बुरा न मानो! Don't feel bad! Hindi Poem : Hoobnath
एक पुरुष ने
दूसरे पुरुष को
आग में ज़िंदा जलाने के लिए
एक औरत का सहारा लिया
जिस औरत को
तीसरे पुरुष ने
आग में न जलने का
वरदान दिया था
किंतु पुरुष का वरदान
औरत के काम न आया
क्योंकि वरदान देनेवाला
नहीं चाहता था
कि पुरुष आग में जल मरे
पुरुष के वरदान पर
भरोसा किए
एक पुरुष की आज्ञा से
दूसरे पुरुष को जलाने बैठी
ख़ुद जलकर भस्म हो गई
औरत के जलने की ख़ुशियाँ
सारे पुरुषों ने
ख़ूब धूमधाम से
गाजेबाजे से मनाईं
और सारे पुरुषों ने
सारे पुरुषों से कहा -
होली है!
पुनश्च: पुरुषों की ख़ुशी के लिए पुरुषों की अनुमति से कुछ औरतें भी इसमें शामिल होती हैं बाक़ी घर में गुझिया बनाती हैं।
-हूबनाथ
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विशेष सूचना - सम्मानित पाठकगण सादर अभिवादन !
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