना), 353 (जनता को डराने के लिए हमला या आपराधिक बल), 332 (स्वेच्छा से लोक सेवक को अपने कर्तव्य से रोकना, चोट पहुंचाना), 352 (गंभीर उकसावे के अलावा हमला या आपराधिक बल), 147 (दंगा) और 149 (गैरकानूनी जमाव का हर सदस्य अपराध का दोषी) कॉमन ऑब्जेक्शन ऑफ प्रॉसिक्यूशनऔर सेक्शन 3 ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट के तहत संसद मार्ग पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की गई है।

हिरासत में लिए गए पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और संगीता फोगाट सहित सभी महिला प्रदर्शनकारियों को रविवार देर शाम रिहा कर दिया गया। जनपथ से हिरासत में लिए गए नजफगढ़ के करीब 14 प्रदर्शनकारियों को रात करीब 10 बजे रिहा कर दिया गया और पालम खाप के अध्यक्ष सुरेंद्र सोलंकी सहित 16 प्रदर्शनकारियों को रात करीब साढ़े दस बजे वसंत विहार थाने से रिहा कर दिया गया। सर्व खाप महापंचायत और प्रदर्शनकारी पहलवानों ने रविवार को दिल्ली में नवनिर्मित संसद भवन के बाहर महिला पंचायत आयोजित करने का आह्वान किया था, ताकि उघाटन करने आने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान इन पीड़िता ओलंपियन पहलवानों की तरफ जाए। पिछले हफ्ते रविवार को प्रदर्शनकारी पहलवानों के समर्थन में हरियाणा के महम कस्बे में आयोजित खाप महापंचायत में तय किया गया था कि नवनिर्मित संसद भवन के बाहर रविवार को होने वाली पंचायत में देशभर की महिलाएं भाग लेंगी। नए संसद भवन की ओर कूच करने से रोके जाने पर विनेश फोगाट, उनकी बहन संगीता फोगट और अन्य पहलवानों ने सुरक्षा बैरिकेड्स को तोड़ने का प्रयास किया, जिसके बाद तनाव बढ़ गया।

इसके कारण प्रदर्शनकारियों और पुलिस अधिकारियों में धक्का-मुक्की हुई। जब वे धरना देने के लिए सड़क पर बैठ गए तो उन्हें घसीटकर ले जाया गया और पुलिस वैन डाल दिया गया। साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और उनके समर्थकों सहित सभी पहलवानों को हिरासत में ले लिया गया और उन्हें अलग-अलग थानों में रखा गया। पुलिस ने कैसे महिलाओं तक को घसीटा, अभद्रता की यह पूरे देश और दुनिया ने देखा। दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख स्वाति मालीवाल ने रविवार को शहर की पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारी पहलवानों के साथ मारपीट की निंदा की और यौन उत्पीड़न के आरोपी भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की। इन पहलवानों का जंतर-मंतर पर धरना 23 अप्रैल से ही चल रहा था। मालीवाल ने उन्हें हिरासत में लेने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की।

आंदोलनकारियों और उनके समर्थकों को रोकने, काबू करने के लिए कई राज्यों की पुलिस और दूसरे सुरक्षा बल लगाए गये थे। टीकरी, गाजीपुर, सिंघू और बदरपुर बॉर्डर सहित सीमावर्ती क्षेत्रों में अर्धसैनिक बल सहित हजारों पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। पुलिस ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) से औपचारिक अनुरोध कर पुराने बवाना के कंझावला चौक स्थित एमसी प्राइमरी गर्ल्स स्कूल में एक अस्थायी जेल बनाने की अनुमति मांगी थी। यह अनुरोध कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के बहाने किया गया था, हालांकि, दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय ने इसे अस्वीकार कर दिया था।

पहले ही तमाम समस्याओं से जूझ रहे अन्याय का विरोध और न्याय की मांग करने वालों पर सरकार ने जो जोर-जुल्म किया है उसके बाद उनमें से तमाम जेलखानों में अमानवीय स्थितियों में रहेंगे, कितने कोर्ट और थानों के चक्कर काटेंगे। सरकार की कार्रवाई बेहद शर्मनाक, अलोकतांत्रिक, अमानवीय है, जनविरोधी है। नरेंद्र मोदी की अन्यायी और अमानवीय कार्रवाइयों का समर्थन केवल हिंसक, नफरती, मूढ़, दिमागी दिवालियेपन के शिकार लोग और मोदी सत्ता के चाटुकार ही कर सकते हैं। कोई भी समझदार, इंसाफपसंद व्यक्ति नहीं।

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