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कलम के सच्चे सिपाही, पत्रकारिता के आदर्श पुरुष गणेश शंकर विद्यार्थी के शहादत दिवस पर पीत-पतित और वास्तविक पत्रकारिता पर चर्चा Discussion on degenerate and real journalism on the martyrdom day of true soldier of pen, ideal man of journalism Ganesh Shankar Vidyarthi



-मुकुल

रुद्रपुर (ऊधम सिंह नगर) उत्तराखंड, 26 मार्च।  एक ऐसे समय में जब पत्रकारिता और मुख्य धारा की पूरी मिडिया सत्ता के तलवे चाटने में मशगूल है, तब जनपक्षधर पत्रकारिता के शीर्ष पुरुष और साम्प्रदायिक दंगे से जूझते हुए शहीद होने वाले गणेश शंकर विद्यार्थी को याद करना ज्यादा प्रासंगिक है। यह बात अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी के शहादत दिवस 25 मार्च को शहीद भगत सिंह पुस्तकालय में आयोजित परिचर्चा उभरकर आई। परिचर्चा में वक्ताओं ने कहा कि विद्यार्थी जी देश के पहले पत्रकार थे जो अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए कानपुर में दंगों की भेंट चढ़े। वे कलम के सच्चे सिपाही और पत्रकारिता के आदर्श पुरुष थे। उन्होंने ब्रिटिश सरकार से डटकर लोहा लिया और लेखनी से जनजागरण की अलख जगाई। अपनी प्रखर पत्रकारिता और गलत से समझौता ना करने के कारण ही वे 5 बार जेल गए। पत्रकारिता क्या होती है, यह विद्यार्थी जी से बेहतर तरीके से सीखा जा सकता है।

वक्ताओं ने बताया कि विद्यार्थी जी जहां गांधी जी से प्रेरित थे वहीं आजादी की क्रांतिकारी धारा के पैरोकार भी थे। क्रांतिकारियों और मजदूर-किसान आंदोलनों से उनका सीधा जुड़ाव था। उनका प्रेस भगत सिंह सहित तमाम क्रांतिकारियों की शरणस्थली भी थी। उन्होंने पत्रकारिता के नए मूल्य और मानदंड प्रस्तुत किए। विद्यार्थी जी का अखबार प्रताप हिंदी क्षेत्र के किसानों व मजदूरों के अनवरत संघर्ष का वाहक बन गया था। वे आजीवन धार्मिक कट्टरता और उन्माद के खिलाफ आवाज उठाते रहे। यही धार्मिक उन्माद उनकी जिंदगी लील गया।

परिचर्चा में यह बात उभर कर आई कि आज के दौर में जब पत्रकारिता में पतनशीलता काफी बढ़ गई है और लेखन व पत्रकारिता पर चौतरफा हमले हो रहे हैं, तब विद्यार्थी जी जैसे पत्रकारों से प्रेरणा लेना और एक सही और सच्ची जनपक्षधर पत्रकारिता को धार देना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। मीडिया की भ्रामक खबरों के समांतर वैकल्पिक मीडिया खड़ा करना आज पहले से ज्यादा अहम हो गया है। 

परिचर्चा में मुकुल मजदूर सहयोग केंद्र, दिनेश इंकलाबी मजदूर केंद्र, अंजार अहमद, धीरज जोशी, गोविंद सिंह, दीपक सनवाल, गोकुल, दीवान सिंह, हरेंद्र सिंह आदि ने जीवंत भागीदारी की।

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