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सी.एल.एफ. सदस्यों को हिमालयी पर्यावरण संस्थान ने दिया संरक्षित खेती का प्रशिक्षण CLF The Himalayan Environment Institute gave training to the members of protected farming



अल्मोड़ा। गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा के ग्रामीण तकनीकी परिसर में उत्तराखण्ड राज्य आजीविका मिशन (यू.एस.आर.एल.एम.) के तहत अल्मोड़ा, नैनीताल, बागेश्वर एवं चम्पावत के सी.एल.एफ. के सदस्यों हेतु पर्वतीय क्षेत्रों में संरक्षित खेती विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम दिनांक 7-9 नंवबर, 2022 को आयोजित किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में राज्य के सभी जिलों के 30 महिला सी.एल.एफ. सदस्यों ने प्रतिभाग किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत में संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं संस्थान में ग्राम्य विकास विभाग भारत सरकार के नोडल अधिकारी ने प्रतिभागियों को प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा देते हुए संस्थान द्वारा ग्राम्य विकास में किये जा रहे कार्यों से अवगत कराया। तत्पश्चात कार्यक्रम समन्वयक, संस्थान की वैज्ञानिक डा. शैलजा पुनेठा ने तीन दिवसीय प्रशिक्षण में संरक्षित खेती, इसके उपयोग तथा स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर कृषकों की आजीविका बढ़ाने विषय पर कार्यक्रम में भाग ले रहे प्रतिभागियों को जानकारी प्रदान की। प्रशिक्षण के दूसरे दिन कृषि विज्ञान केन्द्र, मटेला के प्रभारी वैज्ञानिक प्रो. एस. एस. सिंह ने प्रशिक्षणार्थियों को संरक्षित खेती की बारीकियां समझाते हुए विभिन्न सब्जियों की नर्सरी तैयार करने एवं संरक्षित खेती में उसे उगाने तथा विभिन्न सब्जियों के पर्वतीय क्षेत्रों में उगाने के समय उपयुक्त खाद, सिंचाई एवं व्याधि नियत्रण पर विस्तृत जानकारी प्रदान की। प्रशिक्षण के तृतीय सत्र में संस्थान में कार्यरत तकनीकी एसोसियेट, डा. डी. एस. चौहान, मास्टर ट्रैनर डी. एस. बिष्ट ने प्रतिभागियों को बांस से सस्ता एवं सरल पौलीहाउस तैयार करने पर प्रयोगात्मक प्रशिक्षण प्रदान किया जिसमें प्रतिभागियों ने स्वयं अपने हाथों से पौलीहाउस तैयार किया. इस प्रयोगात्मक प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों में बहुत उत्साह देखा गया।

प्रशिक्षण के तृतीय दिन प्रतिभागियों को कृषि विज्ञान केन्द्र, मटेला के फार्म का भ्रमण कराया गया जहाँ डा. राकेश मेर ने पर्वतीय क्षेत्रों सब्जी की नर्सरी तैयार करने, सब्जी उत्पादन एवं बेमौसमी सब्जी उत्पादन करने के प्रदर्शन दिखाकर विस्तार से समझाया। प्रशिक्षण के समापन सत्र में प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए संस्थान वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं संस्थान में भारत सरकार के ग्राम्य विकास मंत्रालय के लिए नोडल अधिकारी डा. पारोमिता घोष ने प्रशिक्षणाथियों को संबोधित करते हुए समाज के विकास में महिलाओं को सम्द्ध होकर आगे आने को कहा तथा छोटे-छोटे पौलीहाउस बनाकर सब्जी उत्पादन करने पर बल दिया एवं प्रशिक्षण में सीखी गयी तकनीक को अपने क्षेत्रों में फैलाने का आह्वान किया। प्रशिक्षणार्थियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए प्रशिक्षण में सीखी गयी तकनीकों को बहुत उपयोगी बताया एवं सभी कृषकों के के लिए आजीविका का एक अवसर बताया। अन्त में नोडल अधिकारी ने प्रशिक्षणाथियों को प्रशिक्षण के प्रमाण पत्र वितरित किये।

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