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हिमालय पर्यावरण संस्थान में जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, लचीलापन निर्माण के लिए पर्वतीय महिलाओं का सशक्तिकरण पर किया जागरूक Climate change adaptation, awareness made on empowerment of mountain women for resilience building at Himalaya Environment Institute



अल्मोड़ा (उत्तराखंड)। गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान, कोसी कटारमल, अल्मोड़ा के पर्यावरण आकलन और जलवायु परिवर्तन केंद्र (सीईएएंडसीसी) ने जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और लचीलापन निर्माण के लिए पर्वतीय महिलाओं को सशक्त बनाना विषय पर आजादी का अमृत महोत्सव के तहत पर्वतीय महिलाओं को सशक्त एवं जागरूक करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन राजकीय इंटर कॉलेज कठपुरिया, अल्मोड़ा में आयोजित किया गया। अंतर्राष्ट्रीय पर्वतीय दिवस (11 दिसम्बर) मनाने के लिए आयोजित किया गया था। अंतर्राष्ट्रीय पर्वतीय दिवस का विषय नारी शक्ति से जुड़ा था। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों को पहाड़ में संसाधनों के प्रबंधन में महिलाओं के महत्व और भूमिका के बारे में जागरूक करना था।

कार्यक्रम में शोधार्थी निधि कंवर ने सभी का स्वागत किया और अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस का परिचय दिया। डॉ. मिथिलेश सिंह ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में महिलाओं की भूमिका पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन से महिलाओं का जीवन किस प्रकार प्रभावित होगा। कार्यक्रम में विभिन्न गतिविधियों में छात्राओं को भाग दिलवाया गया। छात्राओं को जलवायु परिवर्तन के मुद्दे से अवगत करने के लिए कुछ लेखन गतिविधियाँ कराई गए जो की पर्वतीय क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं पर केंद्रित थी। 

डॉ जे.सी. कुनियाल (वैज्ञानिक-जी,अध्यक्ष,सीईएएंडसीसी) ने जलवायु परिवर्तन: समस्याएं और समाधान के बारे में परिचय देते हुए जलवायु परिवर्तन के हानिकारक प्रभावों के बारे में अवगत कराया। उन्होंने बताया कि हिमालय कैसे बना था, जलवायु में क्या बदलाव आ रहे है और इन परिवर्तनों का प्रभाव पहाड़ों में दैनिक जीवन पर क्या असर डाल रहा है। उन्होंने छात्राओं को महिलाओं की भूमिका के बारे में बताया और यह भी समझाया कि महिलाओं को पहाड़ की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। डॉ. सुमित राय (वैज्ञानिक- सी) ने पहाड़ी कृषिरू पोषक तत्व प्रबंधन के माध्यम से जलवायु लचीलापन के विषय के बारे में जानकारी दी। उन्होंने फसलों में पोषक तत्व प्रबंधन के महत्व और मिट्टी की गुणवत्ता की जानकारी दी। बताया कि मिट्टी के कटाव और पौधों द्वारा कार्बन और अन्य पोषक तत्वों को कैसे अवशोषित किया जा रहा है। सभी प्रतिभागियों से अपने प्रश्न पूछने के लिए आग्रह किया गया। उपस्थित वैज्ञानिकों ने प्रतिभागियों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए सभी को धन्यवाद दिया।

शोधार्थी आरुषि शर्मा ने उपस्थित सभी वैज्ञानिक, अध्यापक, अध्यापिका, छात्राओ एवं शोधार्थियों को धन्यवाद ज्ञापन किया। यहां संस्थान के वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, राजकीय इंटर कॉलेज कठपुरिया, अल्मोड़ा के शिक्षक, विद्यार्थी, और जीबीपी-एनआइएचई के पर्यावरण आकलन और जलवायु परिवर्तन केंद्र (सीईएएंडसीसी) के सदस्यों सहित कुल 65 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

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